Monday, 20 August 2018

Flap cover gahmar


सरस्वती स्तुति

माँ सरस्वती! हे री, माँ सरस्वती!
कुत्सित बुद्धि, विचार संवारती। माँ सरस्वती!

श्वेताम्बर धरे, जलजासीन, 
कर वीणा  धरती।
ज्ञान चक्षु की ज्योति जला,
जग जगमग करती।
अज्ञानता के भव से तारती। माँ सरस्वती! 

विद्यारूपा, विमला है तू,
ज्ञान से भर देती। 
शास्त्र-रूपिणी,  सुधा-मूर्ति तू,
भाग्यवान कर देती।   
शुभदा! सबका शुभ विचारती। माँ सरस्वती!

उपासकों के तू माँ शारदे,  
उर के तम हरती।
ज्ञान से विज्ञान बनाती,
जीवन सुगम करती।
शरणागत के कष्ट निवारती। माँ सरस्वती!

हम अज्ञानी, तू ज्ञान दायिनी,
ज्ञान सुधा भर दे।  
भारत के अंधकार मिटाकर,
तू उज्वल कर दे। 
हे भारती! ये धरा पुकारती। माँ सरस्वती!

एस. डी. तिवारी



पलामू
यहाँ के आसमान में चाँद खिला खिला है।
धरती को भी खनिज का खजाना मिला है।
वातावरण है ऐसा कि सहज मन मोह लेता,
प्रकृति की गोद में खेलता पलामू जिला है।

जहाँ पर प्रकृति का अपना ही चमन है।
पलाश प्रसूनों को चूमता आता पवन है।  
जहाँ जल, जंगल का जादू, जोश जगाता,
उस पलामू की पावन भूमि को नमन है।

गहमर
माँ गंगा की एक एक लहर को नमन।
माँ कामाख्या के दिए वर को नमन।
यहाँ के सभी देवी, देवताओं और स्थल,
गहमर आने वाली हर डहर को नमन।

यहाँ की धरती और गगन को नमन।
चल रहे पूर्वा, पछुआ पवन को नमन।
गाँव को यहाँ तक लाने वाले पूर्वजों,
निवासियों के उत्साह, लगन को नमन।



पांच माँ
गहमर आया तो जान पाया क्या सिला है।
गहमर वासियों का दिल इतना कैसे खिला है।
यह तो यहाँ के निवासियों का सौभाग्य है
पांच माताओं का साक्षात प्यार मिला है।

प्यार देती माँ गंगा, ओढ़ा कर आँचल।
सुरक्षा, माँ कामाख्या के चरणों की पायल।
गो माता दूध, खुद की माँ देती आशीर्वाद,
और पालती माँ धरती, देकर गेहूं, चावल।


बड़ा
एक बार मुंबई गया तो बड़ा पाव खाया।
राजनीति के हाल देख बड़ा ताव खाया।
एशिया के सबसे बड़े गांव गहमर आया
यहाँ के प्यार सत्कार से बड़ा भाव खाया।


ताई तू कितनी भोली है
तुला प्यार के तोली है
पेज ६५ लाइन ३ झाड़ लाइन ९ सींचा

१.
हाइकु शास्त्र            

फ्रंट 
 सत्यदेव तिवारी जी ने ‘हाइकु शास्त्र’ नामक यह महत्वपूर्ण पुस्तक लिखकर नए लेखकों को हाइकु लिखने के आसान तरीके बताये हैं। इस पुस्तक को पढ़कर वह व्यक्ति भी कवि बन सकता है जिसने कभी भी कोई कविता नहीं लिखी। बस उसमें भाव और विचार को अभिव्यक्त करने की ललक होनी चाहिए। इस पुस्तक के चौदह अध्यायों में हाइकु का परिचय और सिद्धांत, उसमें रस और अलंकारों का समन्वयन एवं उसके मूल तत्वों की विवेचना करते हुए वार्णिक हाइकु, मात्रिक हाइकु, वाशो के हाइकु पर आधारित हाइकु, काबयाशी एस्सा एवं योसा बुसान की शैली में लिखे हुए हाइकु की बानगी देकर लेखक ने अपने विशिष्ट हाइकुकार होने का प्रमाण तो दिया ही है साथ ही हाइकु के भविष्य को संवारने में भी अपना योगदान दिया है।  ....
इन तमाम बातों को दृष्टि में रखकर  मैं श्री तिवारी जी को इस पुस्तक के प्रकाशन पर बहुत बधाइयाँ देता हूँ क्योंकि इस पुस्तक के द्वारा विश्व-विख्यात हाइकु विधा को हिन्दी में स्थापित होने में और भी बल मिलेगा और हाइकु के शास्त्र का ज्ञान प्राप्त करने के कारण बहुलता के साथ श्रेष्ठ हाइकु हिन्दी साहित्य की निधि बन सकेंगे..

डॉ. कुंवर बेचैन 




पीछे 
हिंदी साहित्य में हाइकु की लोकप्रियता दिनों दिन बढ़ती जा रही है। आजकल अनेकों लोग हाइकु लिख रहे हैं परन्तु इस विषय में सही और सटीक ज्ञान के बिना, कई बार हाइकुकार हाइकु को उसका उचित स्थान नहीं दे पाते। श्री एस. डी. तिवारी ने इस विषय में अद्वितीय कार्य किया है। उन्होंने इस 'हाइकु शास्त्र' के द्वारा न केवल नए हाइकुकारों को हाइकु लिखने के सरल व सहज तरीके बताये हैं अपितु पुराने हाइकुकार भी अपनी लेखनी में सुधार कर सकते हैं। 'हाइकु शास्त्र' हिंदी साहित्य लिए एक अमूल्य निधि है। इस पुस्तक के प्रकाशन पर मैं श्री तिवारी जी एवं प्रकाशक दोनों को ही हार्दिक बधाई देता हूँ। 

प्रो. ए. एल. दूबे 
दिल्ली विश्वविद्यालय  

२.
नन्हीं                          
फ्रंट 
 पहले वाला ही मैटर  
बंश नारायण तिवारी


जापानी काव्य की नहीं सी विधा हाइकु में अपने सूक्ष्म रूप में हर विषय समेटने की कला है।  इस विषय में निष्णात आ. श्री एस. डी. तिवारी सर ने अपनी पुस्तक नन्हीं में प्रकृति और जीवन के विभिन्न रंगों को इसी चमत्कारी नन्ही विधा में बिखेरा है। आ. एस. डी. तिवारी सर को बधाई एवं शुभेच्छाएं।
महिमा श्रीवास्तव वर्मा

पीछे  
अथक प्रयास के पश्चात् मेरे पति यानि श्री एस. डी. तिवारी जी नन्हीं नन्हीं कविताओं का यह संग्रह 'नन्हीं' लेकर आये हैं।  श्री एस. डी. तिवारी की 'नन्हीं' पढ़कर, मैं न केवल हाइकु के बारे में जान सकी अपितु इसे पढ़ने में मेरी निरंतर रूचि भी बढ़ती गयी। तिवारी जी की पुस्तक 'नन्हीं' के प्रकाशन पर, मैं बड़े की गौरव अनुभूति कर रही हूँ तथा उन्हें बहुत बहुत बधाई देती हूँ। 

