Saturday, 29 March 2014

Pyar Muktak


बहुत कठिन है डगर प्यार की। 
जाना पथ पर मगर प्यार की। 
पाओगे निश्चित रस मीठा, 
बनो मकरंद अगर प्यार की। 

साफ घर में भी कूड़े के लिये, एक कोना होता है।
रात में जागने के लिये, दिन में सोना होता है।
लगन से ढूंढता जो भी पाता वो प्यार अपना
कुछ पाने के लिये, हरेक को कुछ खोना होता है।

प्यार के लिए दिल ललक जाता है। 
प्यार पा के जीवन पुलक जाता है।
प्यार के बिना होती जिंदगी मरुथल, 
आदमी राह से बहक जाता है।

अकेला रह जाता अगर प्यार नहीं होता।
तुम्हें कैसे पाता अगर प्यार नहीं होता।
प्यार की अंगुली में ये सोने की अंगूठी
भला क्यों पहनाता अगर प्यार नहीं होता।
 
भाव भरे मन येकविता जनने कोव्याकुल हर बार हुआ। 
मैं रीझ गया भावों परमुझको कविता से प्यार हुआ।
शब्दों के फूल किया अर्पणसपना मेरा साकार हुआ 
कविता की खातिर फिर तोजीवन अपना न्यौछार हुआ। 


जिंदगी में प्यार बड़ी नीमत है। 
प्यार की बस प्यार ही कीमत है। 
सच्चा प्यार मुश्किल से मिलता,  
मिल जाय तो समझो गनीमत है। 


दिलों को खिलाएगी, प्यार की फुलवारी। 
रंग भी बिखरायेगी, प्यार की फुलवारी। 
मन में हरियाली और ताजगी भरकर, 
जिंदगी गमकाएगी, प्यार की फुलवारी। 

 
दिल में नहीं अगर ये प्यार होता। 
कोई कहाँ किसी का यार होता। 
किसी की व्यथा न समझता कोई, 
कितना रूखा सा संसार होता।  
  

कितना प्यार बह गया। 
खड़ा देखता रह गया।
तुमसे मिलने से पहले, 
बड़ा वक्त बेवजह गया। 

खुदा ने दिल नहीं बनाया होता। 
इंसान प्यार कहाँ बसाया होता।   
कहाँ कोई किसी का अपना होता, 
किस तरह से कोई पराया होता। 

बेकार है प्रेम में मिली जीत, मीत मेरे।
हार से ही पैदा होते हैं गीत, मीत मेरे।
हारा तो हारा ही होता, जीता भी हारा,
प्रीत की कुछ ऐसी ही रीत, मीत मेरे। 
   

होती है बड़ी रूहानी, प्रेम वाटिका

महकाती जिंदगानी, प्रेम वाटिका 

देते रहोगे  नियमित जब पानी खाद,  

तभी तो होगी सुहानी, प्रेम वाटिका


ओहदा मेरी सरकार नहीं देखो। 
कोठी, बंगला और कार नहीं देखो। 
रखते हैसियत प्यार निभाने की, 
धन दौलत का अम्बार नहीं देखो। 

किसी ने दगा दिया तो हम क्यों मरें!
बेवफाई वो किया तो हम क्यों मरें!
दुनिया में कहीं और दिल लगा लेंगे,
दामन छुड़ा लिया तो हम क्यों मरें!
   
