Tuesday, 17 September 2019

Pyar boond 3



हथेली पर रख जान
प्यार किया है तुझसे
दगा नहिं देना जान

खेले घर अंगना में
देखती है माँ केवल
सारा सुख ललना में

माँ बाप का ही प्यार
कर देते हैं बच्चों का
गलतियां माफ़ हजार

बेशक दे बेटा गम
सुत हेतु माँ का प्यार
कभी नहीं होता कम

दवा से अधिक आशीष
माँ का आता है काम
नवाये रखना शीश

लाल बिछुड़ जाता है
उस माँ का नहीं कोई
दुखड़ा हर पाता है

होता है माँ का प्यार
डांटती कभी वो जब
बिगड़े कहीं ना लाल

शिशु की किलकारी है
पाने के लिए जो माँ
सब कुछ ही हारी है

पापा कहीं जाते थे
अवश्य ही मेरे लिए
चीज कोई लाते थे

बांधने का है तार
रिश्ते नातों को साथ
उनका परस्पर प्यार


दिन रात है मरता
देश का अपने नेता
कैसे भी मिले सत्ता

हो जाता जब लगाव
नेता की सत्ता से
देता न किसी को भाव

नेता लगाव रखता
जन व जिम्मेदारी से
राष्ट्र आगे बढ़ता

थोड़े ही होते हैं
नेता बन के देश से
प्यार संजोते हैं

दूर होने पर वास
सताती बहुत ज्यादा
मातृभूमि की याद

केश से करती प्यार
संवारती ही रहती
दिन में कइयों बार

उपजता जहाँ से अन्न
होता जड़ा कृषक का
उस मिटटी में मन

कहीं भी जाते हैं
माँ के हाथों का स्वाद
भूल नहीं पाते हैं

कमाने गए विदेश
माँ की याद सताती
मन घेरे रहा क्लेश

लाते थे नए कपड़े
पापा स्नेह से हमको
खुश होते पहन बड़े

करना तेरा श्रृंगार
भारी पड़ गया अतिशः
मुझे हो आया प्यार

यूँ ही न बेकरारी
तौल तुला में देखो
प्यार है मेरा भारी

बिछुड़ जाने का दर्द
अपने आप बढ़ जाता
होता मौसम सर्द

प्यार बहुत था मगर
शादी का दिन दोनों का
निकला अलग अलग

दर्द का तो सामान
बिकता प्रेम की मंडी   
दवा की नहीं दुकान

दिखाता है जब रंग
रंग डालता ये प्यार 
राजा हो चाहे रंक

जाऊं मैं बार बार
जी चाहता वादियों में
मुझे पहाड़ से प्यार



दिखाई थी जो असर
कैद कर रखा अभी तक
मुझे उसकी वो नजर

दो ऑंखें जो कह गयीं
पत्थर कि लकीर बनकर
दिल में बसी रह गयीं

तुमने श्रृंगार किया
तारीफ़ हम करने चले
तीर सा उतार दिया

याद यूँ करना उसकी 
रात भर सोने न दिया
सताती रही हिचकी

किसी से दिल लगाया
खुद के रोने धोने को
दिल में इश्क जगाया

हुस्न देख वाह निकले
मुहब्बत फिर इतनी सी
दर्द से आह निकले

हुस्न का वो था असर
जिसने पागल कर दिया
लोग बोले बुरी नजर

एक पिंजरे में बंद
रोते पाने को पंछी
वन का प्यार क्षण चंद

था तो प्यार जरूर 
मौका पा पिंजरे से
तोता भागा अति दूर

ईंटों से चिपक ईंटें
प्यार से पकड़ी रहतीं
बना देती हैं भीतें

सारंगी की कमान
प्यार से अति सहलाकर
निकालती उत्तम तान

ढोलकी करती प्यार
सुर उत्तम ही देती
वादक से खा के मार

अधरों से मिले अधर
बांसुरी लगती गाने
प्यार भरे स्वर मधुर

चिड़िया लेती संवार
अपने प्यारे पंखों को
चोंच घुमा के मार

हो जाता है बंद
रति के रस में फंसकर
कमलदल में मकरंद

नाग को कोई मारे 
नागिन का सच्चा प्यार
मारती डंस हत्यारे

सुन्दर जग में न्यारे
प्रकृति की ये शोभा हैं
पशु होते अति प्यारे

खूंटे से करती प्यार
गैया चर के आती
शाम ढलते ही द्वार

ऊंट, घोड़े व हाथी
प्यार से ही रखने पर
बन जाते हैं साथी


बड़ा किया है पाल,
पावन इस धरती के
हम प्यारे नौनिहाल। 

नफ़रत बेचने वाले
धूल तुझे चटाएंगे, 
देश के हम रखवाले।

हमसे राष्ट्र की शान,
मुझे प्राणों से प्यारा 
ये मेरा हिंदुस्तान।

हवाओं! यहाँ बहना,
यह मेरा प्यारा देश 
अपने ढंग में रहना।

हुआ है जनम मेरा,
इस मिट्टी से प्यार 
करता यहाँ बसेरा।

करके प्राण न्यौछार
शहीद हुए जो वीर,
देश से रखते प्यार। 

गंगा जमुना कावेरी
हिमालय, हिन्द सागर,
बसते प्राण में मेरी।

घर कार नयी आयी,
पापा के साथ मिल के
करता रोज सफाई। 


करती बालों से प्यार,
संवारने में लगाती 
कई घंटे हर इतवार।


मैं भारत का वासी
प्यार बहुत करता हूँ 

थिरक उठते पांव सुन
बांध के घुंघरू
तबले की धुन

छोड़ गया निर्मोही
खेल


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