सुनैना तिवारी   

मुझे हाइकु पढ़ने का अवसर श्री एस. डी. तिवारी की पुस्तक नन्हीं पढ़कर, पहली बार मिला। इसके पश्चात् तो उनके हाइकु रचनाओं का अम्बर लग गया। हाइकु संग्रह की उनकी आठ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। हाइकु जैसी नन्हीं कविता इतनी रोचक और आनंददायक हो सकती है इसका तो मुझे अनुमान भी न था। इस पुस्तक के  प्रकाशन पर मैं श्री एस. डी. तिवारी जी को बहुत बहुत बधाई देता हूँ। 

सुधांशु तिवारी 

३ 
बोलते मोती        
फ्रंट बंश नारायण तिवारी का पहले वाला 

पीछे 
श्री एस. डी. तिवारी का हाइकु संग्रह "बोलते मोती" लगभग एक हजार नन्हीं नन्हीं कविताओं का सुन्दर संग्रह है। इस संग्रह में समाहित हाइकु, लघु होने के साथ, बड़ी से बड़ी बात कहने में सक्षम हैं। जीवन के विभिन्न आयामों को भली प्रकार से समाहित करते हुए, तिवारी जी ने इन रचनाओं के द्वारा सिद्ध कर दिया है कि बड़ी बात कहने के लिए भी अधिक शब्दों की आवश्यकता नहीं होती, अपितु सही समझ और ज्ञान होना चाहिए। जैसा कि पुस्तक का नाम है 'बोलते मोती' इसका एक-एक छंद, मोती के समान बहुमूल्य है। मैं 'बोलते मोती' के प्रकाशन पर तिवारी जी को कोटिशः बधाई देता हूँ।

कवि महेंद्र चतुर्वेदी 

४. 
मोतियन की लड़ी  

फ्रंट 
हाइकु विधा में पारंगत श्री एस. डी. तिवारी ने इस पुस्तक 'मोतियन की लड़ी' में एक नया प्रयोग करके हाइकु को बहुत सरस और रुचिकर बना दिया है। किसी एक विषय पर कई हाइकु लिखकर और उसे माला में पिरोकर जहाँ तिवारी जी ने हाइकु के सौंदर्य को निखारा है, वहीँ इसे रसीला बना दिया है। अब वह दिन दूर नहीं कि हाइकु छंदों में गजल, गीत  व मुक्तक लिखे जाने लगेंगे। तिवारी जी ने प्रकृति के अतिरिक्त जीवन सम्बंधित अनेक विषयों को बड़े सुन्दर तरीके से हाइकु छंदों में बांधा है। इन्होंने हाइकु-बद्ध करके संक्षिप्त 'हाइकु रामायण' भी लिखा है, जिसमें अल्प समय में ही सम्पूर्ण रामायण का अवलोकन किया जा सकता है। इस पुस्तक के प्रकाशन पर वे साधुवाद के पात्र हैं तथा मैं उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ।   

विनयशील चतुर्वेदी  
प्राध्यापक एवं 
अध्यक्ष 
सोच (सोशल अॉर्गनाईजेशन फॉर केयर एंड हारमनी)

पीछे 
एस. डी. तिवारी जी ने हाइकु विधा पर बहुत ही सराहनीय कार्य किया है और अपने जीवन
अनुभवों को कविता में ढालकर एक व्यापक रचना संसार की निर्मित्ति की है | इस पुस्तक 'मोतियन की लड़ी'  के प्रकाशन पर मैं उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ | मुझे पूरा विश्वास है कि सुधि पाठक इस
पुस्तक की रचनाओं को मन से पढेंगे और उनके प्रभाव के आलोक में जीवन में नयी और
सकारात्मक दिशाएं तलाश करेंगे |
डॉ. प्रवीण शुक्ल
(कवि एवं साहित्यकार)

५ 
दिल्ली के झरोखे 
फ्रंट    
श्री एस. डी. तिवारी, हिंदी के समर्थ साहित्यकारों में हैं, जिन्होंने अभी तक कई काव्य कृतियां हिंदी को दी हैं । वे महानगर दिल्ली में रहते हैं ।  ... 
वस्तुतः 'दिल्ली के झरोखे' नामककाव्य संग्रह की रचनाओं के कलेवर का ताना मुख्य रूप से दिल्ली में ही प्राप्त हुए अनुभवों के कच्चे सूत से बुना गया है। फलतः कवि ने इस संग्रह का नामकरण भी 'दिल्ली के झरोखे' नाम से किया है। ... 
ये रचनाएँ दिल्ली के नैनंदिन जीवन से लेकर पल पल के जीवन में उत्पन्न होने वाली समस्याओं को इंगित करती हैं। इसी प्रकार कुछ अन्य, हटकर भी मानवीय मूल्यों की संवेदना को उकेरने वाली रचनाएँ भी इस संग्रह में आयी हैं। ... 

कविवर एस. डी. तिवारी को उनकी रचना धर्मिता और 'दिल्ली के झोरेखे' के लिए कोटि कोटि बधाई देता हूँ।

डॉ. महेश दिवाकर, डी. लिट्.
संस्थापक
अंतराष्ट्रीय साहित्य कला मंच
मुरादाबाद २४४००१ 

पीछे 
श्री एस. डी. तिवारी से एक लम्बे समय से मैं जुड़ा हूँ। वे एक कवि होने के साथ मेरे परम मित्र भी हैं। उनकी वैचारिक और विश्लेषक शक्ति की जितनी प्रशंसा की जाय वो कम है। दिल्ली में रहकर, जो अनुभव प्राप्त किये, उन्होंने अपनी कविताओं में बड़े बेहतरीन ढंग से उतारा है और उनकी उन रचनाओं का संग्रह 'दिल्ली के झरोखे' में प्रकाशित हो रहा है। 'दिल्ली के झरोखे' में अधिकांश कविताओं का कलेवर दिल्ली के परिवेश में ही घूमता है और सभी एक से बढ़कर एक हैं। यह पुस्तक पाठक को अपनी कविताओं द्वारा, दिल्ली की न केवल बाह्य अपितु उसकी अन्तर्दशा का भी दर्शन सजीव कराती हैं। 'दिल्ली के झरोखे' नामक इस पुस्तक के प्रकाशन पर मैं श्री तिवारी जी को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ। 
 