तूने ये दिल दिया, दिल में प्यार दिया। 
रिश्ते नाते दिए, दोस्त और यार दिया।
कैसे हम करें खुदा! तेरा शुक्रिया अदा,  
जिंदगी जीने को प्यारा सा संसार दिया। 

 


कबसे संजोये हुए मुहब्बत का ख्वाब।
चौक पर खड़ा था वो लेकर के गुलाब। 
कोई तो दीवानी थाम लेगी आकर के,
जोहता रहा वाट, वह होकर के बेताब।



मेरे दिल में उड़ने को, कोई बटेरनी निकली।

लगी चोंच मारने, जैसे कठफोरनी निकली।

अब तो वह गुर्रा उठती है, हर बात पर मेरी,

ससुर ने गाय बताई थी, वो शेरनी निकली।


    


आनंद के फूल खिलते, प्रेम वाटिका में। 

कहीं कहीं शूल मिलते, प्रेम वाटिका में। 

रस, रंग, सुगंध और ताजगी से भरपूर,  

जिंदगी के मूल पलते, प्रेम वाटिका में। 


कितना विरोधाभास। 

प्रेम ना आता रास।

फूल व कांटे दोनों, 

रहते एक आवास। 

  

होता हूँ देख के दंग, प्रेम फुलवारी। 

धरे है कितने रंग, प्रेम फुलवारी।  

आ जाते हैं दोनों ही मौज मनाने 

भौंरा व तितली संग, प्रेम फुलवारी।   



प्रेम की होकर दिवानी।  

कान्हा के राधा रानी। 

युगों युगों तक के लिए,

वो कर ली अमर कहानी।   

 

 

दिल ये बनाया हरि ने, बड़ी निराली चीज। 

डाल दिया गहराई में, गजब प्यार का बीज। 


अद्भुत प्यार की दुनिया, देखे जाति न धर्म।
होता है प्यार अँधा, देखे केवल मर्म। 

रहस्यों का भरा घड़ा, ढूंढे मिलता प्यार। 
जो पाये वह हो जाय, भवसागर से पार। 

 

प्राणियों में मनुष्य ही, पाया यह उपहार।  

उसे खुदा ने दिल दिया, करने को बस प्यार। 


बन जाती कइयों बार, छोटी सी बस भूल। 
अहम् और वहम की भी, बीच प्यार के शूल।  


आकर्षण या समर्पण, किसे कहें हम प्यार। 

दिमाग सोच चकराया, समझ न पाया यार।  


ऐसी ना तुला कोई, सके प्यार को तोल। 

ना ही जग में रतन है, दे दे इसका मोल। 


प्यार की खातिर चाहिए, हीरा रतन न हार।  

मिलता है प्यार के ही, बदले में बस प्यार।  


प्यार में हो शर्त नहीं, शर्तों पे ना प्यार। 

शर्तों वाले प्यार में, समाहित  व्यापर न होती।

ईर्ष्या, घृणा की आग,
जलाकर कर देती, प्रगाढ़ प्रीति भी राख।

ऐसी ताकत ऐसा बल रखता' प्यार;  
बोझ घृणा का भारी,  सिर से देता उतार। 


प्यार में होती है बड़ी गजब की शक्ति ,
चरम पर होता प्यार,कहलाती वो भक्ति।


प्रियतम तुम  जाना। 
करके कोई बहाना 
जोहूंगी वाट तुम्हारी, 
आकर नींद चुराना।  
                
किसी को जल, स्थल, जीव, प्रकृति से प्यार। 
किसी को खाद्य, पेय, वस्तु, कृति से प्यार। 
जरूरी नहीं किसी व्यक्ति विशेष से ही हो,
होता साहित्य, कला, वृत्ति, प्रवृत्ति से प्यार।

प्यार साथ का बल है, प्रसन्नता का साधन है। 
प्यार इस संसार में सफलता का आंगन है।
प्यार बिना इस जग को समझना बहुत कठिन,
मनुष्य सबसे प्यार करे, प्रभु ने बनाया मन है। 

दुनिया में अटे पड़े, वस्तु हजारों हजार। 
जिनसे मन लगाकर, मनुष्य करता प्यार। 
प्यार ऐसी चीज है संचित कर घट जाती, 
बढ़ता जाता और ही जितना बांटो प्यार। 

मनुष्य का हृदय एक, ऐसा विशाल घड़ा। 
जहाँ रहते एक जगह, दोनों प्यार, घृणा।
संकरा करने से बस नफ़रत ही निकलती, 
निकालो प्यार खंगाल, दिल को करके बड़ा। 

