Tuesday, 26 August 2014

Aankh muhaware

 

आंखें देखने के लिये होती हैं,

दिखाने के लिये नहीं।

आंखें मिलाने के लिये होती हैं,

चुराने के लिये नहीं।

आंखों में देखने से बल मिलता है,

आंख बचाने से छल दिखता है।

आंख मटक्की में मजा है मगर

आंख गड़ाने से हल मिलता है।

अगर आंख में धूल झांकोगे, 

तो आँखों से गिर जाओगे। 

दाता ने ऑंखें टेढ़ी कर दी, 

तो ऑंखें मलते रह जाओगे।

उनकी सुंदरता की आंच ऐसी, 

चाहा कुछ देर आँखें सेंक लें।

उनके लिए बिछा दिया आंखें,

ऐसा न हो वे आँखें फेर लें। 

यूँ तो आंख मार दिया पर, 

ऑंखें खुलीं तो आंखें झुक गईं।

सामने आंखों में क्या है?

जानने के लिये फिर उठ गईं।

लड़ीं क्या आँखों से ऑंखें!

झील सी आँखों में डूबा दिल।

लगी टकी गालों पर ऐसे, 

बसा रह गया आँखों में तिल।  

प्यार का पड़ा आँखों पर परदा,  

और कुछ भी नहीं सूझता।

आँखों में तस्वीर किसकी!

जो भी मिलता यही पूछता।      

अब कभी आंखों से दूर होते 

तो आंखें भर आती हैं।

कभी आखों के सपने जाते,

कभी आंखों में रात जाती है।

जिसके आंख में पानी नहीं

उसकी कोई कहानी नहीं।

जिसके आंख में सपने नहीं

उसकी तो जिन्दगानी नहीं।

आंखों का तारा ना भी बनो

किसी आंख की किरकीरी  बनना

किसी की आंख ही बन जाओ

अगर आंख की पुतरी ना बनना। 


 ३२  


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