Thursday, 7 March 2019

Ladaayi



होते हैं लड़ाई के, तरह तरह के रूप। 
कहीं पे सैनिक लड़ते, लड़ें कहीं पर भूप। 

केवल मनुष्य ही नहीं, लड़ें जीव भी अन्य। 
मानव बस्तियों में रहें, हों चाहे वो वन्य।  

करता है संग्राम मनु, होकर भी प्रबुद्ध। 
देखा नहीं मनुष्य सा, पशु को करते युद्ध।  

युगों से चलती आ रही, मानव जाति की लड़ाई। 
करता रहा है बात बात पर, बिना बात की लड़ाई। 
कभी ऊँचा सिद्ध करने तो कभी स्वार्थ की लड़ाई।  
जिंदगियां कटती गयीं करते दिन रात की लड़ाई।   

कहीं जीत हार, कहीं अधिकार की लड़ाई। 
कहीं मतभेद, आचार विचार की लड़ाई। 
कहीं नाक की, कहीं धाक की लड़ाई। 
कहीं पर हिस्से और फांक की लड़ाई।  
कहीं  प्रतिष्ठा और सम्मान की लड़ाई।  
कहीं शान या स्वाभिमान की लड़ाई। 
दबंगई और अधिपत्य की लड़ाई। 
ज्ञान, विज्ञान या वर्चस्व की लड़ाई। 

भाई से भाई की लड़ाई। 
इश्क, बेवफाई की लड़ाई। 
बाबू और बॉस की लड़ाई। 
बहू और सास की लड़ाई। 
पति और पत्नी की लड़ाई। 
माया से योगिनी की लड़ाई। 
पड़ोसी से पड़ोसी की लड़ाई। 
शोर और ख़ामोशी की लड़ाई। 
बच्चे से बच्चे की लड़ाई। 
झूठे से सच्चे की लड़ाई। 
रोटी, लंगोटी की लड़ाई। 
बड़ी से छोटी की लड़ाई। 

देव और दैत्यों की लड़ाई। 
स्वामी और भृत्यों की लड़ाई। 
जाति, पाँति, धर्म की लड़ाई। 
छोटे बड़े कर्म की लड़ाई। 
मंदिर मस्जिद चर्च की लड़ाई। 
महंगाई में अधिक खर्च की लड़ाई। 
निर्धन की भूख से लड़ाई। 
तांत्रिक की भूत से लड़ाई। 
संतों के अखाड़े की लड़ाई। 
गुंडों की इलाके की लड़ाई। 

सीमा पर सैनिक की लड़ाई। 
समाचारों में दैनिक की लड़ाई। 
सरकार के कर भार से लड़ाई। 
दबंगों के अत्याचार से लड़ाई। 
पक्ष विपक्ष की लड़ाई। 
अकुशल और दक्ष की लड़ाई। 
नेता, कहीं अभिनेता की लड़ाई। 
क्रेता और विक्रेता की लड़ाई। 
दलों में संख्या की लड़ाई। 
भाषा में व्याख्या  की लड़ाई। 

ब्रांड और व्यापार की लड़ाई।  
व्यापारी की उधार से लड़ाई। 
प्रचलन अप्रचलन की लड़ाई। 
भूमि और धन की लड़ाई।  
पैसे के लेन देन की लड़ाई। 
रुपये से डॉलर, येन की लड़ाई। 
अस्पताल में बिल की लड़ाई। 
पक्षपात से काबिल की लड़ाई।  
सड़क पर चलने की लड़ाई। 
गाड़ी खड़ी करने की लड़ाई।  
सवेरे, साँझ, दोपहरी में लड़ाई। 
थाना, कोर्ट, कचहरी में लड़ाई। 
जहाँ देखो लड़ाई ही लड़ाई। 
जब देखो लड़ाई ही लड़ाई। 

मनुष्य ने संग्राम के, ढूंढे नाना योग।  
जिसे जो अनुकूल लगे, उसका करे प्रयोग। 

तंत्र, मन्त्र, षडयंत्र से लड़ाई। 
अस्त्र-शस्त्र और यन्त्र से लड़ाई।  
नोच, बकोट, घूंसा से लड़ाई।  
लात, मुक्का, जूता से लड़ाई। 
गाली, बोली, तंज से लड़ाई। 
अफवाह, छल, प्रपंच से लड़ाई।  
तीर, तलवार, बरछी से लड़ाई। 
बेलन, चिमटा, कड़छी से लड़ाई।  
लाठी, ढेले, पत्थर से लड़ाई। 
धन, कागज कलम से लड़ाई। 
बिरादरी, हुक्का चीलम से लड़ाई। 
संचार और साइबर से लड़ाई। 
बन्दूक, तोप, बम से लड़ाई। 
मिसाइल के दम से लड़ाई। 
कानूनी दाव पेंच से लड़ाई। 
ड्रोन, यान, राकेट से लड़ाई। 
जीवाश्म रसायन से लड़ाई। 
आग, पानी, संसाधन से लड़ाई।  

लड़ाई के कारण तो बड़े हैं, 
जिनके ध्वज लिए हम खड़े हैं -
ताव है, दुराव है, मनमुटाव है,    
विचारों का टकराव है,   
तनाव है, अलगाव है, उकसाव है,
अनुचित बर्ताव है, बातों का घाव है,
अहम् का भाव है, वहम की नाव है,
ऊँचा दिखने का चाव है, 
ईर्ष्या  का अलाव है,  
सहिष्णुता का अभाव है।  
इनके ध्वज अगर झुक जायँ।   
संभव है लड़ाईयां रुक जायँ । 

(C) एस. डी. तिवारी 


1 comment:

  1. सुंदर कविता। जय हिंद।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

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