Thursday, 13 March 2014

Aadami aur pashu





आदमी और पशु 

झगड़ते तो हैं पशु भी, युद्ध करे ना कोय। 
इंसान बिना बात भी, बीज युद्ध के बोय। 

हाथी चढ़े ना हाथी, घोडा न घुड़सवार। 
होय आदमी बेझिझक, आदमी पे सवार। 

विशिष्ट होता आदमी, चाहे होय अशिष्ट।   
पशु को देखा ना कभी, पशु में होत विशिष्ट।  


लालच कुत्ता भी करे, छीनत है पर नाहिं। 
बिना जरूरत छीन ले, आदमी बन्दर मांहि। 

जानवर वे इस कारण, सकें नहिं मुस्कराय।
मुस्करा भी ले मनुष्य, अरु पशु भी बन जाय।

- एस. डी. तिवारी 

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