haiku
डाल की पात
बइठल ऊपर
बैठ कर निश्चिन्त
किरौना खात
नाहीं अघात
पालक के पत्ते पे
किरौना खात
*******
खड़ा हो जाता
अपना सीना तान
बौराया आम
भौंरे तमाम
देख के जुट जाते
बौराया आम
आया बसंत
स्वागत में झूमता
बौराया आम
स्वामी का मन
देख कर प्रसन्न
बौराया आम
मन में दौड़ी
उम्मीद की किरण
बौराया आम
*********
उन्मत्त मन
करता विचरण
मेघ आवारा
पूरे आकाश
डोलता मारा मारा
मेघ आवारा
चला है झूम
ढक लेने को धूप
मेघ आवारा
हवा का रुख
चल देता उधर
मेघ आवारा
बना के नाव
तैरता हवा पर
मेघ आवारा
कब ठहरा
नभ का है वो भौंरा
मेघ आवारा
हो जाता कवि
देख चाँद की छवि
मेघ आवारा
देखे न कोई
चाँद को ढक लेता
मेघ आवारा
खेलता संग
चाँद के लुका छुपी
मेघ आवारा
***********
तन के संग
करता मन स्वच्छ
रोज नहाना
पूजा की ठाना
पुजारी को पड़ता
रोज नहाना
जब भी होता
शुभ कार्य पे जाना
रोज नहाना
स्वस्थ रखता
उत्तम खाना और
रोज नहाना
जाड़े के दिन
है किसके वश की
रोज नहाना
ढूंढे बहाना
पड़े नहीं पप्पू को
रोज नहाना
माँ दे दे खाना
है कहती रहती
रोज नहाना
रहोगे ताजा
परीक्षा भर बेटा
रोज नहाना
ठन्डे मुल्कों में
कितना है मुश्किल
रोज नहाना
तंदुरुस्ती की
होता रखे खजाना
रोज नहाना
जूड़ा सजाने
शाम होते ही चली
जूही की कली
जैसे ही खिली
महक गयी हवा
जूही की कली
भीनी महक
मन जाय बहक
जूही की कली
चीन की चाय
महकाती है स्वाद
जूही की कली
नहाते डाल
पानी में जगन्नाथ
जूही की कली
दक्षिण वासी
हरेक अभिलाषी
जूही की कली
गुच्छे का गुच्छा
ले के बेचने चली
जूही की कली
माला में गूँथ
गोरी के गले पड़ी
जूही की कली
लगती भली
जुड़े पे मढ़ जाती
जूही की कली
शाम सुहानी
बना देती दीवानी
जूही की कली
मंदिर
**********
उतरे नेता
रक्षा में डटे
चला किसान
ले के खुर्पा कुदाल
कमर कस
श्रमिक डटे
***********
सच बोलना
है किसी के लिए भी
बड़ी चुनौती
खेल तो लेते
पदक जीत लाना
बड़ी चुनौती
शौच की सोच
सबमे जगा देना
बड़ी चुनौती
अपना मन
नियंत्रित करना
बड़ी चुनौती
दिल जीतना
रण जितने से भी
बड़ी चुनौती
******
निकल जाती
सितारों की बारात
चाँदनी रात
देख के ऑंखें
नभ में टिक जातीं
चांदनी रात
हरेक रात
जी चाहता कि होवे
चांदनी रात
ताजमहल
जैसे चाँद उतरा
चांदनी रात
चाँद अपना
निहारता चकवा
चांदनी रात
*****
ठण्ड / सर्दी की रात
नहाती रही
घास समूची रात
ठण्ड की रात
खोया था चाँद
ढूंढती रहीं ऑंखें
ठण्ड की रात
छिटके मोती
पार्क की घास पर
ठण्ड की रात
जागता रहा
मेरे साथ अलाव
ठण्ड की रात
दौरे का दौर
रजाई में अकेली
ठण्ड की रात
****************
होत विहान
लेकर चले खेत
लोटा का पानी
कलश हेतु
भर कर ले आना
लोटा का पानी
लगती खाली
दूब घास के बिना
पूजा की थाली
अच्छत हल्दी
गुड़ दही से सजी
पूजा की थाली
बहु ले आई
पुजारी ने संभाली
पूजा की थाली
उठा के रखे
पंडित जी बगल
पूजा की थाली
***********
मन में इच्छा
उड़ने की भरते
उड़ते पंछी
बनाया यान
देख कर इंसान
उड़ते पंछी
चंद्र ग्रहण
शाम को लगा देते
उड़ते पंछी
नभ को देते
मनमोहक छवि
उड़ते पंछी
हो जाते बड़े
गगन में मगन
उड़ते पंछी
ठहर जाते
मेरे गाँव भी कई
उड़ते पंछी
बागों में घूम
मचा देते हैं धूम
उड़ते पंछी
शाम सुहानी
करते घर जाते
उड़ते पंछी
बच्चों का मन
देख के उड़ जाता
उड़ते पपंछी
पंख पा जाते
हम भी बन जाते
उड़ाते पंछी
***********
मचाते पंछी
मेरे गांव में शोर
होते ही भोर
रंभाती गाय
हुआ दूध तैयार
होते ही भोर
बज उठती
मंदिर की है घंटी
होते ही भोर
खिल उठता
गुड़हल का फूल
होते ही भोर
आकर मक्खी
जगाने लग जाती
होते ही भोर
लेकर बस्ते
नन्हें मुन्ने चलते
होते ही भोर
मनेगी होली
होने लगी तैयारी
होते ही भोर
लेकर लोटा
चले खेत की ओर
गांव की भोर
*************
कर देता है
उर को पुलकित
शिशु का स्पर्श
दिव्य आनंद
अनुभूति कराता
शिशु का स्पर्श
हर लेता है
मन के सब कष्ट
शिशु का स्पर्श
खिल उठता
करके रोम रोम
शिशु स्पर्श
आनंद भर
गोदी में उठाकर
शिशु का स्पर्श
********
व्यथा
घुलन शील
अश्रु में घुल जाती
मन की व्यथा
कह के कथा
वो कम कर लेती
