Thursday, 7 September 2017

Haiku Tere naam 1


तुम्हारे सिवा
जिसे कहें अपना
कौन है और

दया करना
दयावान ना कोई
तुझसे बड़ा

हे भगवान
रखना मेरी लाज
तुम्हारे हाथ

मुझे  विश्वास
तुम हो आस पास
होगा दर्शन

लगता देख
जंगल और पेड़
यहीं कहीं हो

झील झरने
लगते हैं कहने
यहीं कहीं हो 

घुमड़े घन 
देख कहता मन 
यहीं कहीं हो 

हर लहर 
कहती उठकर 
यहीं कहीं हो 

सूरज तारे 
आये बताने सारे 
यहीं कहीं हो

भरो सुगंध
जीवन में मोहन
बन चन्दन

तेरे ही हाथ
जीवन की ये नाव
लगाना पार

जो कुछ पाया
सांस भोजन पानी
तेरी ही माया

तूने देकर
यह जग सुन्दर
बड़ी कृपा की


वही मिलेगा 
चाहे जोर लगा ले 
जो वह देगा 

उसका जग 
दिया किराये पर 
चुकता कर 

दुनिया यह 
देती भ्रम में डाल 
माया की जाल 



दुःख हरणी
जय जग जननी
नमःतुभ्यम

जग जननी
सबका कष्ट हरे
कल्याण करे

भवतारिणी
माँ तू संकट हारे
भव से तारे

देता हे दुर्गे!
जीवन सुखमय
तेरा आश्रय


***************

रोड़ी पर्वत
ताड़ तिल हो जाये
तू यदि चाहे

धनी हो दीन
रंक राज चलाये
तू यदि चाहे

बहरा सुने 
गूंगा गीत सुनाये 
तू यदि चाहे 

नहीं है कुछ 
असंभव हो पाए  
तू यदि चाहे 

पंख बगैर  
मनुष्य उड़ जाए 
तू यदि चाहे 


*****************


देखा तुमको
बहते झरनों में
शोर मचाते

देखा तुमको
फूलों की टहनी पे
गंध फैलाते

देखा तुमको
तितली के पंख पे
रंग जमाते

देखा तुमको
कल कल करती
नदी में जाते

देखा तुमको
गहरे समुद्र में
उर्मि उठाते

देखा तुमको
ओस की बूंदें बन
नभ से आते

देखा तुमको
कंठ में बैठकर
गीत सुनाते

देखा तुमको
मेरे इन नैनों से
विश्व दिखाते

देखा तुमको
दीपक की लौ बन
ज्योति जगाते

देखा तुमको
पत्थर बनकर
ठोकर खाते

देखा तुमको
चिड़ियों की ची ची में
चहचहाते

देखा तुमको
मछली सा पानी में
तैर के जाते

देखा तुमको
सितारों पर बैठ
टिमटिमाते

देखा तुमको
वर्षा में मेढक सा
टर्रटर्राते

देखा तुमको
भाप को ठंडा कर
बर्फ वर्षाते

देखा तुमको
बसंत बुलाकर
पुष्प खिलते

देखा तुमको
मिटे क्षुधा सबकी
अन्न उगाते



देखा तुमको
प्रातः ही सुदूर से
सूर्य झंकाते

देखा तुमको
उंगली पे अपनी
धरा डुलाते

देखा तुमको
कोई भी रूप धर
कहीं भी आते

देखा तुमको
शिशु के मुख पर
खिलखिलाते

देखा तुमको
हर वस्तु जीव में
होते समाये  

देखा तुमको
प्राणों में घुसकर
सांस चलाते

देखा तुमको
मेरे मन भीतर
बैठ मुस्काते

देखा तुमको
हवाओं में मुझको
छूकर जाते

************


उसी के हाथ
जीवन व मरण
रहे स्मरण

तुम्हारे पास
जो है उसका दिया
रहे स्मरण

दुखों का वही
करता निवारण
रहे स्मरण

सांसों की डोर
होती उसी के हाथ
रहे स्मरण

उसका नाम
दिया जो सब कुछ
रहे स्मरण 

*************


बिगड़े काम
बनाने को बहुत
तेरा ही नाम

प्रेम से लेता
जो, दुःख हर लेता
तेरा ही नाम

राह सुगम
करता हरदम
तेरा ही नाम

जो भी पुकारे
भव पार उतारे
तेरा ही नाम

सबसे बड़ा
इस सृष्टि में खड़ा
तेरा ही नाम

मुझे बहुत
दुनिया से क्या काम
तेरा ही नाम

छाँव व घाम
सब कुछ समाये
तेरा ही नाम

स्वर्ग सा होता
गूंजे जिसके धाम
तेरा ही नाम

कृष्ण व राम
दोनों हे भगवान
