मेरे भारत की परिपाटी है।
सोना से बढ़कर माटी है।
प्रेम सत्य के पथ पर चलना।
कला संस्कृति के संग बढ़ना।
पौराणिक कथाओं का भंडार,
पर्व, उत्सव में मगन ही रहना।
गाते, हँसते खेती करके,
फसल खुशियों की काटी है। मेरे भारत की ..
देश की खातिर वीर जवान।
डंटे सीमा पर सीना तान।
संकट कोई भी आने पर,
हिचक तनिक ना देने में जान।
इंच इंच की रक्षा में ऊँची,
रखे छप्पन इंच की छाती हैं। मेरे देश की
कठिनाई से नहीं डरते हम।
डगर विकास की चलते हम।
विज्ञान संस्कृति का समन्वय,
अध्यात्म सर्वोपरि रखते हम।
डंट के करते हैं हम काम,
खाते दूध दही घी खाटी हैं। मेरे भारत की ..
व्यनजनों का यहाँ मेला है।
नाना पकवानों का रेला है।
छोले भठूरे, आलू कचौड़ी,
पानी पूरी का ठेला है।
कहीं ढोकला, सांभर डोसा,
कहीं पर चोखा बाटी है। मेरे भारत की ..
देवी देवों का वास यहाँ है।
राधा कृष्ण का रास यहाँ है।
राम नाम के मन्त्र का मंथन,
पावन धरती आकाश यहाँ है।
भजन कीर्तन करते लोगों की,
जिंदगी सुन्दर कट जाती है। मेरे भारत की ..
मन में जिसका बसा है कण कण।
वह माटी प्राणों से बढ़कर।
हो जाएँ कभी दूर हम उससे,
याद सताती उसकी हर क्षण।
दिया है जीवन का सुख सारा,
माँ भारती प्रेम की थाती है। मेरे भारत की ..
- एस. डी. तिवारी
सोना से बढ़कर माटी है।
प्रेम सत्य के पथ पर चलना।
कला संस्कृति के संग बढ़ना।
पौराणिक कथाओं का भंडार,
पर्व, उत्सव में मगन ही रहना।
गाते, हँसते खेती करके,
फसल खुशियों की काटी है। मेरे भारत की ..
देश की खातिर वीर जवान।
डंटे सीमा पर सीना तान।
संकट कोई भी आने पर,
हिचक तनिक ना देने में जान।
इंच इंच की रक्षा में ऊँची,
रखे छप्पन इंच की छाती हैं। मेरे देश की
कठिनाई से नहीं डरते हम।
डगर विकास की चलते हम।
विज्ञान संस्कृति का समन्वय,
अध्यात्म सर्वोपरि रखते हम।
डंट के करते हैं हम काम,
खाते दूध दही घी खाटी हैं। मेरे भारत की ..
व्यनजनों का यहाँ मेला है।
नाना पकवानों का रेला है।
छोले भठूरे, आलू कचौड़ी,
पानी पूरी का ठेला है।
कहीं ढोकला, सांभर डोसा,
कहीं पर चोखा बाटी है। मेरे भारत की ..
देवी देवों का वास यहाँ है।
राधा कृष्ण का रास यहाँ है।
राम नाम के मन्त्र का मंथन,
पावन धरती आकाश यहाँ है।
भजन कीर्तन करते लोगों की,
जिंदगी सुन्दर कट जाती है। मेरे भारत की ..
मन में जिसका बसा है कण कण।
वह माटी प्राणों से बढ़कर।
हो जाएँ कभी दूर हम उससे,
याद सताती उसकी हर क्षण।
दिया है जीवन का सुख सारा,
माँ भारती प्रेम की थाती है। मेरे भारत की ..
- एस. डी. तिवारी
चाँद पर मेरा हिंदुस्तान
वैज्ञानिकों का ये अद्भुत अभियान।
पहुँच गया चाँद पर, मेरा हिंदुस्तान।
गया मामा के घर, विक्रम पहली बार।
अगली बार जायेगा, चाँद के भी पार।
अब रहे ना दूर के, चंदा मामा प्यारे।
तारों संग खेलेंगे, बच्चे जाकर सारे।
छीन लिया कविता से, चाँद को विज्ञान।
पहुँच गया चाँद पर, मेरा हिंदुस्तान।
वैज्ञानिकों का ये अद्भुत अभियान।
पहुँच गया चाँद पर, मेरा हिंदुस्तान।
गया मामा के घर, विक्रम पहली बार।
अगली बार जायेगा, चाँद के भी पार।
अब रहे ना दूर के, चंदा मामा प्यारे।
तारों संग खेलेंगे, बच्चे जाकर सारे।
छीन लिया कविता से, चाँद को विज्ञान।
पहुँच गया चाँद पर, मेरा हिंदुस्तान।
दो हजार उन्नीस का था सात सितम्बर।
भारत का तिरंगा फहरा चंद्र-भूमी पर।
वहां बनेगा मौसम, संचार का कार्यालय।
भारत का तिरंगा फहरा चंद्र-भूमी पर।
वहां बनेगा मौसम, संचार का कार्यालय।
अंतरिक्ष यात्रा का, नभ में विश्रामालय।
उतारा विज्ञानी चाँद ने चंदा पे चंद्रयान।
पहुँच गया चाँद पर, मेरा हिंदुस्तान।
होगी अब ना दूज की, न पूर्णिमा की आस।
जब चाहो देख आओ, चाँद को जा के पास।
व्रत में लगाएंगी नारियां, चाँद का चन्दन।
करेगी सारी दुनिया, भारत का अभिनन्दन।
राष्ट्र नहीं कोई जग में, भारत सा महान।
पहुँच गया चाँद पर, मेरा हिंदुस्तान।
एस. डी. तिवारी
उतारा विज्ञानी चाँद ने चंदा पे चंद्रयान।
पहुँच गया चाँद पर, मेरा हिंदुस्तान।
होगी अब ना दूज की, न पूर्णिमा की आस।
जब चाहो देख आओ, चाँद को जा के पास।
व्रत में लगाएंगी नारियां, चाँद का चन्दन।
करेगी सारी दुनिया, भारत का अभिनन्दन।
राष्ट्र नहीं कोई जग में, भारत सा महान।
पहुँच गया चाँद पर, मेरा हिंदुस्तान।
एस. डी. तिवारी
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