ब्राह्मण दरिद्र होकर भी समाज को ऊँचा रखता रहा है।
पूजा पाठ करके और दान पाकर यापन करता रहा है।
अनेकों विरोध और त्रासदी को सहकर भी दुनिया में,
नीतिगत शिक्षा प्रदान व चरित्र निर्माण करता रहा है।
समाज को कर्म व पूजा-पाठ की विधि सिखाता रहा है।
वेद, पुराण, ग्रंथों को कंठस्थ कर के बचाता रहा है।
धर्म, संस्कृति और संस्कारों को जीवित रखा ब्राह्मण,
धर्म का उत्थान कर, ईश्वर में आस्था जगाता रहा है।
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