तेरा ही नाम

पाया जिसने
पा लिया सब कुछ
तेरा ही नाम 


************

पूरी सृष्टि में
कहीं कुछ नहीं  था
तब भी तू था

नहीं हिलता
चाहे बिना उसके
एक भी पत्ता

कुछ भी करो
सम्हालने अंततः
उसे ही आना

तुम्हारे लिए
दुनिया ही दे डाला
ऊपरवाला

उसके घर
चाहे हो जाये देर
नहीं अंधेर 



कोई न होता
तब साथ में मेरे
तू ही तू होता

दूँ मैं नाम क्या 
तेरे मेरे बीच का
रिश्ता जो बना

विष का प्याला
ले मीरा ने पी डाला
कृष्ण का नाम 


मैं हूँ तुझमें
और तू है मुझमें
गहरा प्यार

कैसा विचित्र
रच डाला है तूने
बैठे ही सृष्टि

वह तो है ही
करेगा खुद मेरी
मुझे क्या चिंता

जग में एक
सबका रखवाला
ऊपर वाला

सोच के चले
दिया है मनुष्य को
प्रभु ने बुद्धि

होना है वही
चाहे करो कुछ भी
प्रभु चाहेगा

प्रभु को पाना
तुम मन भीतर
गोता लगाना

यह प्रकाश
दिखाती जो दुनिया
तेरा ही दिया

ऑंखें तो दिया
देखने को दुनिया
तू ना दिखता

ढूंढा तुझको
मंदिरों में भटक
तू मेरे घट

तेरी आवाज
सुनते हम स्पष्ट
शांति हो जब

ये मोमबत्ती
हमें प्रकाश देने
स्वयं जलती

एक ही धर्म
होता हर जीव का
प्रभु से प्यार

भाग्य में वदा
लिख दिया उसने
मनुष्य के क्या

खोलनी होती
देखने को उसको
मन की ऑंखें

उसका द्वार
रहता खुला सदा
कोई आ जाय

खोया जो कुछ
बदल कर रूप
फिर से पाया

तुम हो प्रभु
प्यार का महा सिंधु
मैं एक बून्द

यदि वो चाहे
शिला पे खिल जाते
फूल व होंठ

मुझे क्या चिंता
मुझ पर झरता
उसका प्यार

उसकी बात
सुनने को चाहिए
शांत दिमाग

जब भी देखो
रचना को उसके
दिल से देखो 


छोड़ पिंजरा
उड़ने को पायेगा
अम्बर बड़ा

तू क्यों ढकता
खुद की सुंदरता
डाल मुखौटा

बनाया वह
तुझे अति सुन्दर
आभास कर

मन है मात्र
घूमने में सक्षम
पूरा आकाश

भगाने हेतु
कर उसे स्मरण
मन का तम

दिया उसने
प्यार की गहराई
थाह न पाई

बड़ा है पार
पा जाने के पश्चात्
प्रभु का प्यार

देता है दुःख
करे उसकी ओर
इंसान रुख

करेगा कोई ?
आये न अवसाद
प्रभु को याद

उसने भरे
धरा तुम्हारे लिए
सोच से परे

उसका नाम
रखना पास सदा
बनाता काम

विपत्ति काल
छोड़ जाते हैं सब
वो होता साथ

करके पाप
नहीं छुप पाओगे
ढूंढेगा आप

देखता है तू
हरदम मुझको
रह अदृश्य

देना ना प्रभु
अहं क्रोध की ज्वाला
जल जाऊँ मैं

साथ में होता
जिसका कोई नहीं
ईश्वर सदा

देवी देवता
बताते मुझ जैसे
अंधे को रास्ता

नन्हां सा कीड़ा
दे देता इन्सान को 
गहरी पीड़ा

एक मच्छर
कर देता है पैदा
इंसां में डर

कीड़े मकोड़े
सुंदरता भरने
पृथ्वी पे छोड़े

नन्हीं सी चींटी
देखते रह जायं
जी चाहे कभी

वृक्ष चढ़ती
दौड़ के गिलहरी
मन मोह ली

गीत सुनाओ
रंग बिरंगे पंछी
पास आ जाओ


चलती रही
साथ में परछाईं
उजाला भर  


डोलूं बाजार
तू ना खरीददार
जान कर भी

कहीं जड़ दो
मंदिर या मस्जिद
ईंटों की भक्ति

बेड़ा है पार
किसी का होने पर
प्रभु से प्यार

हंसना नहीं
किसी के दुःख पर
उसे हंसाना

भले को देना
भलाई से उत्तर
बुरा न बने

क्षमा का दान
देने वाला होता है
व्यक्ति महान

स्वार्थ का रिश्ता
पूरा होते ही स्वार्थ
होता समाप्त

तन से ज्यादा
मन को संवारना
ध्यान रखना