विद्यासागर मिश्र 
पूर्व निदेशक 
राष्ट्रीय सहकारिता प्रशिक्षण परिषद् 
दिल्ली 

६ 
मुहब्बत के मोती 
फ्रंट *
हाइकु के द्वारा इतनी बड़ी और प्रभावी बात कही जा सकती है, यह श्री एस. डी. तिवारी की पुस्तक "मुहब्बत के मोती" पढ़कर ही पता चला। श्री एस. डी. तिवारी लिखित "मुहब्बत के मोती" एक बेजोड़ हाइकु संग्रह है। इसके एक एक हाइकु, शेर से भी भारी लगते हैं। इस पुस्तक में लड़ियों में पिरोये हुए हाइकु तो हाइकु रचना की सुंदरता को चरम पर पहुंचाते हैं। इस पुस्तक को पढ़कर प्रेम और विरह के अनेक पहलुओं का एक साथ अनुभूति प्राप्त होती है। इस अनुपम रचना के लिए श्री तिवारी जी साधुवाद के पात्र हैं तथा इसके प्रकाशन पर मैं उन्हें बधाई देती हूँ।  

कुमुद चतुर्वेदी, प्राध्यापिका

 श्री एस. डी. तिवारी  लिखित "मुहब्बत के मोती", अनुराग, विराग तथा श्रृंगार विषयों पर लिखे हाइकु का एक अतीव सुन्दर संग्रह है। इस पुस्तक के प्रकाशन पर मैं तिवारी जी को बधाई देती हूँ।  

रेखा तिवारी, अध्यापिका,   

पीछे 
श्री एस. डी. तिवारी द्वारा लिखित पुस्तक "मुहब्बत के मोती" की रचनाएं जहाँ साहित्यिक भावों से ओत प्रोत हैं, वहीँ युवा वर्ग के दिल को छूने वाली हैं। इस सुन्दर रचना के प्रकाशन पर मैं तिवारी जी को बधाई देती हूँ। 

संज्ञा शुक्ल, बलिया, उ. प्र.

 प्रेम और विरह के अनेक पहलुओं को छूती हुई श्री एस. डी. तिवारी कृत 'मुहब्बत के मोती' मन को आनंद से भर देने वाली हैं। इस  पुस्तक के प्रकाशन पर मैं तिवारी जी को बधाई देती हूँ।  
स्नेहलता तिवारी 



७ 
तेरे नाम के मोती     
फ्रंट 
यूँ कवि, कविताओं में कहीं न कहीं कर्म दर्शन और अध्यात्म के छुटपुट स्पर्श मिलाना स्वाभाविक है किन्तु पूरे समर्पण भाव से सराबोर कविताओं का संग्रह प्रकाशित करना निश्चय ही अत्यंत प्रशंसनीय है। श्री सत्य देव तिवारी का कविता संग्रह 'तेरे नाम के मोती' ऐसा ही एक अनूठा संग्रह है। इसका वैशिष्ट्य एवं महत्त्व यूँ भी बढ़ जाता है कि पूरा संग्रह हाइकु कविताओं का है। 
... 
इस संग्रह में अनेक हाइकु गीतों की उपस्थिति भी उल्लेखनीय है। ईश्वर के प्रति सम्पूर्ण समर्पण, जीवन के लक्ष्य का संधान भारतीय संस्कृति के उच्चतम मूल्यों के महत्त्व एवं व्यक्ति में प्रासंगिकता की स्थापना तथा भक्ति एवं अध्यात्म को जीवन में उतारकर मानवीय गुणों से स्वयं को समृद्ध करना एवं समाज, देश व विश्व का कल्याण ही प्रस्तुत संग्रह के विषय वस्तु के आधार हैं। 
... 
यह संग्रह प्रतिवर्ष प्रकाशित होने वाले सैकड़ों कविता संग्रहों के बीच अपनी एक विशिष्ट पहचान लेकर उपस्थित है और निश्चय ही इस अनूठे संग्रह के लिए कवी सत्य  देव तिवारी साधुवाद व प्रशंसा के पात्र हैं।  

लक्ष्मीशंकर बाजपेयी 


पीछे 
ईश्वरीय विषयों को हाइकु जैसे नन्हें नन्हें छंदों में ढाल देना अपने आप में एक प्रशंसनीय कार्य है और इन छंदों को लेकर पूरे हजारी छंदों की पुस्तक लिखना तो एक अद्वितीयब विलक्षण को दर्शाता है। श्री एस. डी. तिवारी ने हाइकु जिसे गागर में सागर भी कहा जाता है, के द्वारा आध्यात्मिक व दैविक विषयों के विभिन्न आयामों को बड़ी खूबी से ढाला है। यह पुस्तक निश्चय रूप से आध्यात्मिक दर्शन और ईश्वर से साक्षात् कराने में सफल सिद्ध हुई है। श्रीमद्भागवत गीता के प्रसंगों का संक्षिप्तीकरण भी एक अद्भुत कार्य है। इस पुस्तक 'तेरे नाम के मोती' की रचना व प्रकाशन के लिए श्री एस. डी. तिवारी को ह्रदय से बधाई देता हूँ।   

कमलापति त्रिपाठी, दिल्ली  


८ 
पांच दाने मोती      
फ्रंट  
हाइकु सृजन की प्रक्रिया में हाइकुकार एस. डी. तिवारी जी ने 'पांच दाने मोती' के माध्यम से एक विशेष प्रयोग किया है। यह प्रयोग है एक विषय वस्तु पर आधारित पांच पांच हाइकुओं की श्रृंखला। इस श्रंखला के अंतर्गत उन्होंने लगभग दो सौ विषयों को लेकर एक हजार हाइकु इस पुस्तक में दिए हैं। यानि की पुस्तक हाइकु हजारी है। तिवारी जी लम्बे समय से हाइकु की तपश्चर्या में लीन हैं। इन्होंने विपुल मात्रा में हाइकु सृजन किया है। 
... 
'पांच दाने मोती' के अनेक हाइकु श्रृंखला के रूप में जितना आनंद प्रदान करते हैं तो उतना ही अपनी स्वतंत्रता में भी अपने अस्तित्व की ध्वजा थामे रहते हैं।  
.... 
'पांच दाने मोती' के माध्यम से हाइकुकार श्री तिवारी ने हिंदी हाइकु की गति को और तीव्र करने में सार्थक योगदान करने का जो प्रयास किया है, निश्चित रूप से आशाओं के पर लग जाते हैं। ऐसे में यह कृति हाइकु सृजन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है। शुभकामनाओं एवं अपेक्षाओं के साथ -

डॉ. शैलेश गुप्त 'वीर'
अध्यक्ष, अन्वेषी संस्था, फ़तेहपुर, उ. प्र. 