अपनी व्यथा
बढ़ा देते जो
वे अपने ही होते
मन की व्यथा
किससे कहे
अपनों का ही दिया
मन की व्यथा
निर्धन पाता
भूख से कहीं ज्यादा
तंज की व्यथा
हांसे न कोई
डर से न कहती
मन की व्यथा
पढ़ेगा कौन
उतारे भी पन्नों पे
मन की व्यथा
अपना दर्द
अपनों में ही मथा
बढ़ायी व्यथा
बात की घात
जो दे गयी बहुत
मन की व्यथा
उधार दिया
मिलेगा ब्याज संग
मन की व्यथा
होता है बसा
कल्पना का संसार
बच्चों के मन
कोरा कागज
कुछ भी लिख लो
बच्चों का मन
जैसे की जल
स्वच्छ और निर्मल
बच्चों का मन
राग न द्वेष
निश्छल निःसंदेह
बच्चों का मन
बहल जाता
मिल जाता खिलौना
बच्चों का मन
टूटे न कहीं
खिलौने के कारण
बच्चों का मन
खिला सा देख
खिल जाता है मन
बच्चों का मन
लड़ झगड़
हो जाता एक शीघ्र
बच्चों का मन
बच्चों के साथ
खेलो गर हो जाता
बच्चों सा मन
रहे प्रसन्न
सबसे बड़ा धन
बच्चों का मन
*****************
चाहता दिल
लगाए रहें टकी
चाँद की छवि
नहीं थकता
निहारते चकोर
चाँद की छवि
चांदनी रात
पाकर इतराती
चाँद की छवि
चाहती सदा
छत पर ही सोना
चाँद की छवि
चाँद की छवि
करवा चौथ
चलनी से चलती
चाँद की छवि
चाँद देखता
छत से नभ पर
चाँद की छवि
लगा के बिंदी
सज जाता अम्बर
चाँद की छवि
बदकिस्मती
देख न पाता रवि
चाँद की छवि
*************
मन को छूती
सागर में उठती
शोख लहर
पांव छूकर
दे दिल को ठंडक
शोख लहर
***************
जोत बोकर
किसान अगोरता
गेहूं का खेत
कृष मुस्काता
देख लहलहाता
गेहूं का खेत
होली पश्चात
पक कर तैयार
गेहूं का खेत
सोने का ढेर
पक कर लगता
गेहूं का खेत
भरता पेट
अपने भारत का
गेहूं का खेत
************
बेर
छोटा सा फल
रखे काटों का ढेर
बेर का पेड़
स्वाद में मीठा
गुणकारी अनूठा
बेर का फल
पड़ोस बसा
केला झेला दुर्दशा
बेर का पेड़
थोड़ा सा गूदा
गुठली अति बज्र
बेर का फल
राम को भाया
सबरी का वो जूठा
बेर का फल
कहते ज्ञानी
बेर खा के तुरत
पीना न पानी
प्रभावी दवा
आयुर्वेद का बना
बेर का फल
पेड़ हिलाना
काटों से बचकर
बेर हो पाना
रंग कमाल
जैसे गोरी के गाल
बेर का फल
शिव का होता
शिवरात्रि का भोग
बेर का फल
************
रहना पड़ा
प्यार के हासिये पे
पहरा पड़ा
रहते संग
भिन्न धर्म के लोग
बांटते नेता
राष्ट्र है एक
भाषा क्षेत्र अनेक
बांटते नेता
मान लें कैसे
बांटे व देश भक्त
नेता को ऐसे
कोई हो खंड
मिल जाए प्रभुता
बांटते नेता
जाति के नाम
बँट जाए समाज
चाहते नेता
****
सीखा तुमसे
दिल ने प्रीति की रीति
मन के मीत
सुनाओ कोई
प्यार से भरा गीत
मन का मीत
तुम आ जाते
मन में जगती प्रीति
मन के मीत
मिल के दिल
हो जाता पुलकित
मन के मीत
तुम संग मैं
पयार को लूंगा जीत
मन के मीत
****
रखती पीला
रंग है चटकीला
फूली सरसों
कृषक मन
देख होता प्रसन्न
फूली सरसों
जगाती मन
उम्मीद की किरण
फूली सरसों
चुनरी पीली
धरती ने ओढ़ ली
फूली सरसों
करने चली
बसंत का स्वागत
फूली सरसों
पका अनार
****
जलती आग
धधकाती बुझाती
बहती हवा
पेड़ों के पत्ते
हिला बेनी डुलाती
बहती हवा
खिलते फूल
सुगंध लिए आती
बहती हवा
बच्चे प्रसन्न
उड़ा देती पतंग
बहती हवा
भोर की बेला
मन मेरा जुड़ाती
बहती हवा
बसता यार
कैसे जाऊँ मिलने
नदी के पार
रही बेचारी
सावन में अकेले
गम की मारी
मुस्कराहट
मुस्कराने से
बदले में मिलती
मुस्कराहट
द्वार खोलती
जाने का दिल तक
मुस्कराहट
किसी से मिलो
मुखड़े पर रख
मुस्कराहट
प्रेम की भाषा
शब्द बोले बिना ही
मुस्कराहट
सूरज आता
मुख पे लिए रोज
मुस्कराहट
चहके पक्षी
महक जाता
दहक जाता
हरे मुरारी
कशी के वासी
गंगा किनारे
मन निहारे
काँटों की राह
बड़ी सुहानी
गैंडे की खाल
**********
ओर न छोर
अनंत है संसार
तारों के पार
जाते कहाँ हैं
जीवन उपरांत
तारों के पार
कैसी दुनिया
बस कल्पना मात्र
तारों के पार
खोज न पाया
विज्ञानं भी रहस्य
तारों के पार
कितने तारे
अभी और छुपे हैं
तारों के पार
*****
सहनशक्ति
भी होती है संपत्ति
गधा सिखाता
धैर्य संयम
रखना मनुष्य को
गधा सिखाता
कर्तव्यनिष्ठ
होकर के रहना
गधा सिखाता
जाना सरल
चाहे ऊँचा पर्वत
गधा सिखाता
दुष्कर राह
