Friday, 15 May 2015

Shringar


ओ रब मेरे! मेनू, लाल चुनर पा के आणा।

मेनू ना भावे, चीटियाँ चुंदरी
नाइयों दूधिया लिवास
माथे ते टीका वे, मांग विच सिन्दूर पाणा।
ओ रब ...


चोटी मैं गूंथूं वे, गजरा सजावां नी
केशां नु लेवांगी संवार
लागे नजर ना कोई, अक्खां वीच काजल पाणा।
ओ रब ...

नाक ते नथनी वे, कानां वीच झुमका
गले वीच डालांगी हार
हाथों ते हीना वे, कलाई वीच चूड़ियाँ पाणा।
ओ रब ...

बाहां सजावां नी, पहणां  भुजदंड असां
उंगल विच मुदरी डाल
पांव सजावण लई, मैं बिछुआ ते पायल पाणा।
ओ रब ...

कमर कस लेवांगी, बांधे कमरबंद असि
इतर करूँ छिड़काव
तेरी दुलारी मैं वां, मेनू तू गले ते लगाणा।
ओ रब मेरे ...

जेड़ा कुछ दित्ता तू, तेनु मैं सौंप देणा
करके नी सोलह श्रृंगार
तेरे चरणों में रब्बा, आके मेनू सो जाणा।
ओ रब मेरे ....



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साजण, लंदन खटन  गया सी
खट के ले आया  मोबाइल,
ननदी छुप छुप गल्लां करे, मारे नवी स्टाइल;
दसो नी, मैं की करां? हाय मैं की करां ?

साजण, लंदन खटन  गया सी
खट के ले आया कंप्यूटर,
चलावण मेनू कोई ना आवे, देवरा लग्या ट्यूटर;
दसो नी, मैं की करां ?

साजण, लंदन खटन  गया सी
खट के ले आया चॉकलेट,
जेबां विच भर लै बच्चे, खांदे भर भर पेट;
दसो नी, मैं की करां ?

साजण, लंदन खटन  गया सी
खट के ले आया हार,
पहणां वी तो कद मैं पहणां? इत्थे झपटमार;
दसो नी, मैं की करां ?

साजन लंदन खटन  गया सी
खट के ले आया इत्तर,
एक एक शीशी करके, लै गए सारे मित्तर:
दसो नी, मैं की करां ?


प्यार वे बह ता पानी
पिछली बरसात की निसानी

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