पीछे 
श्री एस. डी. तिवारी रचित पुस्तक 'पांच दाने मोती' पढ़ने का अवसर मिला। हाइकु छंदों के इस अनोखे संग्रह को पढ़कर असीम आनंद की अनुभूति होती है। जहाँ एक एक छंद गागर में सागर है वहीं एक विषय वस्तु के विभिन्न आयामों को छूती पांच पांच हाइकुओं का समुच्चय इस पुस्तक को और अधिक रोचक बनाता है। कई संग्रह तो मुझे चतुष्पदी अथवा मुक्तक की भांति लगे। रोचक होने के साथ ये रचनाएँ जीवन के विभिन्न प्रसंगों को छूती सन्देशपरक भी हैं तथा अनेक विषयों के दर्शन कराती हैं। 'पांच दाने मोती' के प्रकाशन पर श्री एस. डी. तिवारी को ढेरों बधाई देता हूँ।  

सच्चिदानन्द तिवारी, दिल्ली  

९ 

गुनगुनाती हवा 
फ्रंट 

'गुनगुनाती हवा' एक ऐसा गीतिका संग्रह है, जिसकी रचनाएँ पढ़ते समय मन स्वतः ही गुनगुनाने लगता है। श्री एस. डी. तिवारी का यह गजल संग्रह जहाँ प्रेम, श्रृंगार और विछोह के मनोभावों को सुन्दर छंदों में बांध कर लाया है, वहीँ तिवारी जी ने जीवन के विभिन्न आयामों को भी बड़े सुन्दर ढंग से अपनी गजलों में ढाला है। उनकी यह अनुपम कृति दिल की गहराईयों को छूने में सक्षम है। 'गुनगुनाती हवा' के प्रकाशन पर मैं तिवारी जी को हार्दिक बधाई देता हूँ। 

रामेश्वर दूबे  
निदेशक, राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद् 
     

पीछे 
"गुनगुनाती हवा" सुमधुर गीतों से भरी रंग बिरंगे फूलों का एक गुलदस्ता है। गजल विधा पर आधारित यह पुस्तक मनुष्य के भावों को नए रूप में लेकर प्रस्तुत है। इस पुस्तक की रचनाएँ मन को भीतर तक छू जाती हैं और इनको पढ़ते हुए दिल स्वतः ही गाने लगता है। श्री एस. डी. तिवारी के इस अनुपम काव्य संग्रह 'गुनगुनाती हवा' के प्रकाशन पर मैं उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ। 

हरिहर तिवारी 
दिल्ली 



१० 
दुनिया गिर गयी 

फ्रंट 
वैज्ञानिक अनुसंधानों और आधुनिक संसाधनों ने जहाँ हमारे जीवन को सहज व सरल बनाया है वहीँ मनुष्य ने अपनी लालसा को भी बढ़ाया है। इसी लालसा के कारण उसके व्यव्हार में अद्वितीय परिवर्तन हुआ है। जहां समाज के प्रति उसकी उदासीनता बढ़ी है वहीँ नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों में ह्रास हुआ है। उसके सहनशीलता और मानवीय भावों का निरंतर अवमूल्यन हुआ है। समाज के विकृति स्वरुप, और लोगों में असंतोष के लिए, हमारे नेतृत्व की भी बहुत बड़ी भूमिका है। चारित्रिक हनन के चलते, राजनीति और सत्ता का दुरुप्रयोग हो रहा है। सभी अनैतिक रूप से धन कमाने की होड़ में लगे हैं। इन्हीं बातों को ,लेकर श्री एस. डी. तिवारी रचित  यह पुस्तक 'दुनिया गिर गयी' बसंती प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गयी है। इस श्रेष्ठ मुक्तक रचना के लिए मैं कवि श्री एस. डी. तिवारी एवं प्रकाशक, बसंती प्रकाशन दोनों ही साधुवाद के पात्र हैं। 

मञ्जुली भार्गव  
दिल्ली 



पीछे  

श्री एस. डी. तिवारी की पुस्तक 'दुनिया गिर गयी' समाज के निरंतर पतन को दर्शाते हुए आंख खोलने वाली पुस्तक है। इस पुस्तक में इन्होंने मनुष्य के व्यव्हार और मानवीय मूल्यों के गिरावट को बहुत सशक्त और उत्तम तरीके से प्रस्तुत किया है। उनकी इस श्रेष्ठ पुस्तक के प्रकाशन पर मैं श्री एस. डी. तिवारी को हार्दिक शुभकामनाएं बधाई देता हूँ। 

हरिद्वार तिवारी 
दिल्ली 


आधुनिक जीवन प्रणाली में मनुष्य के व्यवहार में बहुत परिवर्तन आ गया है। स्वार्थ पूर्ति के लिए, मानव जाति की नैतिकता का निरंतर पतन होता जा रहा है। एक दूसरे के प्रति संवेदना और सहयोग की भावना समाप्त होती जा रही है। श्री एस. डी. तिवारी ने अपने मुक्तक छंदों में इन समाजिक विसंगतियों को भली प्रकार दर्शाया है। श्री तिवारी के मुक्तक संग्रह 'दुनिया गिर गयी' में इसी विषय पर आधारित मुक्तकों को समाहित किया गया है। इस पुस्तक के प्रकाशन पर उन्हें मैं हार्दिक बधाई देता हूँ। 

शिवशंकर शुक्ल 
अध्यापक, प्रानपुर, बलिया 

११ 
गीत गुंजन         

फ्रंट 
जीवन के विविध शब्द-चित्रों से सजी कवि एस. डी. तिवारी जी की काव्य कृति 'गीत गुंजन' पढ़ते हुए जीवंत कविताओं से साक्षात्कार कर बैठा हूँ। भावों के चितेरे तिवारी जी की लेखनी ने अनेक रंग प्रस्तुत किये हैं। उनकी शब्द तूलिका ने जीवन के सूखे तृण-पलों को अभिसिंचित किया है, उनमें प्राकृतिक परिवेश, नैसर्गिक सौंदर्य और भाव-प्रवण अभिव्यंजना को सलीके से पिरोया है। 
 .... 
काव्य रसिकों द्वारा उनकी यह कृति हाथों-हाथ ली जाएगी ऐसा मेरा विश्वास है, अनेकशः शुभकामनाओं सहित - 

प्रो. विश्वम्भर शुक्ल  
पूर्व प्राचार्य 
सी. जी. एन. स्नातकोत्तर कॉलेज 
कानपुर विश्वविद्यालय सम्बद्ध  

पीछे 
श्री एस. डी. तिवारी रचित पुस्तक 'गीत गुंजन' पढ़ने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसके रसीले गीत दिल को छू जाते हैं। इस पुस्तक में तिवारी जी की लेखनी ने गीतों के अनेक रंग प्रस्तुत किये हैं। अपनी कविताओं में वे प्रकृति के भावों के साथ जीवन के अनेक प्रसंग लेकर आये हैं। इसके अतिरिक्त वीरों की गाथा के साथ रामायण में आयीं नारियों के चरित्र को भी बखूबी उभारा है। और तो और, कुछ भोजपुरी पारम्परिक गीत लिखकर इन्होंने मुझे आश्चर्य चकित कर दिया। इस पुस्तक के अधिकांशतः गीत ऐसे हैं कि जी चाहता है बार बार पढ़ें, और पढ़कर अनायास ही दिल गाने लगता है। 
उनकी पुस्तक 'गीत गुंजन' के प्रकाशन पर, मैं तिवारी जी को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूँ। 
निर्मला चौबे, 
अध्यापिका, कमल सागर, मऊ, उ. प्र.

