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चेतो हे जन गण
चेतो! हे जन गण चेतो।
तुम्हारा कुछ कोई लेने आता
उससे तो तुम लड़ मरते हो
देश लूट कर कोई खाता
उसको अनदेखी करते हो।
वतन की रक्षा तुम्हारे हाथ
अपने देश को यूँ न बेचो।
चेतो हे...
फटे हाल आगे वो आता
देखते धन कुबेर बन जाता।
धन का लोभ दिखाकर तुमको
तुम्हारा अधिनायक बन जाता।
किसी गलत प्रभाव में आकर
उनके आगे सिर क्यों टेको।
चेतो हे...
जिन्हे तुम्हारी परवाह नहीं है
तुम्हारे हित कि चाह नहीं है।
राज योग का भोग भोगते
तुम्हारे दर्द की थाह नहीं है।
भले बुरे के अंतर को देखो
ऐसों को क्यों चुनकर भेजो।
चेतो हे...
जन तो तुम हो तंत्र अलग क्यों
जीवन जीने का मंत्र अलग क्यों।
प्रतिनिधि बनाते, विशिष्ट बन जाते
तुम्हे झोपड़ी, उन्हें महल क्यों।
अपने मत के मोल को जानो
कीमती मत को व्यर्थ न फेको।
चेतो हे...
- एस. डी. तिवारी
चेतो हे जन गण
चेतो! हे जन गण चेतो।
तुम्हारा कुछ कोई लेने आता
उससे तो तुम लड़ मरते हो
देश लूट कर कोई खाता
उसको अनदेखी करते हो।
वतन की रक्षा तुम्हारे हाथ
अपने देश को यूँ न बेचो।
चेतो हे...
फटे हाल आगे वो आता
देखते धन कुबेर बन जाता।
धन का लोभ दिखाकर तुमको
तुम्हारा अधिनायक बन जाता।
किसी गलत प्रभाव में आकर
उनके आगे सिर क्यों टेको।
चेतो हे...
जिन्हे तुम्हारी परवाह नहीं है
तुम्हारे हित कि चाह नहीं है।
राज योग का भोग भोगते
तुम्हारे दर्द की थाह नहीं है।
भले बुरे के अंतर को देखो
ऐसों को क्यों चुनकर भेजो।
चेतो हे...
जन तो तुम हो तंत्र अलग क्यों
जीवन जीने का मंत्र अलग क्यों।
प्रतिनिधि बनाते, विशिष्ट बन जाते
तुम्हे झोपड़ी, उन्हें महल क्यों।
अपने मत के मोल को जानो
कीमती मत को व्यर्थ न फेको।
चेतो हे...
- एस. डी. तिवारी
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