रेडियो मिर्ची की आर जे सायेमा ने अपने पेज पर एक विडियो पोस्ट किया था जिसमे उन्होंने पाकिस्तान से आई निम्न कविता का पाठ किया था और उसका जवाब माँगा था -
पाकिस्तान से निम्न कविता आई थी और कवि ने इसका जबाब माँगा था
अपने आगन में यह नफरत की जलती आग बुझा देना
हम प्यार की शमा लाये हैं, तुम भी एक दीप जला देना.
जो खेत जला वो अपना था, जो खून बहा वो भी अपना
जो कुछ भी हुआ अच्छा ना हुआ, अब वक़्त है उसको भुला देना
हम हाथ हवा के भेजेंगे खुशबू लाहौर की मिटटी की.
तुम भी रावी की लहरों पर दिल्ली के फूल बहा देना
अपने घर की दीवारों को ऊँचा करना सबका हक़ है.
लेकिन जो दीवारें दिल में हैं, वो सारी आज गिरा देना
वो प्यार भला कब रुकता है, दीवारों से तलवारों से
हम दूर से हाथ हिला देंगे, तुम दूर से ही मुस्का देना
खुश हाल रहो, दिलशाद रहो, तुम फूलो फलो आबाद रहो
हम तुम को दुआएं देते हैं, तुम भी हमको यह दुआ देना
यह प्यार खुदा भगवान् भी है, यह प्यार हे मंदिर मस्जिद
जो सबक सिखाये नफरत का वो मंदिर मस्जिद ढा देना
उसके उत्तर में मेरे ये कुछ शब्द -
हमने तो कभी नफ़रत की आग जलाई नहीं।
जलाये कबसे प्यार की शमा, बुझाई ही नहीं।।
जो खेत जलाई, माचिस सीमा पार से आई।
गोलियां जो खून बहाईं, उधर से ही चलायी।।
हर बात को घुमा कर लाते कश्मीर के रस्ते।
अपने ही किये वादों से, हो बार बार पलटते।।
लेकर खड़े होते हैं जब हम फूलों के गुलदस्ते।
कहते हो हम यह कर रहे, परमाणु के डर से।।
परमाणु हम भी रखे पर दिल में प्यार भरा है।
जानते हो, निहत्थे गाँधी से सारा विश्व डरा है।।
प्यार दूर रखे; हमारे दिल में न दीवार है कोई।
मुहब्बत को काट डाले, न ही तलवार है कोई।।
दूर से क्या हिलाना, हम हाथ मिलाने को बैठे।
पड़ोसियों को मुस्काता देख, मुस्कराने को बैठे।।
कोई करता है तो करे, खुदा को खुश खून से।
हमारे यहाँ अल्ला व ईश खुश होते हैं फूल से।।
हम नहीं बनाते नफ़रत वाले मंदिर, मस्जिद।
शांति, अहिंसा धर्म हमारा, सोचते सबका हित।।
हमारी भी दुआ है, आबाद रहो, खुशहाल रहो।
अमन,चैन रहे दामन में, प्रेम से हर हाल रहो।।
हमारी संस्कृति की धरोहर प्यार, दया व संयम।
तुम ये न समझ लेना कहीं से कमजोर हैं हम। ।
वतन के वास्ते एक एक जवान मर सकता है।
जरुरत पर फिर से, पैंसठ-इकहत्तर कर सकता है।।
पडोसी मुल्क और भी हैं, किसी से न कोई तकरार।
करेगा गर इस्लामाबाद, दिल्ली जरूर करेगी प्यार।।- एस० डी० तिवारी
आतंकवादी पाक सुन
करता रहता झूठे वादे, रखता है नापाक इरादे।
देख रहे हम वर्षों से पाक, तुझको आतंक फैलाते।
कहता है कुछ और जहाँ से, करता मगर कुछ और
तेरी झूठी बातों का, होता कोई ओर ना छोर।
समझ चुके हैं अब हम तेरी, सारे ही कुटिल इरादे।
देख रहे हम वर्षों से पाक, तुझको आतंक फैलाते।
तुझको तो हम रहे समझते,, सदैव छोटा भाई।
प्यार, प्रगति हमारी पर, तुझे तनिक रास न आई।
दोस्ती का भेजे पैगाम हमारे तुझको नहीं हैं भाते।
देख रहे हम वर्षों से पाक, तुझको आतंक फैलाते।
तेरे कारण चल न सके पर, दो कदम हिलमिल के।
शैतानी हरकतों को ही हरदम तूने रखा सजा के।
देख रहे हम वर्षों से पाक, तुझको आतंक फैलाते।
छुप छुप कर उधर से हमेशा चलाता रहता गोली।
धैर्य हमारा देख ना समझना, हम हैं सीधे सादे।