चाँद के गांव     
फ्रंट 
हिंदी साहित्य में कविता हो या कहानी हो या उपन्यास, गांव का जीवन लगभग ओझल सा ही है। नगरीय या महानगरीय जीवन या उससे जुड़ी समस्याएं/विसंगतियां ही हावी हैं। ऐसे परिदृश्य में श्री सत्य देव तिवारी का 'चाँद के गांव' तेज धूप के बीच ठंडी छाँव लेकर हमारे बीच आया है। 
... 
इस संग्रह में कवि ने गांव के रोजमर्रा के जीवन के सुख दुःख को, कार्यकलापों को बड़ी कुशलता से कविताओं /गीतों में पिरोया है।  गांव में आयी प्राकृतिक विपदा और साधन विहीन गांव वालों की त्रासदी पर एक कविता उल्लेखनीय बन पड़ी है। 
... 
कविता संग्रहों की भीड़ में यह संग्रह निश्चय ही एक अलग पहचान एवं स्वर लेकर उपस्थित हुआ है तथा इस हेतु कवि साधुवाद का पात्र है। 

ममता किरण 

पीछे 

'चाँद के गांव' एक ऐसा काव्य संग्रह है जो गांव के चाँद का सजीव दर्शन तो करता ही है अपितु गांव के साथ चाँद की भी सैर करा देता है। श्री एस. डी. तिवारी कृत इस संग्रह में गांव के विभिन्न भावनात्मक और रचनात्मक विषयों का सजीव शब्द चित्र उकेरा गया है।कविता का यह रूप प्रायः लुप्त सा हो गया था। आजकल की रचनाएँ राजनितिक परिवेश में अधिक घूमती हैं। चूकि आज की राजनीति इतनी घृणित हो चुकी है, उससे सम्बंधित रचनाएँ भी मन में विकार ही पैदा कराती हैं। अनेकानेक रचनाओं के बाद भी राजीनीतिक परिवेश और भी अधिक विकृत होता जा रहा है। तिवारी जी के 'चाँद के गांव' में उर में आनंद भर देने वाले तत्व हैं। इसमें जहाँ प्रकृति का दर्शन है वहीँ गांव का सरल और सहज जीवन भी। इस प्रकार के उच्च कोटि की रचना के लिए मैं उनको कोटिशः साधुवाद देता हूँ। 

चंद्रभूषण चौबे
कमल सागर, मऊ, उ. प्र.  


१३ कविता तो बोलेगी    

फ्रंट 

कवि एस. डी. तिवारी जी का कविता संग्रह 'कविता तो बोलेगी' वर्तमान परिवेश के विविध सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक तथा राजनैतिक पहलुओं पर सूक्ष्म दृष्टि से चिंतन करने में सक्षम है। 
... 
अर्जस्विता एवं ताजगी से भरी यह रचना हर क्षण को जिंदादिली से जीने को प्रेरित करती है। सकारात्मक सोच से ओत प्रोत उनकी अनुभूतियों की निधि 'कविता तो बोलेगी' सार्थक ग्रन्थ है। ऐसी बहुरंगी भावों एवं विचारों को गतिमयता प्रदान हेतु आप बधाई के पात्र हैं। काव्य संसार में यह संग्रह अपना महत्वपूर्ण स्थान सुरक्षित रखेगा। मेरा ऐसा विश्वास है। 

डॉ. बीना रानी गुप्ता 
एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, हिंदी 
भगवानदीन आर्य कन्या स्नात.  महाविद्यालय 

लखीमपुर खीरी 

पीछे 
श्री एस. डी. तिवारी का काव्य संग्रह 'कविता तो बोलेगी' विविध रंग और सुगंध लिए पुष्पों का एक सुन्दर गुलदस्ता है। नयापन से लवलीन, जीवन के विभिन्न आयामों को छूती हुई कविताओं की यह पुस्तक एक अद्वीतीय संग्रह है। तिवारी जी की कवितायेँ जहाँ सामाजिक कुरीतियों और उदासीनता पर चोट करती हैं, वहीँ सचेत भी करती हैं। इन कविताओं में उन्होंने जिस प्रकार मानवीय भावों को उभारा है, पढ़ने वाले के मुंह से अनायास ही 'वाह' निकल पड़ता है। इस पुस्तक की रचना के लिए तिवारी जी साधुवाद के पात्र हैं तथा इसके प्रकाशन पर मैं उन्हें और प्रकाशक बसंती प्रकाशन को हार्दिक बधाई देता हूँ। 

डॉ. पूनम माटिया   मञ्जुली भार्गव 


14 क्या सखि साजन      
फ्रंट 'कह-मुकरी' हिंदी काव्य की लगभग लुप्त प्राय विधा है। इस विधा की छुट पुट कवितायेँ तो पढ़ने को मिल जाती हैं परन्तु इस विधा के संग्रह की पूरी पुस्तक लिखने का अद्वितीय कार्य श्री एस. डी. तिवारी ने संभवतः पहली बार किया है। हिंदी साहित्य की इतनी रोचक विधा सदियों से सुप्तावस्था में पड़ी थी, तिवारी जी ने अवश्य ही इसे संजीवनी प्रदान कर, एक अत्यंत सराहनीय कार्य किया है। मुझे विश्वास है कि उनकी पुस्तक 'क्या सखि साजन' हिंदी साहित्य में अपना एक इतिहास बनाने जा रही है। 'अपनी बात' में तिवारी जी ने कह-मुकरी के विषय में विस्तृत जानकारी भी दी है। यह पुस्तक हिंदी साहित्य के लिए एक अद्वितीय भेंट है। 'क्या सखि साजन' के प्रकाशन पर मैं तिवारी जी को कोटिशः बधाई देता हूँ। 



डॉ. दिलीप चौबे 
सम्पादक, राष्ट्रीय सहारा  

पीछे 

सदियों पुरानी विधा 'कह-मुकरी' जो लगभग लुप्त प्राय थी, श्री एस. डी. तिवारी ने इसे पुनर्जीवित करने का कार्य किया है। कह-मुकरी छंदों का संग्रह 'क्या सखि साजन' हिंदी साहित्य के लिए एक अनुपम भेंट है। इसके प्रकाशन पर मैं श्री तिवारी जी को हार्दिक बधाई देता हूँ। 


विनयशील चतुर्वेदी, प्राध्यापक 
अध्यक्ष
सोच (सोशल अॉर्गनाईजेशन फॉर केयर एंड हारमनी)