 
साधु संतों का यही है कहना।  
होता प्यार मानवता का गहना।
द्वेष घृणा को छोड़ कर मानव,
दुनिया में प्यार से ही रहना। 
 
चिंता छोड़, क्या कहेंगे लोग।  
पाल लेते हैं प्यार का रोग। 
रूप की माया के चक्कर में, 
फंस जाते योगी तजकर योग।  


उनसे जो मिली नजर। 
प्रेम की चल दिए डगर। 
सुध बुध भी खोया अपना, 
हुस्न का जादुई असर। 


प्रेम की कहानियां 



     प्याज, सरसों तेल, हल्दी, अजवाइन, कपूर  

                 


जर, जोरू, जमीन। 
गाड़ देते नीचे तीन।  
हो जाता है आदमी 
इनके लिए कमीन।  





मतलब के लिए रोता है आदमी।
मतलब को लिए ढोता है आदमी।
जब तक अपना मतलब दिखता,
साथ साथ लगा होता है आदमी।

अनजानी दौड़ में लगी है आदमी।
अजीब जोड़ तोड़ में लगी है आदमी।
जैसे भी हो सके, दूसरों का माल
हड़पने की होड़ में लगा है आदमी।
 .

जिसका बुराइयों का घड़ा भरा होता है।

वह तो हर लमहा ही बड़ा डरा होता है।

जिंदगी उसकी खुद पर ही लानत होती,

आदमी मरने से पहले ही मरा होता है।



कुछ लोग हैं जो लाल कालीन पर जरूर चले हैं।

उनको भी देखो, कंकड़, काँटों में मजबूर चले हैं।

चलने का ढिंढोरा, उनका ही ज्यादा पीटा जाता,

पैरों में धूल लगी नहीं, कहते हैं बड़ी दूर चले हैं। 



In this book 'The Love Garden' or 'Prem Vatika' contains hundreds of gorgeous verses of love, romance and pain of separations. All the verses have independent meaning, out of which, few are witty and few of them are deeply serious, touching the hearts and related to people's sentiments. The gardens have thorns also along with colorful fragrant flowers, similarly, in the path of love, one has to face sufferings and agonies too with the romance and enjoyment. So that every type of reader will get something in his mind. Though, it is difficult to explain about the supernatural peace and satisfaction that the mind feels between the flowers.
True love sorts out and chooses the flowers from the Garden of Love and attains pleasure. 
 Contents of this book are bilingual (English and Hindi) and full of entertainment and expected to give heartful joy to the readers.




 
इस पुस्तक 'प्रेम वाटिका' में प्रेम, रोमांस और अलगाव के दर्द के सैकड़ों बेहतरीन मुक्तक छंद हैं, जो प्रेम और विरह के विभिन्न पहलूओं को समाहित किये हुए हैं। सभी छंदों का स्वतंत्र अर्थ है। इनमें कुछ विनोदी हैं, तो कुछ हृदय को छूने वाले अति गंभीर हैं। वाटिका में रंग बिरंगे सुगन्धित पुष्पों के साथ कांटे भी होते हैं, इसी प्रकार प्रेम की डगर में आनंद के संग कष्ट व व्यथा का भी सामना करना पड़ता है फिर भी फूलों के मध्य मन को जिस अलौकिक शांति और संतुष्टि की अनुभूति होती है, उसकी परिकल्पना करना कठिन है सच्चा प्रेम काँटों को छांट कर फूल चुन लेता है तथा आनंद की प्राप्ति कर लेता है ये छंद सभी लोगों की भावनाओं से संबंधित हैं,  जिनसे हर प्रकार के पाठक को, उसके मन के योग कुछ न कुछ मिलेगा। उम्मीद है मनोरंजन से भरपूर इस पुस्तक के रंग बिरंगे व सुगन्धित पुष्प पाठकों को आनन्दित करने में सफल होंगे।  
 


