Friday, 14 December 2018

Haiku tiguni



खिल पलाश
जंगल में दहका
आया बसंत

आया बसंत
जवान दिलों पर
छाया बसंत

छाया बसंत
कोयल के कंठ से 
गाया बसंत


माल में पैंट
आकर्षण का केंद्र
रखे जो छेद

रखे जो छेद
फैशन के नाम पे
महंगा टैग

महंगा टैग
खिड़की खोले पैंट
आज का ट्रेंड


प्रेम का खेला
ढूंढने में हो गयी
साँझ की बेला

साँझ  की बेला
भागने लगा दूर
हुस्न  का मेला

हुस्न का मेला
मृगतृष्णा बन के
दिल से खेला


देखे न होंगे
शहर के शराबी 
तेरा जलवा

तेरा जलवा
कर दिया घायल
बना शायर

बना शायर
गाता फिरता अब
दिल का दर्द


बहती रही
बनी तू प्रेम नदी
मैं प्यासा रहा

मैं प्यासा रहा
लगाए आशा रहा
तू चली गयी

तू चली गयी
सिंधु की गली गयी
मुझको छोड़



मैंने समझा
मेरी हमजोली थी
बड़ी भोली थी

बड़ी भोली थी
जेब को टटोली थी
दिल को नहीं

दिल को नहीं
ढूंढती रही कहीं
नए भ्रमर


चलाने चले
इश्क की वो दुकान
गंवाये जान

गंवाए जान
ना सके पहचान
इश्क की धार

इश्क की धार
बस घाव ही छोड़ी
चीर निगोड़ी


उनकी गली
लगी बड़ी पतली
वापस चला

वापस चला
मिली नहीं पनाह
इश्क की राह

इश्क की राह
बड़ी थी काटों भरी
चुभती रही

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