श्री एस. डी. तिवारी का कह-मुकरी संग्रह 'क्या सखि साजन' प्रकाशित करते हुए हमें अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है। इस विधा की रचनाओं की पूरी पुस्तक जिसमें चार सौ से भी अधिक कह-मुकरी के छंद हैं पाठकों को रोचकता से भर देगी, हमें पूर्ण विश्वास है। यह पुस्तक अवश्य ही हिंदी साहित्य में अपना एक पृथक स्थान बनाने जा रही है। श्री एस. डी. तिवारी इस रचना के लिए बधाई के पात्र हैं। 
   
बसंती प्रकाशन, दिल्ली  


१५ प्यार का पिंजरा  

फ्रंट 
प्यार तो एक ऐसा पिंजरा है जिसमें एक नहीं, अपितु एक साथ दो पंछी ही अच्छे लगते हैं। पिंजरे में जब कभी एक ही पंछी होता है तो वह शोक संतप्त, रुदन करता हुआ ही नजर आता है। इसी सन्दर्भ के प्रेम, श्रृंगार और विरह रस से भरे, मुक्तक छंदों का संग्रह लेकर भाई श्री एस. डी. तिवारी की पुस्तक 'प्यार का पिंजरा' प्रस्तुत है। तिवारी भाई रचित इस पुस्तक के बेजोड़ मुक्तक दिल की गहराई तक उतर जाते हैं। 'प्यार का पिंजरा' की रचना हेतु मेरा तिवारी भाई बधाई का पात्र है, तथा इस पुस्तक के प्रकाशन पर मैं हार्दिक शुभकामनाएं देती हूँ।  

अंशु विनोद गुप्ता 



पीछे 
मुझे श्री एस. डी. तिवारी जी की पुस्तक 'प्यार का पिंजरा' पढ़ने का अवसर मिला। इस पुस्तक में सम्मिलित रस और भावों से सराबोर ये छंद पाठक के मन पर एक अलग ही छाप छोड़ जाते हैं। तिवारी जी की कवितायेँ पढ़ना अत्यंत ही रुचिकर होता है। उनकी इस पुस्तक 'प्यार का पिंजरा' के प्रकाशन पर मैं तिवारी जी को कोटिशः बधाई देती हूँ। 

रूचि तिवारी 




१६  आशिक अली की होली  
श्री एस. डी. तिवारी की पुस्तक 'आशिक अली होली' संवेदनाओं और भावनाओं से अभिसिंचित उनके वास्तविक अनुभवों पर आधारित कहानी संग्रह है। इस पुस्तक की कहानियां मन को छू जाती हैं और जी करता है कि बार बार पढ़ें। इनके भाव इतने गहरे हैं कि पाठक पूर्णतः डूब जाता है। कई भावपूर्ण कहानियों के अतिरिक्त कुछ हास्य विनोद भरी कहानियां भी हैं। आजकल के भौतिकतावाद में इस तरह की भावपूर्ण कहानियां पढ़ने को कम ही मिलती हैं। मुझे विश्वास है यह संग्रह पाठकों के बीच अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाएगा। इस रचना संग्रह के लिए श्री एस. डी. तिवारी जी बधाई के पात्र हैं। मैं उन्हें कोटिशः बधाई देता हूँ। 

सुमित भार्गव 
प्रबंधक 
बसंती प्रकाशन 

पीछे 
श्री एस. डी. तिवारी का कहानी संग्रह 'आशिक अली की होली' बहुत ही भावपूर्ण और रोचक पुस्तक है। इसे पढ़कर, यही जी चाहता है कि बार बार पढ़ें। इस पुस्तक की भावनात्मक कहानियां जहाँ मन की गहराई तक प्रवेश करती हैं वहीँ कई हास्य कहानियां 
विनोद से भर देती हैं। इस सुन्दर रचना के लिए उन्हें बहुत बहुत बधाई। 

संदीप तिवारी 
दिल्ली 

१७  बसे विदेश         

फ्रंट 
बहुत से भारतीय अधिक धन कमाने और अच्छे रोजगार पाने का मंतव्य लिए अपना देश छोड़कर विदेश चले जाते हैं और वहीँ बस जाते हैं। कौन सी विभिन्न परिस्थितियां हैं जो भारतियों को विदेश जाने के लिए प्रेरित करती हैं, इन बातों को लेकर श्री एस. डी. तिवारी जी की सशक्त कहानियों का संग्रह 'बसे विदेश' के प्रकाशन पर मैं उनको हार्दिक बधाई देता हूँ। इन उत्कृष्ट कहानियों को पढ़कर जहाँ यह पता चलता है कि एक लम्बी अवधि से, हमारे देश से प्रतिभाओं का पलायन क्यों हो रहा है, वहीं उनका विदेशों में क्या हश्र होता है इस बात का भी बोध होता है। इस पुस्तक को पढ़कर, विदेश भ्रमण की सहज ही अनुभूति होती है। 

डॉ. अरुण शुक्ल

पीछे 
श्री एस. डी. तिवारी का कहानी संग्रह 'बसे विदेश' भारतीयों के भारत से अन्य देशों में चले जाने और जाकर वहीं बस जाने की कहानियों का संग्रह है। ये कहानियां उनके विदेश जाने के विभिन्न कारणों को दर्शाती हैं तथा विदेश की परिस्थियों से अवगत कराती हैं। 
इस पुस्तक की रचना के लिए तिवारी जी बधाई के पात्र हैं। 

प्रदीप तिवारी 
ऑस्ट्रेलिया 

वास्तविक अनुभवों के आधार पर लिखीं श्री एस. डी. तिवारी के कहानियों के संग्रह 'बसे विदेश' के प्रकाशन पर मैं उन्हें कोटि कोटि बधाई देती हूँ। यह पुस्तक भारतीयों के विदेश पलायन के अनेक कारणों के अतिरिक्त, विदेश भ्रमण के विभिन्न आयामों को भी बड़े प्रभावी ढंग से प्रतिबिंबित है। 

शिल्पी तिवारी 
ऑस्ट्रेलिआ  


१८  विदेश की चटनी

विदेशों में रह रहे भारतीयों को किन किन प्रकार की बातों से रूबरू होना पड़ता है, उन्हीं सब अनुभवों के आधार पर श्री एस. डी. तिवारी जी का कहानी संग्रह 'विदेश की चटनी' है। उनकी इस पुस्तक में भारतीयों को विदेश में रहकर जिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है तथा जो कुछ खट्टे मीठे अनुभव वे प्राप्त करते हैं, तिवारी जी ने वास्तविकता के आधार पर बड़े सजीव ढंग से अपनी कहानियों में ढाला है। मैं उनकी पुस्तक 'विदेश की चटनी' के प्रकाशन पर बधाई देती हूँ। 

