Sunday, 3 September 2017

Seekh liya, Ghazal


दे दिया तूने झटका, औकात में रहना सीख लिया।
तूने कानों को मूँदा, मैं दिल से कहना सीख लिया।

बड़ा जोर लगाया फिर भी, तुझसे पार न पाया मैं,
जिस धारे में डाल दिया, बस उसी में बहना सीख लिया।

अपने मिले हालात को, बदल तो नहीं सकता था मैं,
जिस हाल में छोड़ा तूने, उसी को सहना सीख लिया।

पत्थर की सी मजबूती, कभी भी नहीं दिया तूने,
बालू की बनी दीवार सा, पल में ढहना सीख लिया।

कमजोरियां पाले था खुद, मगर विफलताओं को,
मढ़ के किसी और के सिर, देना उलहना सीख लिया।

चुकाने को तो कौड़ी ना थी, उन मोतियों के मोल को,
कंकड़ों को ही मोती बता, बनाना गहना सीख लिया।

हालात से हर समझौता करना, हो गयी नियति अपनी,
पानी के बढ़ जाने पर, दोनों हाथ उबहना सीख लिया।

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