दिल है कि प्यार के लिए ललक जाता है
पाकर प्यार हरेक दिल फड़क जाता है।

प्यार के बिना होती जिंदगी मरुस्थल
मिले प्यार तो जीवन पुलक जाता है।

दिल में प्यार नहीं, वो भी इन्सां कहीं
ऐसों से मिल के दिल दलक जाता है।

दया, धर्म, कर्त्तव्य, निष्ठा उसी के पास
जिसके वक्ष से प्यार ढलक जाता है।

जिंदगी में भरा होता है प्यार जिनके
खुशियों का रास्ता दूर तलक जाता है।

बंद कर ले प्यार को, ताला नहीं आता
प्यार तो आँखों से ही छलक जाता है।

कितना भी छुपा लो, छुप नहीं पाता
प्यार है कि चेहरे पर झलक जाता है।



Perfume



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आस पास की जब हवा महक जाती है 
समझ लेते हैं वो यहीं कहीं से निकले हैं।  
कुत्ते की कभी जब नाक बहक जाती है 
समझ लेते हैं वो यहीं कहीं से निकले हैं। 
फूलों की खुशबू जब बेअसर पड़ जाती है 
समझ लेते हैं वो यहीं कहीं से निकले हैं। 
शराब की बोतल पानी से भरी लगती है  
समझ लेते हैं वो यहीं कहीं से निकले हैं। 
फूलों से दूर कहीं भौरे मचलने लगते हैं 
समझ लेते हैं वो यहीं कहीं से निकले हैं। 
इत्र की खुशबु मदहोश करने लग जाती है 
समझ लेते हैं वो यहीं कहीं से निकले हैं। 

Tashvir to tune dekhi



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बहारों के जाने का आभास क्यों है ?
बेचैनियों का पल आस पास क्यों है ?
फिजां जो छेड़ जातीं थी आ के 
मुंह मोड़े हुए अनायास क्यों है ?


Wo bewafa nikala



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बेवफा निकला 

जिसे महबूब समझा था वो बेवफा निकला। 
जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ के सफा निकला। 
मंजिल तो उसकी और ही पहले से तय थी 
जुट गया उन कामों में जिनमें नफा निकला। 
बोल के गया संवार देगा जिंदगी एक दिन 
वादा का हर पलटा हुआ कोरा सफा निकला। 
करके निगाहें मेरी ओर वो मीठी बोल गया
फिर निगाहें फेर बगल से कई दफा निकला। 
मैंने तो अपना जान, दे दिया मत उसको 
वो बात भी न करता जैसे खफा निकला। 
मेरे संग बहुतों ने किया भरोसा उस पर 
मगर मतलबी वह, करता जफ़ा निकला। 
अपने रहने लगा महलों के अंदर जाकर  
हमें गेट पर ही रोकता हर दफा निकला।   

       - एस० डी० तिवारी 
 


Pyar aankhon me jhalak jata hai





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दिल है कि प्यार के लिए ललक जाता है
पाकर प्यार हरेक दिल फड़क जाता है।

प्यार के बिना होती जिंदगी मरुस्थल
मिले प्यार तो जीवन पुलक जाता है।

दिल में प्यार नहीं, वो भी इन्सां कहीं
ऐसों से मिल के दिल दलक जाता है।

दया, धर्म, कर्त्तव्य, निष्ठा उसी के पास
जिसके वक्ष से प्यार ढलक जाता है।

जिंदगी में भरा होता है प्यार जिनके
खुशियों का रास्ता दूर तलक जाता है।

बंद कर ले प्यार को, ताला नहीं आता
प्यार तो आँखों से ही छलक जाता है।

कितना भी छुपा लो, छुप नहीं पाता
प्यार है कि चेहरे पर झलक जाता है।

- एस० डी० तिवारी    

Media aur Manthara



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