ओ रब मेरे! मेनू, लाल चुनर पा के आणा।
मेनू ना भावे, चीटियाँ चुंदरी
नाइयों दूधिया लिवास
माथे ते टीका वे, मांग विच सिन्दूर पाणा।
ओ रब ...
चोटी मैं गूंथूं वे, गजरा सजावां नी
केशां नु लेवांगी संवार
लागे नजर ना कोई, अक्खां वीच काजल पाणा।
ओ रब ...
गले वीच डालांगी हार
हाथों ते हीना वे, कलाई वीच चूड़ियाँ पाणा।
ओ रब ...
उंगल विच मुदरी डाल
पांव सजावण लई, मैं बिछुआ ते पायल पाणा।
ओ रब ...
इतर करूँ छिड़काव
तेरी दुलारी मैं वां, मेनू तू गले ते लगाणा।
ओ रब मेरे ...
करके नी सोलह श्रृंगार
तेरे चरणों में रब्बा, आके मेनू सो जाणा।
ओ रब मेरे ....
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साजण, लंदन खटन गया सी
खट के ले आया मोबाइल,
ननदी छुप छुप गल्लां करे, मारे नवी स्टाइल;
दसो नी, मैं की करां? हाय मैं की करां ?
खट के ले आया कंप्यूटर,
चलावण मेनू कोई ना आवे, देवरा लग्या ट्यूटर;
दसो नी, मैं की करां ?
साजण, लंदन खटन गया सी
खट के ले आया चॉकलेट,
जेबां विच भर लै बच्चे, खांदे भर भर पेट;
दसो नी, मैं की करां ?
साजण, लंदन खटन गया सी
खट के ले आया हार,
पहणां वी तो कद मैं पहणां? इत्थे झपटमार;
दसो नी, मैं की करां ?
खट के ले आया इत्तर,
एक एक शीशी करके, लै गए सारे मित्तर:
दसो नी, मैं की करां ?
प्यार वे बह ता पानी
पिछली बरसात की निसानी
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