होली गीत
आई है होली मतवाली, खेलेंगे जी भर रंग।
करेंगे न परहेज आज हम, लेने से थोड़ी भंग।
जोगीरा स र र र - २
सरसों फूली, आम बौराये छायी चहुँ ओर उमंग।
झूम झूम के घूमें इत उत, गुन गुन कर मकरंद।
जोगीरा स र र र - २
होते ही सुबह शुरू हो गयी, बच्चों की हुड़दंग।
तान पिचकारी आते जाते पर खूब जमाते रंग।
जोगीरा स र र र २
लेकर रंग, गुलाल घरों से, निकल पड़ी है टोली।
नाचत, गावत, ढोल बजावत, खेलन को होली।
जोगीरा स र र र - २
बाज रहा है ढोल मजीरा, गूंज रहा है फगुआ।
देख रंग, होली में रंगीन, मन जोगी का हुआ।
जोगीरा स र र र - २
चोली भीगे, चुनरी भीगे, भीगे अंगिया सारी।
जीजा ने उठाई पिचकारी, साली पे दे मारी।
जोगीरा स र र र - २
ऋतु को हुआ जवान देख, बुड्ढों पे जवानी छाई।
फागुन मास, होली आई, भर भर खुशियां लाई।
जोगीरा स र र र - २
खेलेंगे होली
टेसू फूले, कोयल कुहुकी, मन महकाती बयार डोली।
ढोल बजाते, फगुआ गाते, आई सहेलियों की टोली।
मन के रंग उतार कूंची से, रख दिया दहलीज पे ऐसे,
उतरी निखरी इंद्रधनुष बन, सुन्दर सतरंगी रंगोली।
घर पर बने पकवान कई, छोड़ जाने को जी ना चाहे,
खड़ी सहेलियां ले जाने को, संग में खेलन री होली।
मीठे और गुजिया के संग, देवर भाभी के मीठे रिश्ते,
होली के दिन साली जुट गयी, करने जीजा जी से ठिठोली।
मन गुलशन में रंग बिरंगे, मुस्काएं फूल उमंग भरे,
खेलेंगी हम इस दिन खूब, रंगों में डूब सखी री होली।
बीता साल पूरा एक, तब, आया खुशियों का त्यौहार,
खेलेगी ना रंग पिया से, फगुआ में तू! कितनी भोली!
चारों ओर मस्ती छाई, धुन मधुर हवा के झोंके लाई,
भीगेगा, जो आयेगा छैला, कढ़ ले घर से हमजोली।
होली के रंग
ऋतु
धरा जुड़ाई, भिगोया बहुत बसंत, होली के रंग।
मस्ती लाये, छू मंतर हो गयी ठण्ड, होली के रंग।
टेसू फूले, अमवा बौराये, महक उठे उपवन,
उमड़े चुराने बागों में देखो रे मकरंद, होली के रंग।
आये जगाने धरती को ले के मार्तण्ड, होली के रंग।
उड़े गुलाल रंग गए हवा के अंग, होली के रंग।
धरती की हो गयी लाल, नीली पीली, धानी, चुनरी,
देख बौराये आम, पीये बिना ही भंग, होली के रंग।
परंपरा
जली होलिका आज, कल खेलेंगे साथ, होली के रंग।
छनेगी भांग, खेल लेने के पश्चात, होली के रंग।
गाते बजाते चलेगी टोली, करते मस्ती, हुड़दंग;
जीभ की गुजिया, जीवन की मिठास, होली के रंग।
रिश्ते
देवर भीगा, अब ननद की है बारी, होली के रंग।
डाल के साली, जीजा को रंग डारी, होली के रंग।
खेलूंगी होली इस बार पिया से रंगो में मैं भीग,
चुनरी संग भीगी अंगिया सारी, होली के रंग।
भाव व् रस
भर रखे जो खुद, टब में गिरे, होली के रंग।
ले बच्चे संग आज कल जो लड़े, होली के रंग।
सूरत छैला की हुई रंग के डरावनी बड़ी,
क्रोध की क्या बात! प्रेम से भरे, होली के रंग।
जुटीं, होली पे खेलने सहेली, होली के रंग।
कोई न भाये, घर पे अकेली, होली के रंग।
पिया परदेश, मन ना भाये कोई भी रंग,
फीके लगे, बने इस बार पहेली, होली के रंग।
उमंग
भांग का गोला, खाकर खेलने डोला, होली के रंग।
गाती बजाती टोली चली उस टोला, होली के रंग।
उमंग भरे बच्चे, बूढ़े, जवान निकले सीना तान,
सतरंगी रंगा, आज सबका चोला, होली के रंग।
करती चली, होली की हुड़दंग, मस्तों की टोली।
सिर से पैर, रंजित चली रंग, मस्तों की टोली।
रंगती सबको, चली उड़ाती हवाओं में गुलाल,
बजाती, झाल, मजीरा मृदंग, मस्तों की टोली।
दैविक
कान्हा के हाथ कनक पिचकारी, होली के रंग।
लगा के निशाना राधा पे मारी, होली के रंग।
भाये न रंग, कान्हा से होकर तंग, पुकारी राधा,
डारो न श्याम, भीगे अंगिया सारी, होली के रंग।
राधा ने मारी, कान्हा पे पिचकारी, रंगों में डूब।
खेलूंगी होली, मैं भी तोसे सखा री, रंगों में डूब।
फागुन मास, मन हो गया मतवाला सभी का,
खेलत होली, बरसाने में नर नारी, रंगों में डूब।
जीवन
जान न पहचान, रंगों की घान, होली के दिन।
छनता मालपुआ, होत बिहान, होली के दिन।
भोला डोला, दिन भर ढूंढता, भांग का गोला,
पहन के निकला पुराने परिधान, होली के दिन।
दुबकी साली, जीजा संग आ रही, होली की टोली।
जुमी द्वार चिप्स गुजिया खा रही, होली की टोली।
पता नहीं रंगो में डूबा, चेहरे के पीछे कौन छुपा,
नहीं अघात; फगुआ, चैता गा रही, होली की टोली।
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