तिरंगा के तीनों रंग गांव ने दिया।
राष्ट्र के प्रमुख अंग गांव ने दिया।
हरा है कृषक, कृषि से हरियाली है।
केसरिया, सैनिकों की बलिहारी है।
श्वेत, श्रम का स्तम्भ गांव ने दिया।
तिरंगा के तीनों रंग गांव ने दिया।
बाकी सब तो हैं चक्र की तीलियाँ।
गांव के सहारे ही है उनकी दुनियां।
पेट भरने को अन्न गांव ने दिया।
तिरंगा के तीनों रंग गांव ने दिया।
आधुनिकता में भी संयम रखा है।
संस्कृति को देश की कायम रखा है।
लोक कला की उमंग गांव ने दिया।
तिरंगा के तीनों रंग गांव ने दिया।
पर्यावरण की जंग गांव लड़ता।
सीमा पर प्रहरी भी गांव भेजता।
कामगारों की पतंग गांव ने दिया।
तिरंगा के तीनों रंग गांव ने दिया।
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