न तो वह नेता था
न फिल्मों का नायक,
न कोई बड़ा खिलाडी
न ही कोई गायक।
न तो साथ भीड़ है
न ही बजता बैंड बाजा,
न महँगी चादर से ढका
न ही फूलों से साजा।
बस थोड़े से लोग थे
जो उसे लेकर जा रहे,
न तो कोई रो रहा
ना ही आंसू बहा रहे।
पंचनामा करवा रही
पुलिस गवाह ढूंढ रही थी,
तुम इसे जानते हो?
एक एक से पूछ रही थी।
स्ट्रेचर पर लिटा कर
एक कोने में कर दिया था,
पंचनामा का फॉर्म भी
पूरी तरह से भर लिया था।
सुदामा तभी पंहुचा था
लेने को उसका हाल,
रुग्णावस्था में उसी ने
पहुँचाया सरकारी अस्पताल।
लावारिस बता कर
यूँ पुलिस संस्कार कर देती,
लोक हित में कार्य का
एक और खाना भर लेती।
पर सुदामा उसे ले गया
उसके झुग्गी, जहाँ रह रहा था,
मै भी इसी धरा का पुत्र हूँ
सबसे सदा से कह रहा था।
पहले जो लोग मांगने पर
बहाना करके टाल देते ,
इस दिन बिन मांगे ही कुछ
उसके नाम पर डाल देते।
उसकी भी एक जिंदगी थी
जिंदगी की कोई कहानी थी,
जिसे वह स्वयं जानता था
औरों की नहीं जुबानी थी।
क्योंकि वह तो था
कोई आम आदमी भी नहीं,
जिसकी खोज खबर लेता
कोई और आदमी कहीं।
धरा पुत्र होकर भी धरतीं पर
उसका अपना बस रब था,
अपनेपन के लिए सदा तृषित
एक भिखारी का शव था।
न फिल्मों का नायक,
न कोई बड़ा खिलाडी
न ही कोई गायक।
न तो साथ भीड़ है
न ही बजता बैंड बाजा,
न महँगी चादर से ढका
न ही फूलों से साजा।
बस थोड़े से लोग थे
जो उसे लेकर जा रहे,
न तो कोई रो रहा
ना ही आंसू बहा रहे।
पंचनामा करवा रही
पुलिस गवाह ढूंढ रही थी,
तुम इसे जानते हो?
एक एक से पूछ रही थी।
स्ट्रेचर पर लिटा कर
एक कोने में कर दिया था,
पंचनामा का फॉर्म भी
पूरी तरह से भर लिया था।
सुदामा तभी पंहुचा था
लेने को उसका हाल,
रुग्णावस्था में उसी ने
पहुँचाया सरकारी अस्पताल।
लावारिस बता कर
यूँ पुलिस संस्कार कर देती,
लोक हित में कार्य का
एक और खाना भर लेती।
पर सुदामा उसे ले गया
उसके झुग्गी, जहाँ रह रहा था,
मै भी इसी धरा का पुत्र हूँ
सबसे सदा से कह रहा था।
पहले जो लोग मांगने पर
बहाना करके टाल देते ,
इस दिन बिन मांगे ही कुछ
उसके नाम पर डाल देते।
उसकी भी एक जिंदगी थी
जिंदगी की कोई कहानी थी,
जिसे वह स्वयं जानता था
औरों की नहीं जुबानी थी।
क्योंकि वह तो था
कोई आम आदमी भी नहीं,
जिसकी खोज खबर लेता
कोई और आदमी कहीं।
धरा पुत्र होकर भी धरतीं पर
उसका अपना बस रब था,
अपनेपन के लिए सदा तृषित
एक भिखारी का शव था।
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