कविता भार्गव 
अमेरिका 

'विदेश की चटनी' श्री एस. डी. तिवारी जी का कहानी संग्रह, जैसा नाम है वैसे ही चटनी की भांति एक ही मद में कई स्वादों का आस्वादन कराती है। जिस प्रकार चटनी में खट्टे, मीठे, तीखे और नमकीन कई स्वादों का सम्मिश्रण होता है, इस पुस्तक की कहानियां भी विभिन्न रसास्वादन कराती हैं। इस पुस्तक की कहानियों में विदेश में रह रहे भारतीयों के रहन सहन और उनके जीवन का सजीव वर्णन है तथा यह विदेश में रहने वालों के जिंदगी की बहुत समीप से अनुभव कराती है। 'विदेश की चटनी' के प्रकाशन पर मैं श्री एस. डी. तिवारी जी को बहुत बहुत बधाई देती हूँ।   
   
नेहा तिवारी 
ऑस्ट्रेलिया 


१९  इनकी उनकी      

हमारे दैनिक जीवन की घटनाओं पर आधारित श्री एस. डी. तिवारी द्वारा रचित छोटी छोटी  कहानियों का संग्रह 'इनकी उनकी' एक अत्यंत रोचक पुस्तक है। जहाँ ये बहुत सी तथ्य  वास्तविकता से भरे और रोचकता के कारण, इन कहानियों को बार बार पढ़ने का जी चाहता है। 'इनकी उनकी' की अधिकतर कहानियां समाज और मानवीय व्यवहार से जुड़ी हैं। इस पुस्तक के प्रकाशन पर मैं श्री एस. डी. तिवारी को हार्दिक बधाई देता हूँ। 


अनिल कुमार तिवारी 
अध्यापक, हंसराज पुर, उ. प्र.


छोटी-छोटी रोचक कहानियों का संग्रह 'इनकी उनकी' अतीव सुन्दर रचना है। श्री एस. डी. तिवारी ने लोगों के जीवन से जुड़े व्यावहारिक घटनाओं को ही कहानियों में ढाल कर यह पुस्तक प्रस्तुत की है। इस पुस्तक की कहानियां को पढ़कर पाठक को लगता है कि कहीं न कहीं से वह इन घटनाओं से जुड़ा हुआ है। इस पुस्तक के प्रकाशन पर मैं श्री एस. डी. तिवारी को बधाई देता हूँ। 

डी. के. तिवारी 
दिल्ली 







१६ हाइकु रामायण      


भूमिका

गीत गुंजन

चाँद के गांव

श्री एस. डी. तिवारी का काव्य संग्रह  'चाँद के गांव' पढ़कर यह अनुमान लगाना सहज है कि उन्होंने गांव को कितने अंतःकरण से जिया है। उनकी ये पंक्तियाँ ही इस बात की ज्वलंत उदाहरण हैं -
अभाव में जिए, मगर भाव में जिए।
जितना मिला उसी में ताव में जिए।
गांव में जिए।
गांव के जीवन, वहां के रहन सहन तथा प्रकृति को तिवारी जी ने अपनी कविताओं में जिस खूबसूरती से ढाला है उसकी जितनी प्रशंसा करें, कम है। गांव की सुंदरता, गांव का जीवन, गांव का भोलापन, ग्रामवासियों का सद्भाव और अपनापन, वहां की समस्याएं, पशु पक्षी, वनस्पति के साथ गांव के किसान और ग्रामवासियों के मनोभाव पर भी तिवारी जी अपनी लेखनी चलायी है। तकनिकी विकास और आधुनिकीकरण के परिवेश में बदलते गांव को भी उन्होंने अपने काव्य में समेटा है।
'चाँद के गांव' की सभी रचनाएँ रस से सराबोर और रोचक हैं। हाइकु और कह मुकरी की दुनिया में भी  तिवारी जी का जाना माना नाम है। अपनी काव्य रचनाओं के लिए वे साधुवाद के पात्र हैं तथा मैं इस पुस्तक के प्रकाशन पर उन्हें हार्दिक बधाई देता हूँ।

प्रकाशक





१. हाइकु शास्त्र                  हाइकु व्याकरण                 डॉ. कुंवर बेचैन 

२. तेरे नाम के मोती      हाइकु संग्रह (अध्यात्म)  डॉ. लक्ष्मी शंकर बाजपेयी 

३. गुनगुनाती हवा       गीतिका संग्रह         श्री बी. एल. गौड़   

४. मुहब्बत के मोती      हाइकु संग्रह (प्रेम रस)   श्री मंगल नसीम  

५. दिल्ली के झरोखे      काव्य संग्रह            डॉ. महेश दिवाकर 

६. मोतियन की लड़ी      हाइकु संग्रह           डॉ. ए. एल. दुबे /रामेश्वर दुबे 


७. पांच दाने मोती        हाइकु संग्रह          श्री सर्वेश चंदौसवी   

८. क्या सखि साजन     कह-मुकरी संग्रह        डॉ. दिलीप चौबे   

९. चाँद के गांव          काव्य संग्रह         श्रीमती ममता किरण / *


१०. कविता तो बोलेगी     काव्य संग्रह        डॉ. पूनम माटिया   

११ . बोलते मोती          हाइकु संग्रह       डॉ प्रवीण शुक्ल  

१२. दुनिया गिर गयी     मुक्तक संग्रह       बंशनारायण तिवारी 

१३. गीत गुंजन         काव्य संग्रह        श्रीमती निर्मला चौबे 

१४.  नन्हीं                       हाइकु संग्रह        श्री हरिहर तिवारी

१५ प्यार का पिंजरा      मुक्तक संग्रह       श्रीमती सुनैना तिवारी / कुमुद 

१६  आशिक अली की होली  कहानी  संग्रह     श्री कमलापति तिवारी    

१७  बसे विदेश           कहानी संग्रह      श्रीमती मंजुला भार्गव   

१८  विदेश की चटनी       कहानी संग्रह     श्री विनयशील चौबे 

१९  इनकी उनकी                कहानी संग्रह      श्री हरिद्वार तिवारी

२० हाइकु रामायण       हाइकु संग्रह        श्री सुमित भार्गव 




घर ७ + ५  = १२
दिवाकर  जी १
चौबे जी + दुबे जी ४
रामेश्वर दुबे  १
प्रकाशक ४
विमल सिंहानिया  २
राजेंद्र बुक्स १
शंभू पण्ड्य २
सुरेंदर पंडित  १
कोर्ट ७
राजकुमारी  २
सरोज १
अनिल पांडेय वसुंधरा २
मंजू २
कामिनी २
सुनील + प्रेम ३
राजू  १
विश्वजीत २
रमा शुक्ल     १
रमाकांत  २
महेंद्र चतुर्वेदी  १
जे के शर्मा १
के पि सिंह ग़ज़िआबाद १
के जे शर्मा १
आर डी सिंह  वैशाली १

 ८क १२ स




श्री एस. डी.  तिवारी जी अपनी २० पुस्तकों के एक साथ लोकार्पण कर के आज ४ नवम्बर, २०१८ को  हिंदी साहित्य के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ रहे हैं। इस अद्वितीय कार्य के लिए वे बधाई के पात्र हैं।

