Thursday, 30 October 2014

Meri Beewee

मेरी पत्नी

हैरत में हूँ क्या देखा उसने
मुझमे ऐसी कोई महानता न थी।
खुदा ने दिया था उसको भी
दो ऑंखें, नाक, कान फिर भी -

उस देवी ने अपनी ऑंखें मूंदी
और मेरे पीछे पीछे चल दी।
उम्र भर साथ निभाया और
हर किसी मोड़, चौराहे पर भी।

मुर्दे भी कंधे बदलते रहते पर
उसकी जिंदगी मेरे पनाह टिकी।
 रिश्ता निभाना कोई उससे सीखे
दिल्लगी भी दिल दुखा के की।

कहने पर कि सर में दर्द है
उठाया तेल और ऊपर धर दी।
कौन कहता ये कमीज मत पहनो
इसकी तो एक बटन है टूटी।

और कौन कहता ठंडी हो गयी
अभी सेक देती हूँ गरम रोटी।
कौन कहता सोना सस्ता हो गया
बनवा लेते हैं बाली, झुमकी।

कौन कुर्बान करता हमारे लिए
अपने अनेक अरमान का।
किसके संग हम  नाम रखते
मिलकर अपनी संतान का।

बच्चों को कौन डांट कर कहता
'शोर न करो, पापा सो रहे हैं।
चलो मिलकर हाथ बटायें
कितना बोझ, अकेले ढो रहे हैं। '

और किसके लिए जी करता
क्या क्या लाएं, कर दें उसके नाम।
पत्नी न होती तो कौन रखता
सुन्दर, स्वर्ग सा मेरा यह धाम।

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