Friday, 12 January 2018

Haiku 2018 lohari valentine rashtra

हाट बाजार
हो गया गुलजार
ईद का दिन

बहा के रक्त
मिला है गणतंत्र
करना कद्र


कहीं न कहीं 
रहा होता चमक 
अस्त सूरज

कुड़िये सोंणी
बने तेरी वी जोड़ी
मन्ने लोहड़ी

कुड़िये सोंणी
तेरा सोणा विचारा
नच दे थोड़ी

कुड़िये सोंणी
खा के लावा रेवड़ी
मन्ने लोहड़ी

जीवे सौ साल
रब दी रची जोड़ी
दे दे लोहड़ी

करे भांगड़ा
होवे जे नवीं जोड़ी
आयी लोहड़ी


सलोनी जोड़ी
सुन्दर मुंदरिये
मिले तेनु वी
जीवे सौ साल तक
मुबारक लोहड़ी

पेट की गैस 
निकालने को घुसी 
पानी में भैंस 

ऑंखें मलता 
जाग रहा सूरज 
संक्रांति पर्व 


संक्रांति पर्व
बना कर खिचड़ी
खुश गृहिणी

स्नान व दान
किया संक्राति पर
पुण्य महान

आयी खिचड़ी
अभी पीछा न छोड़ी
शीत लहरी

जायें किधर
कोहरे का कहर
खोई डहर


ऋतु बदली
रवि ने जिद्द छोड़ी
आयी लोहड़ी

लहरा रहा
बसंत परचम
धुन्ध है नम

धरा कदम
ऋतुराज बसंत
संवरी धरा

छटा कोहरा
बसंत की पसरी
अद्भुत छटा


उठा के फेंका
सूरज ने घूँघट
ऋतु बसंत

धरती लुप्त
देर तक धुन्ध में 
सूरज सुप्त

राह न सूझे
पगडण्डी हो गयीं
धुन्ध में धुआं

रुधिर बहा
मिला है गणतंत्र
करना कद्र

हित सबका
गणतंत्र राष्ट्र का
तभी है सच्चा

नभ को चीर
वायुसेना के वीर
किये कमाल

समुद्र अथाह
भारत की नौसेना
देती खंगाल

भूमि रक्षित
राष्ट्र की इंच इंच
जय सैनिक 

किये पश्चात्
फहराया तिरंगा
अनेकों त्याग


डसने हेतु
खड़े हैं कई नाग
भारत जाग

रखने हेतु
राष्ट्र ध्वज बेदाग
भारत जाग 

आतंकवाद
आस्तीन का है सांप
भारत जाग

खुद का स्वार्थ
बाँट रहे तुझको
भारत जाग

तेरा भी हक़
किसी और के सम 
भारत जाग

किये जवान
तिरंगा की रक्षा में
जान कुर्बान

झुके न शान
राष्ट्र ध्वज की कभी
रहे ये ध्यान

मिली आजादी
शहीदों ने लगाई
प्राणों की बाजी

सबको गर्व 
गणतंत्र दिवस
राष्ट्र का पर्व

देखेगा जग
भारत की बढ़ती
सैन्य ताकत

इशारा काफी
समझने के लिये
हाइकु वही 

धरा बसंत
धरा पर कदम
हसीं मौसम

लहरा रहा
बसंत परचम
कोहरा नम

सर्दी का अंत
ऋतुओं का सम्राट
आया बसंत

आया बसंत
बहारों ने चुराया
फूलों की गंध


लगाया केतु
क्यों मेरे चाँद पर ? 
बुरी नजर

केतु को भाया
मिलने चला आया
चाँद का रूप 

जाकर मिला
केतु चाँद से गला
ग्रहण लगा

शर्मा के चाँद
पृथ्वी के पीछे छुपा
ग्रहण लगा 


थाम के दिल
प्रेम दिवस पर
शाम को मिल

बसंत ऋतु
जवां दिलों का मेला 
प्रेम दिवस

खाने कसम
साथ का चले साथ
प्रेमी युगल

फूल विक्रेता
आया प्रेम का दिन 
ख़ुशी से झूमा

बढ़ाये बिक्री
प्रेम दिवस पर