जमाये चलो पांव
गधा सिखाता
********
कहीं न कहीं
कहीं का नहीं
जाती है घूंट
पानी की बून्द जब
प्रभु की कृपा
उसी में रमा
प्रभु श्रीराम
तेरा सहारा
किस्मत खोले
जो स्मरण करते
जै बेम भोले
उसका नाम
*******
राम का नाम
हनुमान के सदा
मन में बसा
साधु संतों के
दूसरों का कल्याण
मन में बसा
भाग्यवान वे
पूरा होता जिनके
मन में बसा
एक मूरत
मोहिनी सी उसके
मन में बसा
पूरा करना
मुझको है वो काम
मन में बसा
*****
अंततोगत्वा
विजयी जो चलता
सच की राह
चलने वाला
पाता स्वतः ही लक्ष्य
सच की राह
कभी न हार
हो पाती जो चलता
सच की राह
चलना बड़ी
होती मुश्किलों भरी
अंत में सुख
भले ही हो दुष्कर
सच की राह
***********
होता है मीठा
जाना सब्र का फल
पढ़ के गीता
कर्मों का फल
होता प्रभु के हाथ
कहती गीता
क्रोध से भ्रम
भ्रम से बुद्धि नष्ट
कहती गीता
प्रभु की प्राप्ति
होती करके भक्ति
कहती गीता
जग में सब
जो है दिया है रब
कहती गीता
है वो सबका
जो है इस जग का
कहती गीता
शंकालु व्यक्ति
कुंठित ही रहता
कहती गीता
भाव अभाव
प्रभाव देते झुका
कहती गीता
***
स्वार्थ ही मित्र
स्वार्थ बनाता शत्रु
गीता की सीख
आत्मा अमर
देह उसका घर
गीता की सीख
सन्मार्ग सदा
सत्कर्म से बनता
गीता की सीख
ज्ञान की शक्ति
मन हो नियंत्रित
गीता की सीख
आज जो तेरा
कल और का डेरा
गीता की सीख
आये हो खाली
जाना है खाली हाथ
गीता की सीख
जैसी प्रवृत्ति
मनुष्य की प्रकृति
गीता की सीख
कर्मों का फल
वह देता अवश्य
गीता की सीख
प्रभु रचित
सबसे रखो प्रेम
गीता की सीख
रखता भय
अहंकारी सदैव
गीता की सीख
*****
कर्मों से तय
**********
वन के कष्ट
सीता सही सहज
प्रेम में डूबी
राधा जीवन
की कान्हा को अर्पण
प्रेम में डूबी
पी गयी विष
मीरा बेझिझक
प्रेम में डूबी
चौदह वर्ष
उर्मिला के अकेले
प्रेम में डूबी
रानी से दासी
हो गयी दमयंती
प्रेम में डूबी
जहर खिला
किया हीर की हत्या
प्रेम में डूबी
पाई सौगात
ताज का मुमताज
प्रेम में डूबी
पढ़े थे साथ
थाम के रखी हाथ
प्रेम में डूबी
कह दी साफ
तू मेरा अनुराग
प्रेम में डूबी
तू मेरा दीया
मैं तेरी बाती पिया
प्रेम में डूबी
*************
मैं ना लड़ी थी
द्वार खड़ी थी
सैयां निकस गये
मैं ना लड़ी थी
रोके रुके ना
उन्हें जाने ना कैसी
जल्दी पड़ी थी
विपदा भरी
सहना था मुश्किल
कैसी घडी थी
भीगी अँखियाँ
असुअन की बड़ी
लंबी झड़ी थी
जुटे संबंधी
मित्रों की उन पर
ऑंखें गड़ी थी
तन पे कोरी
खरीद कर लाई
चुन्नी पड़ी थी
सादी सी चुन्नी
ना कोई कढ़ाई ना
गोटा जड़ी थी
मित्रों की लाई
फूलों की उनपर
माला चढ़ी थी
चले हिंडोले
बुलाये नहीं बोले
नींद बड़ी थी
चार जने थे
कान्हे पर जिनके
डोली चढ़ी थी
**************
पहाड़
तू ही करती
माँ भव का उद्भव
सब संभव
फूलों की गंध
पान का पत्ता
टिमटिमाते
झांकने लगे तारे
डूबा सूरज
पंछी के झुण्ड
चले नीड़ की ओर
डूबा सूरज
दूर क्षितिज
रंग गया सिंदूरी
डूबा सूरज
कर्तव्य पर
दीपक है तत्पर
डूबा सूरज
झील में आग
लगा दिया जाकर
डूबा सूरज
ग्रामीण चला
बाजार से वापस
डूबा सूरज
निकला चाँद
करने प्रेमलीला
डूबा सूरज
छुपते देखा
पहाड़ियों के पीछे
डूबा सूरज
पेड़ों की डार
खगों की भरमार
डूबा सूरज
छत पे धुआं
हुई खेतों में हुआँ
डूबा सूरज
**********
हुआ छपाक
पुराने पोखरे में
कूदा मेढक
झपटा सांप
बचकर जल में
कूदा मेढक
जैसे ही गए
तालाब के किनारे
कूदा मेढक
जूते में डाला
अँधेरे में ही पांव
कूदा मेढक
नन्हा बालक
पकड़ने को चला
कूदा मेढक
***************
मरू में मन
भटकेगा जन का
वन के बिना
पशु का घर
धरा पर सुन्दर
हैं ये जंगल
बनेंगे कैसे
घर के फर्नीचर
वन के बिना
छीनो न घर
पशु पक्षी का कर
वन दोहन
रह जायेगा
जलधर भी प्यासा
वन के बिना
नित दूषित
हो रहा पर्यावरण
वन दोहन
नहीं रहेंगीं
साथ साँसे अपनी
वन के बिना
रहा है छीन
धरा का आभूषण
वन दोहन
होगी नग्न सी
बेश्रृंगार धरती
वन के बिना
छीन जाएगी
अति बड़ी सम्पदा
वन के बिना
वनस्पति
जड़ी बूटियां
अत्यंत ही दुर्लभ
रखे पर्वत
धरती
पशु
डाल की पात
बइठल ऊपर
बैठ कर निश्चिन्त
किरौना खात
नाहीं अघात
