आंखें देखने के लिये होती हैं, दिखाने के लिये नहीं।
आंखें मिलाने के लिये होती हैं, चुराने के लिये नहीं।
आंखों में देखने से बल मिलता है, आंख बचाने से छल दिखता है।
आंख मटक्की में मजा है, मगर, आंख गड़ाने से हल मिलता है।
किसी की आंखों में ना भी बसो, किसी की आंख से गिरना नहीं।
आंखें मलने से बचना है तो, आंख बन्द करके चलना नहीं।
उनकी सुंदरता को, ऑंखें फाड़ के देखता रहा।
आँखों की टकी लगाए, आँखों को सेंकता रहा।
आंख तो मार दिया. पर, बात समझे तो आंखें
झुक गईं।
आँखों में कुछ बात हो जाए, आंखें फिर से
उठ गईं।
आँखों से
ऑंखें लड़ीं, झील
सी आँखों में डूब गया दिल।
गालों पर टिकीं आंखें, आँखों में
अटक गया तिल।
पत्नी ने आंख दिखाई, पति ने ऑंखें लाल कर
ली।
आँखों पर पर्दा पड़ा, सच्चाई से किनार कर
ली।
इससे पहले आँखें फेर लेते, वो आँखों में
समा गए।
जब आँखों में धूल झोंका, आँखों में खटकने
लगे।
इधर आँखों में समाये, उधर ऑंखें फेर लिए।
आँखों से ओझल रहकर, बड़ा ही अंधेर किये।
जबसे आँखों से वो दूर हुए, आंखें भर आती हैं।
कभी आखों के सपने जाते, कभी आंखों में रात जाती है।
जिसके आंख में पानी नहीं, उसकी कोई कहानी नहीं।
जिसके आंख में सपने नहीं, उसकी तो जिन्दगानी नहीं।
आंखों का तारा ना भी बनो, किसी आंख की किरकीरी न बनो।
किसी की आंख ही
बन जाओ, अगर आंख की पुतरी ना बनो।
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