जन जन के मन, जो बस जाता
अटल सा जनाजा निकल जाता
जनता को जिंदगी समर्पित कर
वही है जननायक कहलाता
मेरे राष्ट्र का कभी वो प्रधान था
सोलह अगस्त की हवा को नम कर
जन जन के मन में गहरा गम भर
महान था
एक बार मिली थी, हमें भी झलक।
बसाई है तस्वीर, अब तक ये पलक।
युग पुरुष के रूप में, तुम थे अटल,
छोड़ यादें जमीं पर, नाप रहे फलक!
एस. डी. तिवारी
तय करने
अलौकिक सफर
चला अटल
फरिश्ता बन
देवों के तपोवन
चला अटल
ठाना न रार
अटल माना हार
मृत्यु से जूझ
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