खिलौना टूटा
चुप कराती मम्मी
नया मिलेगा
शीश नवाये
बड़े बुजुर्ग रखें
सिर पे हाथ
टूटी झोपड़ी
निर्धन न चिंतित
नयी बनेगी
नमः नमन
नियंत्रण में होता
स्वतः ही मन
मुर्झाये पौधे
नयी रंगत आई
क्यारी में पानी
चेहरे पर
किसान के मुस्कान
अच्छी फसल
आरम्भ हुई
फसल कटते ही
वर की खोज
घाट या रेल
बस ठेलम ठेल
कुम्भ का मेला
पाप मिटाने
चले कुम्भ नहाने
मन की आस्था
गंगा नहान
धुले मन की मैल
संग में पाप
बच्चे ने माँगा
दिखा दी उसको मां
थाली में चाँद
पटाखे छोड़े
स्तब्ध भीड़ बुझाती
घर की आग
मुंडेर पर
बैठा कागा बोलता
मैं जोहूं बाट
बहला देता
कागज का जहाज
बच्चे का दिल
द्वार लटकी
नीबू मिर्ची की माला
नयी दुकान
कुछ किरणे
घट भीतर भेजो
हे सूर्य देव
बदले मांगें
जान और जीवन
सूर्य को अर्क
खगों का गाना
सुबह के अँधेरे
बादल घेरे
सुबह हुई
सूरज सोता रहा
बादल ओढ़े
माँगा था पैसा
पिता की फटकार
बेटा उदास
बुरी नज़र
माथे पे काला टीका
फिर क्या डर
द्वार लटकी
नीबू मिर्च की माला
नई दुकान
चाह न जागे
वैभव देखकर
मन की जीत
बड़ा न कोई
ईश्वर के नाम से
मन का मीत
मोह ले मन
नयनों का अंजन
श्रृंगार बन
बच्चे का हठ
माँ की झुंझलाहट
गाल पे चांटा
हाथ पकड़े
घिसटता जा रहा
गोदी की जिद्द
बच्चे ने माँगा
खेलने का खिलौना
हाथ में टॉफ़ी
गंजेपन की
किया वर्षों चिकित्सा
डॉक्टर गंजा
अगर पूछे
कि हाइकू काहेकु
सूत्र में काव्य
अगर कहो
कविता भोजन है
हाइकू जूस
आम का बाग़
एक गिरा भदाक
किसके हाथ
हाथ में आम
पेड़ पे चढ़े बिन
तोते का जूठा
वृक्ष शाखाएं
तूफान की हो गयीं
दिक दर्शक
दुर्दांत नहीं
बहन नीलोफर
हुदहुद सी
छठ की पूजा
लचकती बहँगी
भक्ति का भार
गंगा नहान
धुले मन का मैल
पाप के संग
मन भावन
करे मन पावन
गंगा दर्शन
अगर पूछे
कि हाइकू काहेकु
सूत्र में काव्य
मैं भी उडाता
कागज का जहाज
नन्हा सा पोता
फिर से लौटी
नाती पोतों के संग
बाल अवस्था
चुप कराती मम्मी
नया मिलेगा
शीश नवाये
बड़े बुजुर्ग रखें
सिर पे हाथ
टूटी झोपड़ी
निर्धन न चिंतित
नयी बनेगी
नमः नमन
नियंत्रण में होता
स्वतः ही मन
मुर्झाये पौधे
नयी रंगत आई
क्यारी में पानी
चेहरे पर
किसान के मुस्कान
अच्छी फसल
आरम्भ हुई
फसल कटते ही
वर की खोज
घाट या रेल
बस ठेलम ठेल
कुम्भ का मेला
पाप मिटाने
चले कुम्भ नहाने
मन की आस्था
गंगा नहान
धुले मन की मैल
संग में पाप
बच्चे ने माँगा
दिखा दी उसको मां
थाली में चाँद
पटाखे छोड़े
स्तब्ध भीड़ बुझाती
घर की आग
मुंडेर पर
बैठा कागा बोलता
मैं जोहूं बाट
बहला देता
कागज का जहाज
बच्चे का दिल
द्वार लटकी
नीबू मिर्ची की माला
नयी दुकान
कुछ किरणे
घट भीतर भेजो
हे सूर्य देव
बदले मांगें
जान और जीवन
सूर्य को अर्क
खगों का गाना
सुबह के अँधेरे
बादल घेरे
सुबह हुई
सूरज सोता रहा
बादल ओढ़े
माँगा था पैसा
पिता की फटकार
बेटा उदास
बुरी नज़र
माथे पे काला टीका
फिर क्या डर
द्वार लटकी
नीबू मिर्च की माला
नई दुकान
चाह न जागे
वैभव देखकर
मन की जीत
बड़ा न कोई
ईश्वर के नाम से
मन का मीत
मोह ले मन
नयनों का अंजन
श्रृंगार बन
बच्चे का हठ
माँ की झुंझलाहट
गाल पे चांटा
हाथ पकड़े
घिसटता जा रहा
गोदी की जिद्द
बच्चे ने माँगा
खेलने का खिलौना
हाथ में टॉफ़ी
गंजेपन की
किया वर्षों चिकित्सा
डॉक्टर गंजा
अगर पूछे
कि हाइकू काहेकु
सूत्र में काव्य
अगर कहो
कविता भोजन है
हाइकू जूस
आम का बाग़
एक गिरा भदाक
किसके हाथ
हाथ में आम
पेड़ पे चढ़े बिन
तोते का जूठा
वृक्ष शाखाएं
तूफान की हो गयीं
दिक दर्शक
दुर्दांत नहीं
बहन नीलोफर
हुदहुद सी
छठ की पूजा
लचकती बहँगी
भक्ति का भार
गंगा नहान
धुले मन का मैल
पाप के संग
मन भावन
करे मन पावन
गंगा दर्शन
अगर पूछे
कि हाइकू काहेकु
सूत्र में काव्य
मैं भी उडाता
कागज का जहाज
नन्हा सा पोता
फिर से लौटी
नाती पोतों के संग
बाल अवस्था
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