Sunday, 13 May 2018

Tum chand ke jaise / cheej kya ho


चाँद सी महबूबा

इस दिल में इक हीरे के नगीने सी जड़ी हो।
तुम चाँद के जैसे मेरे, आँखों में पड़ी हो।

मूरत मुहब्बत की हो, तुम सबसे ही न्यारी,
तारीफ करूँ कैसे, खूबसूरत भी बड़ी हो।

मालूम मुझे जग में तुम हो सबसे ही प्यारी,
नजदीक चली आओ, तुम क्यों दूर खड़ी हो।

तुम्हारे बिन हो जाता है, रहना नामुमकिन,
लटकी मेरे गरदन से मोतियन की लड़ी हो। 

दिल चाहता है, तुम रहो, इन आँखों में हरदम,
जब दूर चली जाती हो, अँसुअन की झड़ी हो।

बादल से भी ऊँचा है, मुहब्बत ये हमारा,
पुतली बनी नैनों में सितारों सी गड़ी हो।

उठ के खड़ा हो जाय, पड़ा चाहे हो मुर्दा,
मुहब्बत के बेजार की जादू की छड़ी हो।


एस. डी. तिवारी 

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