पालक के पत्ते पे
किरौना खात
*******
खड़ा हो जाता
अपना सीना तान
बौराया आम
भौंरे तमाम
देख के जुट जाते
बौराया आम
आया बसंत
स्वागत में झूमता
बौराया आम
देख कर प्रसन्न
बौराया आम
मन में दौड़ी
उम्मीद की किरण
बौराया आम
*********
उन्मत्त मन
करता विचरण
मेघ आवारा
पूरे आकाश
डोलता मारा मारा
मेघ आवारा
चला है झूम
ढक लेने को धूप
मेघ आवारा
हवा का रुख
चल देता उधर
मेघ आवारा
बना के नाव
तैरता हवा पर
मेघ आवारा
कब ठहरा
नभ का है वो भौंरा
मेघ आवारा
हो जाता कवि
देख चाँद की छवि
मेघ आवारा
देखे न कोई
चाँद को ढक लेता
मेघ आवारा
खेलता संग
चाँद के लुका छुपी
मेघ आवारा
कब रुकेगा
यहाँ पे बरसने
मेघ आवारा
यहाँ पे बरसने
मेघ आवारा
***********
तन के संग
करता मन स्वच्छ
रोज नहाना
पुजारी को पड़ता
रोज नहाना
जब भी होता
शुभ कार्य पे जाना
रोज नहाना
स्वस्थ रखता
उत्तम खाना और
रोज नहाना
जाड़े के दिन
है किसके वश की
रोज नहाना
ढूंढे बहाना
पड़े नहीं पप्पू को
रोज नहाना
माँ दे दे खाना
है कहती रहती
रोज नहाना
रहोगे ताजा
परीक्षा भर बेटा
रोज नहाना
ठन्डे मुल्कों में
कितना है मुश्किल
रोज नहाना
तंदुरुस्ती की
होता रखे खजाना
रोज नहाना
*************
जूड़ा सजाने
शाम होते ही चली
जूही की कली
जैसे ही खिली
महक गयी हवा
जूही की कली
भीनी महक
मन जाय बहक
जूही की कली
चीन की चाय
महकाती है स्वाद
जूही की कली
नहाते डाल
पानी में जगन्नाथ
जूही की कली
दक्षिण वासी
हरेक अभिलाषी
जूही की कली
गुच्छे का गुच्छा
ले के बेचने चली
जूही की कली
माला में गूँथ
गोरी के गले पड़ी
जूही की कली
लगती भली
जुड़े पे मढ़ जाती
जूही की कली
शाम सुहानी
बना देती दीवानी
जूही की कली
मंदिर
**********
उतरे नेता
सिर पर चुनाव
कमर कस
रक्षा में डटे
सीमा पर सैनिक
कमर कस
कमर कस
परीक्षा पास
छात्रों ने लिया अब
कमर कस
चला किसान
ले के खुर्पा कुदाल
कमर कस
श्रमिक डटे
उत्पादन बढ़ाने
कमर कस
***********
सच बोलना
है किसी के लिए भी
बड़ी चुनौती
खेल तो लेते
पदक जीत लाना
बड़ी चुनौती
शौच की सोच
सबमे जगा देना
बड़ी चुनौती
अपना मन
नियंत्रित करना
बड़ी चुनौती
दिल जीतना
रण जितने से भी
बड़ी चुनौती
******
निकल जाती
सितारों की बारात
चाँदनी रात
देख के ऑंखें
नभ में टिक जातीं
चांदनी रात
हरेक रात
जी चाहता कि होवे
चांदनी रात
ताजमहल
जैसे चाँद उतरा
चांदनी रात
चाँद अपना
निहारता चकवा
चांदनी रात
*****
ठण्ड / सर्दी की रात
नहाती रही
घास समूची रात
ठण्ड की रात
खोया था चाँद
ढूंढती रहीं ऑंखें
ठण्ड की रात
छिटके मोती
पार्क की घास पर
ठण्ड की रात
जागता रहा
मेरे साथ अलाव
ठण्ड की रात
दौरे का दौर
रजाई में अकेली
ठण्ड की रात
****************
लेकर चले खेत
लोटा का पानी
कलश हेतु
भर कर ले आना
लोटा का पानी
लगती खाली
दूब घास के बिना
पूजा की थाली
अच्छत हल्दी
गुड़ दही से सजी
पूजा की थाली
बहु ले आई
पुजारी ने संभाली
पूजा की थाली
उठा के रखे
पंडित जी बगल
पूजा की थाली
***********
मन में इच्छा
उड़ने की भरते
उड़ते पंछी
बनाया यान
देख कर इंसान
उड़ते पंछी
चंद्र ग्रहण
शाम को लगा देते
उड़ते पंछी
नभ को देते
मनमोहक छवि
उड़ते पंछी
हो जाते बड़े
गगन में मगन
उड़ते पंछी
ठहर जाते
मेरे गाँव भी कई
उड़ते पंछी
बागों में घूम
मचा देते हैं धूम
उड़ते पंछी
शाम सुहानी
करते घर जाते
उड़ते पंछी
बच्चों का मन
देख के उड़ जाता
उड़ते पपंछी
पंख पा जाते
हम भी बन जाते
उड़ाते पंछी
***********
मचाते पंछी
मेरे गांव में शोर
होते ही भोर
रंभाती गाय
हुआ दूध तैयार
होते ही भोर
बज उठती
मंदिर की है घंटी
होते ही भोर
खिल उठता
गुड़हल का फूल
होते ही भोर
आकर मक्खी
जगाने लग जाती
होते ही भोर
लेकर बस्ते
नन्हें मुन्ने चलते
होते ही भोर
मनेगी होली
होने लगी तैयारी
होते ही भोर
लेकर लोटा
चले खेत की ओर
गांव की भोर
*************
कर देता है
उर को पुलकित
शिशु का स्पर्श
दिव्य आनंद
अनुभूति कराता
शिशु का स्पर्श
हर लेता है
मन के सब कष्ट
शिशु का स्पर्श
खिल उठता
करके रोम रोम
शिशु स्पर्श
आनंद भर
गोदी में उठाकर
