ना फिकर किया ना चिंता
जो हाथ आया. गले लगाया
सब उसी का दिया प्रसाद ह़ै
सोचकर हर कदम बढ़ाया
मिलता वही ह़ै जो वो देता ह़ै
ना की हमारे चाहने मात्र से
और उसने उन सबको दिया
ज़ो भी जिस वास्तु के पात्र थे
जो कुछ दे दिया ह़ै उसने
उसे पहले सम्भालना सीखो
आगे भी वही सब देगा
उसकी भी उपासना सीखो
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