Monday, 15 August 2016

Google sayeen


छुपी कहाँ है, जानू ना मैं जान मेरी
ढूंढ के लाओ, हे गूगल साईं।

गोरा सा मुखड़ा है वो
चाँद का टुकड़ा है वो
काले लम्बे बाल वाली
हिरनी जैसी चाल वाली।
गाल हैं लाल, उसके जैसे होय चेरी
ढूंढ के लाओ, हे गूगल साईं।

होंठ उसके रस की बेरी
ऑंखें है झील सी गहरी
शोख सी अदाएं उसकी
कमर है कमल की ककड़ी।
दिल में रखती, है वह प्यार की ढेरी
ढूंढ के लाओ, हे गूगल साईं।

ऊँचे कद काठी की है
बनी वो पक्के माटी की है
दे दिया है हुलिया सारा
जिसे ढूंढता दिल बेचारा।
और किये बिन, अब तनिक भी देरी
ढूंढ के लाओ, हे गूगल साईं।

वतन के वास्ते जीना वतन के वास्ते मरना
वतन के वास्ते मरने से क्यों कर है डरना
जन्म लिया है माँ सी जिस पावन धरती पर
जज्बा है मन में, उसके लिए कुछ कर गुजरना

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