फूलों की प्रेमी

प्रेम दिवस
पार्कों में फुदकते
प्रेम के पंछी

दिखाया भाव
आज खूब गुलाब
प्रेम दिवस

दिखावा मात्र
एक दिन का प्यार
प्रेम दिवस

खोखला दिल
प्रेम का प्रदर्शन 
किया सजन

जताने आये
एक दिन का प्रेम
प्रेम का दिन

थाम के दिल
प्रेम दिवस पर
शाम को मिल

प्रेम दिवस
एक दिन का प्यार
फिर उजाड़ 



कैसे सम्भालूँ
तुम्हारे छोड़े तीर 
बड़े गंभीर  

शिकवा गिला 
भेजा शुभ सन्देश 
बदले मिला   

दामिनी है वो 
छूना मत दामन
जल जाओगे


साँस के बिना
आग  को समर्पित
मानव देह

तुम्हारा दम
बुलंद हिंदुस्तान
जय जवान

संदूक धरे
सर्दियों के कपड़े
होली बिता के

छात्रों के सिर
इम्तहान का झाम
नींद हराम 


बहुत खूब
तेरा सुन्दर रूप
फिसले हम

हार पहन
दो दिलों का मिलन
पाणि ग्रहण 

रंग बिखेर
बसंत को रंगीन
बनाते फूल

विलोक छटा
बसंत की मोहक
मन बहका

खिल पलास
जंगल में अंगार
दहका दिया

आकर छुई
दे दी बुखार मुई
गरम हवा



फूलों का वंश
फैला चलता भौंरा
पराग कण

डूबा सूरज
शाम को लगाकर
झील में आग 


नेता जी चले 
क्षेत्र वोट के लिये   
शिकवे गले

हो चुका यह  
अपाहिजों का घर 
लगे नौकर 

बेच कर के 
गरीबों की तस्वीर 
धनी हो गए 

रहने चला
झोपड़ी में श्रमिक
महल बना

सरल किया
श्रमिक का पसीना
हमारा जीना

छाँव की छत
बनाता मजदूर
सिर पे धूप


मैं और तुम
रखे युदा जनून
एक ही खून

सुदृढ़ होगा
होगी बेटी सबल
राष्ट्र का कल

मिली दौलत
बेटी की बदौलत
दुनियां हंसीं

जग का भार
बेटी के कांधे पर
चाहती प्यार

आंको न कम 
बेटी को दो सम्मान
वो भी संतान



जन्म लेते ही
दरिंदों का आतंक
कब्र में बेटी

झेलेगी बेटी
देश में दरिंदगी 
और कितना ?

किसी से और
बेटी का नहीं कम 
जीने का हक

अपना बचा
निकाल रहा मेघ
हमारा स्वेद



बेटी ही धन
दुल्हन को सहेज
छोड़ दहेज़


पाने को कुछ
दिखाते हैं जो प्रेम
होता फरेब

प्रसन्न होगा
भर देगा वो घर
चिंता न कर

कभी न सोता
किसी पल पुकारो
सुन वो लेता

कहीं तो होगा
एक दिन हमारी
वो सुन लेगा

बहुत हुआ
इतना न सताओ
बादलों आओ
छानें चाय पकौड़ी
मिल साथ उड़ाओ

रंगीले मेघ!
क्या मुंबई ही भाती
दिल्ली भी आओ

सताती गर्मी
कैसी ये हठधर्मी
रूठे बादलों !

भाता नहीं क्यों
मेरी नगरी आना
तुम्हें बादलों

आ ही गए हो
शर्माते क्यों बादल !
बरस भी दो

स्वागत मेघ !
मन प्रसन्न देख
आओ बरसो 

निभाओ वादा
बरसने का तुम
घेरे बादलों


करके योग
रख सकते लोग
काया निरोग

स्वस्थ रहना 
जगाता है चेतना   
योग दिवस 

धरा है गोल  
बस यही जानने 
पढ़ा भूगोल 

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