शिशु का स्पर्श
********
व्यथा
घुलन शील
अश्रु में घुल जाती
मन की व्यथा
कह के कथा
वो कम कर लेती
अपनी व्यथा
बढ़ा देते जो
वे अपने ही होते
मन की व्यथा
किससे कहे
अपनों का ही दिया
मन की व्यथा
निर्धन पाता
भूख से कहीं ज्यादा
तंज की व्यथा
हांसे न कोई
डर से न कहती
मन की व्यथा
पढ़ेगा कौन
उतारे भी पन्नों पे
मन की व्यथा
अपना दर्द
अपनों में ही मथा
बढ़ायी व्यथा
बात की घात
जो दे गयी बहुत
मन की व्यथा
उधार दिया
मिलेगा ब्याज संग
मन की व्यथा
*************
होता है बसा
कल्पना का संसार
बच्चों के मन
कोरा कागज
कुछ भी लिख लो
बच्चों का मन
जैसे की जल
स्वच्छ और निर्मल
बच्चों का मन
राग न द्वेष
निश्छल निःसंदेह
बच्चों का मन
बहल जाता
मिल जाता खिलौना
बच्चों का मन
टूटे न कहीं
खिलौने के कारण
बच्चों का मन
खिला सा देख
खिल जाता है मन
बच्चों का मन
लड़ झगड़
हो जाता एक शीघ्र
बच्चों का मन
बच्चों के साथ
खेलो गर हो जाता
बच्चों सा मन
रहे प्रसन्न
सबसे बड़ा धन
बच्चों का मन
*****************
चाहता दिल
लगाए रहें टकी
चाँद की छवि
नहीं थकता
निहारते चकोर
चाँद की छवि
चांदनी रात
पाकर इतराती
चाँद की छवि
चाहती सदा
छत पर ही सोना
चाँद की छवि
चाँद देखता
आकाश से झील मेंचाँद की छवि
गांव का वासी
नित दर्शन भागी
चाँद की छवि
चलनी से चलती
चाँद की छवि
चाँद देखता
छत से नभ पर
चाँद की छवि
लगा के बिंदी
सज जाता अम्बर
चाँद की छवि
बदकिस्मती
देख न पाता रवि
चाँद की छवि
*************
बड़ा शकुन
देती आँखों में भर
शोख लहर
देख के दिल
खेलने लग जाता
शोख लहर
ढाती कहर
बिगड़ जाने पर
शोख लहरदेती आँखों में भर
शोख लहर
देख के दिल
खेलने लग जाता
शोख लहर
बिगड़ जाने पर
मन को छूती
सागर में उठती
पांव छूकर
दे दिल को ठंडक
शोख लहर
***************
जोत बोकर
किसान अगोरता
गेहूं का खेत
कृष मुस्काता
देख लहलहाता
गेहूं का खेत
होली पश्चात
पक कर तैयार
गेहूं का खेत
सोने का ढेर
पक कर लगता
गेहूं का खेत
अपने भारत का
गेहूं का खेत
************
बेर
छोटा सा फल
रखे काटों का ढेर
बेर का पेड़
स्वाद में मीठा
गुणकारी अनूठा
बेर का फल
केला झेला दुर्दशा
बेर का पेड़
थोड़ा सा गूदा
गुठली अति बज्र
बेर का फल
राम को भाया
सबरी का वो जूठा
बेर का फल
कहते ज्ञानी
बेर खा के तुरत
पीना न पानी
प्रभावी दवा
आयुर्वेद का बना
बेर का फल
काटों से बचकर
बेर हो पाना
रंग कमाल
जैसे गोरी के गाल
बेर का फल
शिव का होता
शिवरात्रि का भोग
बेर का फल
************
रहना पड़ा
प्यार के हासिये पे
पहरा पड़ा
रहते संग
भिन्न धर्म के लोग
बांटते नेता
राष्ट्र है एक
भाषा क्षेत्र अनेक
बांटते नेता
बांटे व देश भक्त
नेता को ऐसे
कोई हो खंड
मिल जाए प्रभुता
बांटते नेता
जाति के नाम
बँट जाए समाज
चाहते नेता
****
सीखा तुमसे
दिल ने प्रीति की रीति
मन के मीत
प्यार से भरा गीत
मन का मीत
तुम आ जाते
मन में जगती प्रीति
मन के मीत
मिल के दिल
हो जाता पुलकित
मन के मीत
तुम संग मैं
पयार को लूंगा जीत
मन के मीत
****
रखती पीला
रंग है चटकीला
फूली सरसों
देख होता प्रसन्न
फूली सरसों
जगाती मन
उम्मीद की किरण
फूली सरसों
धरती ने ओढ़ ली
फूली सरसों
करने चली
बसंत का स्वागत
फूली सरसों
पका अनार
****
जलती आग
धधकाती बुझाती
बहती हवा
पेड़ों के पत्ते
हिला बेनी डुलाती
बहती हवा
खिलते फूल
सुगंध लिए आती
बहती हवा
बच्चे प्रसन्न
उड़ा देती पतंग
बहती हवा
भोर की बेला
मन मेरा जुड़ाती
बहती हवा
*************
हो आयी उम्र
करने चलें तीर्थ
सफेद बाल
उम्र की बात
चुगली कर देते
सफेद बाल
आयु छुपाये
रंग कर के काला
सफेद बाल
धूप में सेंक
किया नहीं है मैंने
सफेद बाल
यूँ ही न भाई
रखते प्रभुताई
सफेद बाल
संग छुपाया
वर्षों का अनुभव
सफेद बाल
पाया है मैंने
खुद पक कर के
सफेद बाल
चमक जाता
चाँद देख के और
सफेद बाल
चढ़ के पाया
उम्र की ऊँची चोटी
सफेद बाल
प्रभु को याद
करने का सन्देश
सफेद बाल
कटा के आयी
विग बन के बिका
गोरी का बाल
उम्र की भट्टी
पकाया तब पाया
सफ़ेद बाल
विदका चाँद
चाँद पर देख के
सफ़ेद बाल
*************
मेघ कहाँ हो !
