हम माननीय हैं
हमारा ही छौना है
क्या कर लेगा हमारा
कानून बौना है
कानून क्या कर लेगा
नाम हटाने की फीस
जाँच
फटे हाल मुवक्किल तो, केस का सर्वनाश।
खाली हाथ आन पड़ा, वकील जी के पास।
न्याय क्या मुफ्त मिलेगा।
कुछ दिन और रह ले तू, जेल में ही बेटा।
अगली तारीख पर ही, अब लिखेगा लेखा
जज साहब छुट्टी पर भागे ।
प्रतीक्षा अतिशय किया, बुरे हुए अब हाल
तारीख हि पड़ती रही, बीते सालों साल
फैसला कब आएगा
रखे सरोकार न क्या, मुवक्किल की व्यथा
कह डाले कचहरी में, दुनिया भर की कथा
बड़ा वकील वही है
लोकतंत्र में है बुना, कानूनों का जाल
उलझे रहते उसी में मिलता ना है न्याय
वादी की लाचारी
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