देख रहे हम वर्षों से पाक, तुझको आतंक फैलाते।
तेरी गीदड़ भभकी में अब ना, दुनिया आने वाली।
मिसाइल रखने का घमंड, तू तो मन से ही हटा दे।
देख रहे हम वर्षों से पाक, तुझको आतंक फैलाते।
दुनिया समझ चुकी है सब कुछ, नहीं चलेगा हमेशा।
आतंकवाद फ़ैलाने को अब तू और नहीं हवा दे।
देख रहे हम वर्षों से पाक, तुझको आतंक फैलाते।
कितनों की गोद की सूनी, कितनों को किया अनाथ।
कितनों को बेवा कर डाला, बनकर तू जल्लाद।और नहीं चल पायेगा ये जल्लादों को समझा दे।
देख रहे हम वर्षों से पाक, तुझको आतंक फैलाते।
हमारा खोया हुआ वो टुकड़ा वापस फिर से पाना है।
कश्मीर को अलग करने की तो, सपने को भुला दे।
देख रहे हम वर्षों से पाक, तुझको आतंक फैलाते।
गजनवी, हत्फ नभ में ही त्रिशूल में फंस जायेगा।
पृथ्वी, ब्रह्मोस ऐसे हैं सुन जहन्नुम तुझे दिखा दे।
देख रहे हम वर्षों से पाक, तुझको आतंक फैलाते।
सीधे रस्ते आ जा दुष्ट अब, छोड़ हरकत बचकानी।
हम रखते हैं दम ख़म इतना, तिरंगा वहां फहरा दें।
देख रहे हम वर्षों से पाक, तुझको आतंक फैलाते।
इंसानियत का पाठ तूने, पढ़ा नहीं है पूरा।
चोरों जैसा घात लगाकर, पीठ में भौंके छूरा।
तेरी करतूतों की तुझको अल्ला भी सजा दे ममम
कहता कुछ और जहाँ से, करता है कुछ और
तेरी झूठी बातों का होता, कोई ओर न छोर।
समझ चुके हैं हम तेरी, सभी कुटिल इरादे।
देख रहे वर्षों से पाक, आतंक तुझे फैलाते।
हम रहे समझते सदा, तुझको अपना भाई।
प्यार, प्रगति हमारी तुझको, जरा रास न आई।
दोस्ती का पैगाम भेजते, तुझे नहीं हैं भाते।
तेरे कारण चल न सके, दो कदम हिलमिल के।
शैतानी हरकतें ही बस, तुझको सदा मजा दे।
ऐटम बम बनाकर तू, समझ रहा बलशाली।
तेरी गीदड़ भभकी में ना, दुनिया आने वाली।
मिसाइल रखने का घमंड, मन से तू हटा दे।
जल्लाद पालना शौक तेरा, खून बहाना पेशा
दुनिया सब समझ चुकी, नहीं चलेगा हमेशा।
आतंकवाद फ़ैलाने को, अब और नहीं हवा दे।
कितनों की गोद सूनी, कितने हुए अनाथ।
कितनों को बेवा किया, बनकर तू जल्लाद।
और नहीं चल पायेगा, जल्लादों को समझा दे।
तेरी इन करतूतों को देख, हमने भी ठाना है।
हमारा वो खोया टुकड़ा वापस फिर से पाना है।
और टुकड़े करने की तो, सपने को भुला दे।
तेरी गौरी को तो हमारा, नाग ही डंस जायेगा।
गजनवी, हत्फ नभ में ही त्रिशूल में फंस जायेगा।
पृथ्वी तो ऐसी है सुन, जहन्नुम तुझे दिखा दे।
अग्नि की आग बुझाने, मांगेगा रावी का पानी।
सीधे रस्ते आ जा अब, छोड़ हरकत बचकानी।
हम हैं दम रखते इतना, तिरंगा वहां फहरा दे।
देख रहे वर्षों से पाक, आतंक तुझे फैलाते।
चोरों जैसा घात लगाकर, भोंकता पीठ में छूरा।
इंसानियत का पाठ तुझे अब पढ़ाना होगा पूरा।
तेरी करतूतों की सजा, देंगें तुझे माकूल पाक हम,
ऑंखें निकाल रख देंगे तेरी, तनिक भी तूने घूरा।
एस० डी० तिवारी
रखता तू नापाक इरादे, करता रहता झूठे वादे।
देख रहे वर्षों से पाक तुझको हम आतंक फैलाते।
सिखलायेंगे तुझको अब, सबक तेरी ही जुबान
धैर्य देख कर समझ न लेना, हमको सीधे सादे।
आती नहीं समझ तुझको, प्रेम, शांति की बोली।
छुप छुप कर उधर से पाक, चलाता रहता गोली।
थूर कर रख देंगे मुंह को तेरे, जान ले भली से तू;
खेलेगा पाकिस्तान अब भी, खेल सांप, सँपोली।
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