लोकार्पण में सम्मिलित होने वाली पुस्तकों की सूची। यदि कुछ कविताओं के उदहारण चाहिए तो बता दीजियेगा।
१. हाइकु शास्त्र    (हाइकु व्याकरण)                 


इस पुस्तक में लेखकों को हाइकु लिखने के आसान तरीके बताये हैं। इस पुस्तक को पढ़कर वह व्यक्ति भी कवि बन सकता है जिसने कभी भी कोई कविता नहीं लिखी। बस उसमें भाव और विचार को अभिव्यक्त करने की ललक होनी चाहिए। इस पुस्तक के चौदह अध्यायों में हाइकु का परिचय और सिद्धांत, उसमें रस और अलंकारों का समन्वयन एवं उसके मूल तत्वों की विवेचना की गयी है। 


२. तेरे नाम के मोती  [हाइकु संग्रह (अध्यात्म)]  
यह पुस्तक अध्यात्म विषयों पर लिखे लगभग एक हजार हाइकु का संग्रह है। ये हाइकु पाठक को ईश्वर से जोड़ने के साथ गीता के भी संक्षिप्त प्रसंग समेटे हुए हैं।


३. गुनगुनाती हवा (गजल संग्रह)            

गुनगुनाती हवा, लगभग सौ गीतिका या गजलों का संग्रह है। 

किस मोड़ पर मिलेगी जाने, ढूंढते हैं।
जिंदगी! हम, तेरे ठिकाने ढूंढते हैं।
वक्त के दरिया में, बहे टुकड़े हो के, 

उतराये तिनकों के, फसाने ढूंढते हैं।

४. मुहब्बत के मोती      हाइकु संग्रह (प्रेम रस)  
मुहब्बत के मोती श्रृंगार प्रेम व विरह रस पर लिखे रसीले हाइकु का संग्रह है।    
हो गए फेल         
प्रेम की परीक्षा में
समझे खेल

लहू ना बहा
इश्क के हादसे में 
दर्द तो हुआ

तुम्हीं थे चारा 
खा गए बेईमान 
हुआ बेचारा 

कहानी छपी
पत्रिका खूब बिकी
मेरे प्रेम की 


५. दिल्ली के झरोखे  (काव्य संग्रह)     
दिल्ली के झरोखे' नामककाव्य संग्रह की रचनाओं के कलेवर का ताना मुख्य रूप से दिल्ली में ही प्राप्त हुए अनुभवों के कच्चे सूत से बुना गया है। फलतः कवि ने इस संग्रह का नामकरण भी 'दिल्ली के झरोखे' नाम से किया है। रचनाएँ दिल्ली के नैनंदिन जीवन से लेकर पल पल के जीवन में उत्पन्न होने वाली समस्याओं को इंगित करती हैं। 

६. मोतियन की लड़ी   (हाइकु संग्रह)  
गीत की भांति कई हाइकु की लड़ी 
सूरज घटा
लुका छिपी की छटा
आया सावन

लगा दी झड़ी
छतरी टूटी पड़ी
आया सावन

गाते कजरी
मिल बात बदरी
आया सावन

नदी बौराई
बहती अकुलाई
आया सावन

मिटी उदासी
मही अब न प्यासी
आया सावन



७. पांच दाने मोती   (हाइकु संग्रह)             
एक ही विषय पर पांच पांच हाइकु का गुच्छा 

मेरी छाँव में 
कितने फूले फले
बूढ़े हो चले 

उम्र बिताई
चेहरे की झुर्रियां
यही कमाई

उम्र खर्च दी
बदले बस मिली
माथे की झुर्री

बूढ़ा चेहरा
ऊबड़ खाबड़ में
छुपा तजुर्बा

प्यार की छाँव
कहती ये झुर्रियां
और भी घनी  


८. क्या सखि साजन  (कह-मुकरी संग्रह)    
शब्द पिरो कर गूंथे माला,
भारी कि  जाता सम्भाला,
उसी माला से उसकी छवि।
क्या सखि साजन? नहिं सखि कवि।

९. चाँद के गांव   (काव्य संग्रह)
ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित कवितायेँ  



१०. कविता तो बोलेगी  (विविध काव्य संग्रह)    
अलग अलग विषयों पर कवितायेँ 

११ . बोलते मोती   (हाइकु संग्रह)
जीवन से सम्बंधित हाइकु  

१२. दुनिया गिर गयी   (मुक्तक संग्रह)  
आजकल की परिस्थितियों पर आधारित मुक्तक 
१३. गीत गुंजन  (काव्य संग्रह)
गीत, गीतिका और नवगीत           

१४.  नन्हीं         (हाइकु संग्रह)
प्राकृतिक विषयों पर आधारित हाइकु 

१५ प्यार का पिंजरा (मुक्तक संग्रह) 
प्रेम और विरह रस से सराबोर मुक्तक 

१६  आशिक अली की होली  (कहानी संग्रह)
भावनात्मक कहानियां। 
मिनी की एक कप चाय के लिए दीनानाथ जी को वर्षों तक प्रतीक्षा करनी पड़ी तथा उसी एक कप चाय ने दोनों जो प्रगाढ़ सम्बन्ध स्थापित किया, इस कहानी में उल्लिखित है।  

१७  बसे विदेश  (कहानी संग्रह)
किन परिस्थितयों में हमारे भारतीय विदेश चले जाते हैं और वहीँ के हो के रह जाते हैं, 'बसे विदेश' की कहानियों में झलकी मिलती है।     

१८  विदेश की चटनी (कहानी संग्रह)
हमारे भारतीय विदेश तो चले जाते हैं पर वहां उन्हें किस प्रकार का अनुभव होता है यह अनुभव 'विदेश की चटनी' की कहानियों से किया जा सकता है।  

१९  इनकी उनकी     (कहानी संग्रह)
इस पुस्तक में छोटी छोटी कहानियां और लघु कथाएं हैं। 

२० हाइकु रामायण  (हाइकु संग्रह)
तिवारी जी ने रामायण को हाइकु में ढाल दिया है। इन हाइकु के द्वारा सम्पूर्ण रामायण का अवलोकन कुछ मिनटों में किया जा सकता है। 
          
इन २० पुस्तकों के अतिरिक्त  उनकी अंग्रेजी की भी दो काव्य पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं।


 इनकी लेखनी अनेक विषयों पर चली है जैसे  - प्रकृति, अध्यात्म, जीवन, रिश्ते, राजनीति, समाज,
गांव, पशु-पक्षी, स्थल, देशभक्ति, प्रेम- श्रृंगार, विरह, चेतना, पर्यावरण, हास्य व्यंग्य इत्यादि। साथ ही  इनकी कविताओं में कई विधाओं का प्रयोग है -  जैसे कि मुक्तक, गीत, गीतिका, गजल, हाइकु, कुंडलियां, दोहे, छंद मुक्त, कहानी और तो और एक सोई विधा कह-मुकरी को भी जगाया है।