दिखाती ना नरमी
बेशर्म गर्मी
आओ न मेघ
सताती हठधर्मी
बेशर्म गर्मी
तर बतर
हुई बिस्तर पर
बेशर्म गर्मी
तन से वस्त्र
उतरवा के मानी
बेशर्म गर्मी
पी गयी सारा
छोटी नदी का जल
बेशर्म गर्मी
भीगा बदन
होली नहीं सावन
बेशर्म गर्मी
रवि का साथ
पाकर हुई जुल्मी
बेशर्म गर्मी
लगी चपत
बिजली की खपत
बढ़ाई गर्मी
ताप में पड़ी
कराहती धरनी
बेशर्म गर्मी
भाड़ बनाई
तपा मरू की भूमि
बेशर्म गर्मी
रखती खैर
करना न भूलना
भोर की सैर
पाने को काफी
दिन भर की खैर
भोर की सैर
बिना कीमत
है स्वास्थ्य की नीमत
भोर की सैर
मस्तिष्क खोल
करती स्वच्छ मन
भोर की सैर
किया वो पाया
प्रकृति का खजाना
भोर की सैर
पहली रश्मि
चूमती जो करता
भोर की सैर
किये मिलती
मुस्कराती धरती
भोर की सैर
प्रभु दर्शन
पा जाता जो करता
भोर की सैर
देखा करके
प्रकृति को जगते
भोर की सैर
रात की चढ़ी
उतार रख देती
भोर की सैर
प्रभु का नाम
करने से पहले
भोर की सैर
शुक्रिया खुदा
एक और दिया
भोर की सैर
******
होता न कम
करने से अँधेरा
घना अंधेरा
दर्द का घेरा
गहरा गया और
होते अँधेरा
डंसने डोला
पा तनहा अकेला
घना अँधेरा
सुबह शाम
लेते हैं तेरा नाम
तीनों पहरहो आयी उम्र
करने चलें तीर्थ
सफेद बाल
उम्र की बात
चुगली कर देते
सफेद बाल
आयु छुपाये
रंग कर के काला
सफेद बाल
धूप में सेंक
किया नहीं है मैंने
सफेद बाल
यूँ ही न भाई
रखते प्रभुताई
सफेद बाल
संग छुपाया
वर्षों का अनुभव
सफेद बाल
पाया है मैंने
खुद पक कर के
सफेद बाल
चमक जाता
चाँद देख के और
सफेद बाल
चढ़ के पाया
उम्र की ऊँची चोटी
सफेद बाल
प्रभु को याद
करने का सन्देश
सफेद बाल
कटा के आयी
विग बन के बिका
गोरी का बाल
उम्र की भट्टी
पकाया तब पाया
सफ़ेद बाल
विदका चाँद
चाँद पर देख के
सफ़ेद बाल
*************
मेघ कहाँ हो !
दिखाती ना नरमी
बेशर्म गर्मी
आओ न मेघ
सताती हठधर्मी
बेशर्म गर्मी
तर बतर
हुई बिस्तर पर
बेशर्म गर्मी
तन से वस्त्र
उतरवा के मानी
बेशर्म गर्मी
पी गयी सारा
छोटी नदी का जल
बेशर्म गर्मी
भीगा बदन
होली नहीं सावन
बेशर्म गर्मी
रवि का साथ
पाकर हुई जुल्मी
बेशर्म गर्मी
लगी चपत
बिजली की खपत
बढ़ाई गर्मी
ताप में पड़ी
कराहती धरनी
बेशर्म गर्मी
भाड़ बनाई
तपा मरू की भूमि
बेशर्म गर्मी
************
रखती खैर
करना न भूलना
भोर की सैर
पाने को काफी
दिन भर की खैर
भोर की सैर
बिना कीमत
है स्वास्थ्य की नीमत
भोर की सैर
मस्तिष्क खोल
करती स्वच्छ मन
भोर की सैर
प्रकृति का खजाना
भोर की सैर
पहली रश्मि
चूमती जो करता
भोर की सैर
किये मिलती
मुस्कराती धरती
भोर की सैर
प्रभु दर्शन
पा जाता जो करता
भोर की सैर
प्रकृति को जगते
भोर की सैर
रात की चढ़ी
उतार रख देती
भोर की सैर
प्रभु का नाम
करने से पहले
भोर की सैर
शुक्रिया खुदा
एक और दिया
भोर की सैर
******
होता न कम
करने से अँधेरा
घना अंधेरा
दर्द का घेरा
गहरा गया और
होते अँधेरा
डर ने घेरा
काली रातों का फिर
हुआ अँधेरा
भागता दूर
देख ज्योति का डेरा
कोई अँधेरा
कभी न घेरा
प्रकाश लिए चला
उसे अँधेरा
जमाया डेरा
भूतों ने चहुँ ओर
होते अँधेरा
कवि बेचारा
मिली नहीं कविता
ढूंढा अँधेरा
प्रेमी युगल
प्रसन्न बहुतेरा
मिला अँधेरा
गयी निखर
सितारों की चमक
पा के अँधेरा
क्या बिगाड़ेगा
डरता है क्यों दीया
तेरा अँधेरा
हवा ने चाहा
दीया को बुझा कर
लाना अँधेरा
मनी दीवाली
अकेले थी वो घर
रहा अँधेरा
छुपा न पाता
दर्द भरी आवाज
घोर अँधेरा
पा तनहा अकेला
घना अँधेरा
सुबह शाम
लेते हैं तेरा नाम
बसता यार
कैसे जाऊँ मिलने
नदी के पार
रही बेचारी
सावन में अकेले
गम की मारी
आने को बोला
गम की मारी
गम की मारी
गम की मारी
गम की मारी
झूठ
खूब चलाया
जानते भी ना होते
झूठ के पैर
समझा वह
सफल हो जायेगा
झूठ को कह
ढूंढता रहा
हराने हेतु न्याय
झूठे गवाह
टिक न पाता
झूठ की नींव पर
बना जो ढांचा
झूठ से बनी
शीघ्र ही टूट जाती
रिश्ते की टांग
हटा ही देता
एक दिन समय
झूठ से पर्दा
कुछ भी मिला
जीवन पर भार
झूठ के बल
उड़ न पाता
