पेट से बड़ी भूख
भूख किसी के पेट से, अगर बड़ी हो जाय।
कितना भी पाये कम लगे, कबहुँ नहीं अघाय।
नाक सिर से ऊँची हो, समझे सबको हीन।
चल रही दुनिया उससे, इसी सोच में लीन।
जीभ गर मुंह के बाहर, कुछ भी सकता बोल।
गाली बकना उसे सरल, शब्द सके ना तोल।
आंख हो सिर के ऊपर, ताके वो ना नीचे।
लाज हया बाहर रखे, चले ऑंखें मींचे।
कान गर सिर के ऊपर, झूठी ऊँची शान।
छोटों के जज्बात का, दे न सके वो ध्यान।
पशु समान जानो उसे, जिसकी मोटी खाल।
महसूस ना करे कभी, और किसी का हाल।
रखता ज्ञान जो ऊपर, कबहुँ न रखे गरूर।
बाँट के चलता सबको, पास रखे जो गूर।
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