Tuesday, 16 August 2016

Pyar // ghazal


खुदा ने दिया है हमारे लिए, तुम क्यों ले रहे ?
जी रहे हम, जिंदगी अपनी, तुम क्यों ले रहे ?
क्या जानोगे? बेले हैं हम भी, पापड़ कितने,
मुश्किल से मिला, चैन हमारा, तुम क्यों ले रहे ?
भागम भाग की इस जिंदगी में, मिलती कहाँ है,
रातों की मीठी नींद हमारी, तुम क्यों ले रहे?
हमें तो हमेशा रहा, तुम्हारे ईमान का वास्ता,
दिये बिन दिल अपना, हमारा तुम क्यों ले रहे?
कहाँ मिलती है आजादी, किसी से मिलने की
हमारे आने जाने का हिसाब, तुम क्यों ले रहे ?
दबे, पिसे तो पड़े हुए थे, हम कबसे यूँ ही,    
अरे, सख्त होने का सोहरत, तुम क्यों ले रहे ?
मन की बात को, खोलने का जहमत लिए न हम
जज्बात छुपाने का तोहमत, तुम क्यों ले रहे ?

- एस० डी० तिवारी

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अँधेरा जब भी गहराता है।
प्यार और गहरा हो जाता है।
प्यार ही प्यार दिखता है बस,
बाकी तो काले में छुप जाता है ।
चाँद से प्यार जताने के लिए
एक एक तारा झिलमिलाता है।
परवाना भी करता इंतजार,
रात में लौ देख पर मडराता है।
अँधेरे में चूसने को ज्यादा रस
भौंरा दल में बंद हो जाता है।
देख के बादल हुई भू अँधेरी,
प्यार में आंसू बहा जाता है।
क्या जाने वो प्यार की गहराई,


रात होते ही, जो सो जाता है।

चाँद की अहमियत तभी होती
जब अँधेरे में चमक जाता है।




जानम का गोरा मुखड़ा हो,
बेशक ना चाँद का टुकड़ा हो।
चेहरा चिकना चुपड़ा हो।
जानम का गोरा ...
पूरब की हो, पश्चिम की हो,
पटियाला चाहे, पंजिम की हो।
मुस्कराता हुआ थोपड़ा हो।
जानम का गोरा ...
सनम का संग मिल जायेगा,
अपन का दिल खिल जायेगा,
संग में कोई ना दुखड़ा हो।
जानम का गोरा ...
रखते वो थोड़ी नरमी हों,
ना रखे मगर  बेशर्मी हों,
तनिक नहीं मन उखड़ा हो।
जानम का गोरा ...
बेशक वो मतवाली हो,
तनिक नहीं पर काली हो,
न पाउडर  क्रीम का पचड़ा हो।
जानम का गोरा ...


एक गजल
वक्त चला चलता रहा, हम दोनों जमे रहे।
सूरज रोज ढलता रहा, हम दोनों जमे रहे।
साथ रहने के लिए, मेहनत भी कम न किये,
पसीना निकलता रहा, हम दोनों जमे रहे।
दरार डालने की, हवाओं की कोशिश का,
सिलसिला चलता रहा, हम दोनों जमे रहे।
देख कर हम दोनों की, बेइंतहां मुहब्बत,
आसमान जलता रहा, हम दोनों जमे रहे।
आते जाते रहे, पतझड़, ताप और बसंत,
प्यार अपना पलता रहा, हम दोनों जमे रहे।
दरख्त बड़े हुए, बदल गयी दुनिया कितनी,
परिवार भी बढ़ता रहा, हम दोनों जमे रहे।
किसी अनजान धागे ने, रखा बांधे कसकर,
गांठ में बल डलता रहा, हम दोनों जमे रहे।



प्यार में लड़ो ना, ये अखाडा नहीं।
प्यार बसावट है, कोई उजाड़ा नहीं।
मिलता है प्यार, देकर ही प्यार,
देना होता है, इसका भाड़ा नहीं।
रट भर लेने से, छा जाये दिल पर,
प्यार होता है, कोई पहाड़ा नहीं।
होता ना प्यार, इतना भी आसान,
तोड़ कर खा जाओ, छुहाड़ा नहीं।
पाने को प्यार, देना होता है दिल,
पका कर के पी जाओ, काढ़ा नहीं।
प्यार ही रखता, बांध के प्यार को, 
कैद में रखे प्यार, कोई बाड़ा नहीं।
हलके रखे, तो क्या निखरेगा प्यार,
प्यार का वो रंग कैसा, गाढ़ा नहीं।

- एस० डी० तिवारी

कुछ भी करना मगर यर ना करना
होठों पर तुम आधार ना धरना

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