कितने भी सुन्दर
झूठ के पर
झूठ ही मेरा
कुछ हासिल करूँ
झूठ के बल
जीते जी मारा
बोल झूठ बोला था
प्यार है उसे
सत्य का पथ
जोर से बोली
सच ही नहीं होती
हर वो बात
नहीं पड़ता
कभी भी पछताना
सत्य के पथ
जीत के लाता
दूसरों का भरोसा
सत्य का पथ
नेता की कला
झूठ बोले तो लगे
सच ही बोला
झूठ का लाभ
थोड़ी देर के लिए
सत्य का सदा
सच्चाई
न्याय की हार
नहीं मिल पाने से
सच्चे गवाह
सबके लिए
राम नाम सत्य है
अंतिम शब्द
तैयारी किया
तो कहीं बोल पाया
छोटा सा झूठ
ज्योति से तम
भाग जाता है दूर
सच से झूठ
हजारों चाहे
झूठों के आगे भारी
एक ही सच्चा
होता है सदा
शांति प्रेम से भरा
सत्य का पथ
लेकर जाती
नरक में अथाह
पाप की राह
संतुष्टि बड़ी
जीवन की रखती
नेकनीयती
स्वर्ग की राह
सुगम बना देती
नेकनीयती
सच की राह
सदैव दिखलाती
नेकनीयती
पाप के कर्म
करने से बचाती
नेकनीयती
बेशकीमती
किये काम रख के
नेकनीयती
मरा मच्छर
कान पे बैठा
कस के मारा हाथ
मरा मच्छर
छेड़ा छिड़क
रासायनिक युद्ध
मरे मच्छर
मसल दिया
मच्छरदानी फंसा
मरा मच्छर
खून का धब्बा
पड़ा कमीज पर
मारा मच्छर
खून पीकर
पड़ते ही नजर
भागा मच्छर
जीवन की रखती
नेकनीयती
स्वर्ग की राह
सुगम बना देती
नेकनीयती
सच की राह
सदैव दिखलाती
नेकनीयती
पाप के कर्म
करने से बचाती
नेकनीयती
बेशकीमती
किये काम रख के
नेकनीयती
मरा मच्छर
कान पे बैठा
कस के मारा हाथ
मरा मच्छर
छेड़ा छिड़क
रासायनिक युद्ध
मरे मच्छर
मसल दिया
मच्छरदानी फंसा
मरा मच्छर
खून का धब्बा
पड़ा कमीज पर
मारा मच्छर
खून पीकर
पड़ते ही नजर
भागा मच्छर
पक्षी घोसला
गाय चलीं गोशाला
शाम की बेला
आते ही हुआ
आसमान सिंदूरी
शाम की बेला
वापस घर
लिए निरहू ठेला
खगों का मेला
वापस जाते नीड़
शाम की बेला
ताक में बैठा
घेरने को अँधेरा
शाम की बेला
गाय चलीं गोशाला
शाम की बेला
आते ही हुआ
आसमान सिंदूरी
शाम की बेला
वापस घर
लिए निरहू ठेला
शाम की बेला
खगों का मेला
वापस जाते नीड़
शाम की बेला
ताक में बैठा
घेरने को अँधेरा
शाम की बेला
मुस्कराहट
बदले में मिलती
मुस्कराहट
द्वार खोलती
जाने का दिल तक
मुस्कराहट
किसी से मिलो
मुखड़े पर रख
मुस्कराहट
प्रेम की भाषा
शब्द बोले बिना ही
मुस्कराहट
सूरज आता
मुख पे लिए रोज
मुस्कराहट
चहके पक्षी
महक जाता
दहक जाता
हरे मुरारी
कशी के वासी
गंगा किनारे
मन निहारे
काँटों की राह
बड़ी सुहानी
गैंडे की खाल
**********
ओर न छोर
अनंत है संसार
तारों के पार
जीवन उपरांत
तारों के पार
कैसी दुनिया
बस कल्पना मात्र
तारों के पार
खोज न पाया
विज्ञानं भी रहस्य
तारों के पार
कितने तारे
अभी और छुपे हैं
तारों के पार
*****
सहनशक्ति
भी होती है संपत्ति
गधा सिखाता
धैर्य संयम
रखना मनुष्य को
गधा सिखाता
कर्तव्यनिष्ठ
होकर के रहना
गधा सिखाता
जाना सरल
चाहे ऊँचा पर्वत
गधा सिखाता
दुष्कर राह
जमाये चलो पांव
गधा सिखाता
********
कहीं न कहीं
कहीं का नहीं
जाती है घूंट
पानी की बून्द जब
प्रभु की कृपा
उसी में रमा
प्रभु श्रीराम
तेरा सहारा
किस्मत खोले
जो स्मरण करते
जै बेम भोले
उसका नाम
*******
राम का नाम
हनुमान के सदा
मन में बसा
साधु संतों के
दूसरों का कल्याण
मन में बसा
भाग्यवान वे
पूरा होता जिनके
मन में बसा
एक मूरत
मोहिनी सी उसके
मन में बसा
पूरा करना
मुझको है वो काम
मन में बसा
*****
अंततोगत्वा
विजयी जो चलता
सच की राह
चलने वाला
पाता स्वतः ही लक्ष्य
सच की राह
कभी न हार
हो पाती जो चलता
सच की राह
चलना बड़ी
होती मुश्किलों भरी
सच की राह
अंत में सुख
भले ही हो दुष्कर
सच की राह
***********
होता है मीठा
जाना सब्र का फल
पढ़ के गीता
जीत सकोगे
स्वयं अपना मन
पढ़ के गीता
करना कर्म
है मनुष्य का धर्म
कहती गीता
कर्मों का फल
होता प्रभु के हाथ
कहती गीता
क्रोध से भ्रम
भ्रम से बुद्धि नष्ट
कहती गीता
प्रभु की प्राप्ति
होती करके भक्ति
कहती गीता
जग में सब
जो है दिया है रब
कहती गीता
है वो सबका
जो है इस जग का
कहती गीता
शंकालु व्यक्ति