अँधेरे में भी
सही राह दिखाना
हे मेरे प्रभु

हो ना उदास
क्षति होने पे करो
ईश को याद

देगा वो वही
जो उसे लगे सही
तुम्हारे योग्य

जाओगे तुम
किये कर्म लेकर
उसके घर

परीक्षा लेता
पास होने की शक्ति
प्रभु ही देता

सागर तट
प्यास के मारे सूखा
राही का घट

जो कुछ मिला
तेरी मेहरबानी
शुक्रिया खुदा

शीश नवाये
सब कुछ मिलता
प्रभु के आगे

लेता नाम भी
प्रभु से मांगने को
कितना स्वार्थी

उसी प्रकार
जैसे कि प्राण वायु
ईश अदृश्य

प्रभु से मांगो
और किसी से क्यों
मांगना ही हो


कौन जलाता
प्रभु नहीं सड़ाता
मृत शरीर

नन्हां सा गोदा
उससे उग जाता
विशाल वट

बड़े से बड़े
कब्रिस्तान में देखा
मिटटी में दबे

गठरी नहीं
अंत में काम आना
करनी तेरी

आज ना कल
मिल कर रहेगा
कर्मों का फल


प्रभु ने दिया
अमूल्य उपहार
मेरी जिंदगी

प्रभु को आता
देने में ही आनंद
मित्र परम

रखते हैं जो
सकारात्मक सोच
पाते लक्ष्य वो

परोपकार
सबसे बड़ा धर्म
देता सत्कार

करता वह
जग में सब कुछ
तुम क्यों गर्व ?

करने लगूं
इतना प्यार दे तू
तुझसे प्यार

देखती होतीं
कैसा भी बड़ा चोर
ऑंखें उसकी

उसकी लाठी
कैसा भी बड़ा दुष्ट
मार गिराती

मन में ठान
ईश्वर का ले नाम
शुरू हो जाओ

प्रार्थना मेरी
मिलती रहे प्रभु
आशीष तेरी

रखना लगा
इन्द्रियों पे लगाम
कठिन काम

दिखता ना तू
दिखा देता इन्सां को
सब ही कुछ

अवश्य देगा
वह वक्त पे फल
भरोसा रख

करते लोग
जब कि कांटे सख्त
फूलों से प्यार

बनाना प्रभु
अधिक देने योग्य
लेने के नहीं

होना है वह
कुछ करता रह
जो वो चाहेगा

स्मरण मात्र
प्रभु का बना देता
व्यक्ति सुपात्र

मन मस्तिष्क
लगा प्रभु में दोनों
सुखी वो व्यक्ति


घर से दूर
एकांत में निकला
तुझे पाने को
वहां भी शोर मचा
मुझको भगाने को

मैं कैसा मूर्ख
डोलता बाजार में
कहीं वो दिखे
जब कि मालूम है
वो तो व्यापारी नहीं 



बैठा है वह
जब मेरे ऊपर
मुझे क्या डर

देगा ही वह
दिया है जिंदगानी
दाना व पानी

उसी के हाथ
जीवन व मरण
रहे स्मरण

रखना खोले
जाने कब भर दे
तेरी वो झोली

***********
आग बुझाता
खौल रहा जल भी
प्रभु की माया

चुभे जो कांटा
निकालता भी कांटा
प्रभु की माया

बाग एक ही
फूल के रंग कई
प्रभु की माया

सीखा ना पशु
जल में तैर जाता
प्रभु की माया

उल्टे चलती
छत पे छिपकली
प्रभु की माया

पेड़ चढ़ती
गिलहरी दौड़ती
प्रभु की माया

*************
दिया है पेट
भरने का प्रबंध
 किया उसी ने

बहुत दिया
देने वाले ने तुझे
शुक्रिया कर

होता न वश 
कैसे बनाया होगा
मन को वह


पत्ता हिलाया
मन में अँधियों का
डर समाया

नाचती पृथ्वी 
उंगली पे उसकी
संग में सभी

थाम लेना तू
गिरने से पहले
हे मेरे प्रभु !

सांसे भी दिया
उसने गिनकर 
जी लो जी भर

पाया है मैंने
सब कुछ उसी से 
छोड़ा उसी पे

दिए हो तुम 
जग में सब कुछ
प्रभु शुक्रिया 

इतना कुछ
प्रभु तुमने दिया
मैं तुझे क्या दूँ

रखे हूँ आस
मन में है विस्वास
मिलेगा वह

दिए हैं नाते
जियें हम जीवन
गुनगुनाके

आता समझ 
प्यास में चुल्लू भर 
जल का मोल

जीवन ऋण
कर्मों से ही अपने
होना उऋण 

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