कुंठित ही रहता
कहती गीता
भाव अभाव
प्रभाव देते झुका
कहती गीता
***
स्वार्थ ही मित्र
स्वार्थ बनाता शत्रु
गीता की सीख
आत्मा अमर
देह उसका घर
गीता की सीख
सन्मार्ग सदा
सत्कर्म से बनता
गीता की सीख
ज्ञान की शक्ति
मन हो नियंत्रित
गीता की सीख
आज जो तेरा
कल और का डेरा
गीता की सीख
आये हो खाली
जाना है खाली हाथ
गीता की सीख
जैसी प्रवृत्ति
मनुष्य की प्रकृति
गीता की सीख
कर्मों का फल
वह देता अवश्य
गीता की सीख
प्रभु रचित
सबसे रखो प्रेम
गीता की सीख
रखता भय
अहंकारी सदैव
गीता की सीख
*****
कर्म किये जा
छोड़ फल की चिंता
गीता का ज्ञान
छोड़ फल की चिंता
गीता का ज्ञान
तुम्हारे कर्म
उसके हाथ फल
गीता का ज्ञान
तुम्हारा भाग्य
वही करेगा तय
गीता का ज्ञान
हो ना विस्मृत
कर्तव्य और ऋण
गीता का ज्ञान
कुछ भी चाहो
मिलेगा जो वो देगा
गीता का ज्ञान
पाता दर्शन
प्रभु का सच्चा मन
गीता का ज्ञान
देह नश्वर
आत्मा अमर पर
गीता का ज्ञान
करे जो याद
सुने वो फरियाद
गीता का ज्ञान
भक्तों की सदा
है ईश्वर सुनता
गीता का ज्ञान
कर्मों से तय
होती भाग्य की रेखा
गीता का ज्ञान
**********
वन के कष्ट
सीता सही सहज
प्रेम में डूबी
राधा जीवन
की कान्हा को अर्पण
प्रेम में डूबी
पी गयी विष
मीरा बेझिझक
प्रेम में डूबी
चौदह वर्ष
उर्मिला के अकेले
प्रेम में डूबी
रानी से दासी
हो गयी दमयंती
प्रेम में डूबी
जहर खिला
किया हीर की हत्या
प्रेम में डूबी
पाई सौगात
ताज का मुमताज
प्रेम में डूबी
पढ़े थे साथ
थाम के रखी हाथ
प्रेम में डूबी
कह दी साफ
तू मेरा अनुराग
प्रेम में डूबी
तू मेरा दीया
मैं तेरी बाती पिया
प्रेम में डूबी
*************
मैं ना लड़ी थी
सैयां निकस गये
मैं ना लड़ी थी
रोके रुके ना
उन्हें जाने ना कैसी
जल्दी पड़ी थी
विपदा भरी
सहना था मुश्किल
कैसी घडी थी
भीगी अँखियाँ
असुअन की बड़ी
लंबी झड़ी थी
जुटे संबंधी
मित्रों की उन पर
ऑंखें गड़ी थी
तन पे कोरी
खरीद कर लाई
चुन्नी पड़ी थी
सादी सी चुन्नी
ना कोई कढ़ाई ना
गोटा जड़ी थी
मित्रों की लाई
फूलों की उनपर
माला चढ़ी थी
चले हिंडोले
बुलाये नहीं बोले
नींद बड़ी थी
चार जने थे
कान्हे पर जिनके
डोली चढ़ी थी
**************
बदल
देती
भोजन
की दुनिया
हरी
धनिया
हो
जाती सूनी
मसाले
की दुनिया
न
हो धनिया
बिन
पंजीरी
जन्माष्टमी
अधूरी
न
हो धनिया
चटनी
बन
खाने
की अंगूठी पे
नग
धनिया
गजब
चीज
बिना
फल के बीज
होती
धनिया
सुगंध
भर
सब्जी
स्वादिष्ट कर
देती
धनिया
संवार
देती
पड़
के दाल सब्जी
हरी
धनिया
प्याज
का साथ
तड़के
में निभाती
हरी
धनिया
रूठ
जाती तो
मिलती
न चटनी
मेरी
धनिया
कहते
सभी
सब्जी
वाले डालना
थोड़ी
धनिया
*************
पहाड़
तू ही करती
माँ भव का उद्भव
सब संभव
फूलों की गंध
पान का पत्ता
टिमटिमाते
झांकने लगे तारे
डूबा सूरज
पंछी के झुण्ड
चले नीड़ की ओर
डूबा सूरज
दूर क्षितिज
रंग गया सिंदूरी
डूबा सूरज
कर्तव्य पर
दीपक है तत्पर
डूबा सूरज
झील में आग
लगा दिया जाकर
डूबा सूरज
ग्रामीण चला
बाजार से वापस
डूबा सूरज
निकला चाँद
करने प्रेमलीला
डूबा सूरज
छुपते देखा
पहाड़ियों के पीछे
डूबा सूरज
पेड़ों की डार
खगों की भरमार
डूबा सूरज
छत पे धुआं
हुई खेतों में हुआँ
डूबा सूरज
**********
हुआ छपाक
पुराने पोखरे में
कूदा मेढक
झपटा सांप
बचकर जल में
कूदा मेढक
जैसे ही गए
तालाब के किनारे
कूदा मेढक
जूते में डाला
अँधेरे में ही पांव
कूदा मेढक
नन्हा बालक
पकड़ने को चला
कूदा मेढक
***************
मरू में मन
भटकेगा जन का
वन के बिना
पशु का घर
धरा पर सुन्दर
हैं ये जंगल
बनेंगे कैसे
घर के फर्नीचर
वन के बिना
छीनो न घर
पशु पक्षी का कर
वन दोहन
रह जायेगा
जलधर भी प्यासा
वन के बिना
नित दूषित
हो रहा पर्यावरण
वन दोहन
नहीं रहेंगीं
साथ साँसे अपनी
वन के बिना
धरा का आभूषण
वन दोहन
होगी नग्न सी
बेश्रृंगार धरती
वन के बिना
अति बड़ी सम्पदा
वन के बिना
वनस्पति
जड़ी बूटियां
अत्यंत ही दुर्लभ
रखे पर्वत
धरती
पशु
No comments:
Post a Comment