Thursday, 7 September 2017

Haiku Tere naam 1


तुम्हारे सिवा
जिसे कहें अपना
कौन है और

दया करना
दयावान ना कोई
तुझसे बड़ा

हे भगवान
रखना मेरी लाज
तुम्हारे हाथ

मुझे  विश्वास
तुम हो आस पास
होगा दर्शन

लगता देख
जंगल और पेड़
यहीं कहीं हो

झील झरने
लगते हैं कहने
यहीं कहीं हो 

घुमड़े घन 
देख कहता मन 
यहीं कहीं हो 

हर लहर 
कहती उठकर 
यहीं कहीं हो 

सूरज तारे 
आये बताने सारे 
यहीं कहीं हो

भरो सुगंध
जीवन में मोहन
बन चन्दन

तेरे ही हाथ
जीवन की ये नाव
लगाना पार

जो कुछ पाया
सांस भोजन पानी
तेरी ही माया

तूने देकर
यह जग सुन्दर
बड़ी कृपा की


वही मिलेगा 
चाहे जोर लगा ले 
जो वह देगा 

उसका जग 
दिया किराये पर 
चुकता कर 

दुनिया यह 
देती भ्रम में डाल 
माया की जाल 



दुःख हरणी
जय जग जननी
नमःतुभ्यम

जग जननी
सबका कष्ट हरे
कल्याण करे

भवतारिणी
माँ तू संकट हारे
भव से तारे

देता हे दुर्गे!
जीवन सुखमय
तेरा आश्रय


***************

रोड़ी पर्वत
ताड़ तिल हो जाये
तू यदि चाहे

धनी हो दीन
रंक राज चलाये
तू यदि चाहे

बहरा सुने 
गूंगा गीत सुनाये 
तू यदि चाहे 

नहीं है कुछ 
असंभव हो पाए  
तू यदि चाहे 

पंख बगैर  
मनुष्य उड़ जाए 
तू यदि चाहे 


*****************


देखा तुमको
बहते झरनों में
शोर मचाते

देखा तुमको
फूलों की टहनी पे
गंध फैलाते

देखा तुमको
तितली के पंख पे
रंग जमाते

देखा तुमको
कल कल करती
नदी में जाते

देखा तुमको
गहरे समुद्र में
उर्मि उठाते

देखा तुमको
ओस की बूंदें बन
नभ से आते

देखा तुमको
कंठ में बैठकर
गीत सुनाते

देखा तुमको
मेरे इन नैनों से
विश्व दिखाते

देखा तुमको
दीपक की लौ बन
ज्योति जगाते

देखा तुमको
पत्थर बनकर
ठोकर खाते

देखा तुमको
चिड़ियों की ची ची में
चहचहाते

देखा तुमको
मछली सा पानी में
तैर के जाते

देखा तुमको
सितारों पर बैठ
टिमटिमाते

देखा तुमको
वर्षा में मेढक सा
टर्रटर्राते

देखा तुमको
भाप को ठंडा कर
बर्फ वर्षाते

देखा तुमको
बसंत बुलाकर
पुष्प खिलते

देखा तुमको
मिटे क्षुधा सबकी
अन्न उगाते



देखा तुमको
प्रातः ही सुदूर से
सूर्य झंकाते

देखा तुमको
उंगली पे अपनी
धरा डुलाते

देखा तुमको
कोई भी रूप धर
कहीं भी आते

देखा तुमको
शिशु के मुख पर
खिलखिलाते

देखा तुमको
हर वस्तु जीव में
होते समाये  

देखा तुमको
प्राणों में घुसकर
सांस चलाते

देखा तुमको
मेरे मन भीतर
बैठ मुस्काते

देखा तुमको
हवाओं में मुझको
छूकर जाते

************


उसी के हाथ
जीवन व मरण
रहे स्मरण

तुम्हारे पास
जो है उसका दिया
रहे स्मरण

दुखों का वही
करता निवारण
रहे स्मरण

सांसों की डोर
होती उसी के हाथ
रहे स्मरण

उसका नाम
दिया जो सब कुछ
रहे स्मरण 

*************


बिगड़े काम
बनाने को बहुत
तेरा ही नाम

प्रेम से लेता
जो, दुःख हर लेता
तेरा ही नाम

राह सुगम
करता हरदम
तेरा ही नाम

जो भी पुकारे
भव पार उतारे
तेरा ही नाम

सबसे बड़ा
इस सृष्टि में खड़ा
तेरा ही नाम

मुझे बहुत
दुनिया से क्या काम
तेरा ही नाम

छाँव व घाम
सब कुछ समाये
तेरा ही नाम

स्वर्ग सा होता
गूंजे जिसके धाम
तेरा ही नाम

कृष्ण व राम
दोनों हे भगवान
तेरा ही नाम

पाया जिसने
पा लिया सब कुछ
तेरा ही नाम 


************

पूरी सृष्टि में
कहीं कुछ नहीं  था
तब भी तू था

नहीं हिलता
चाहे बिना उसके
एक भी पत्ता

कुछ भी करो
सम्हालने अंततः
उसे ही आना

तुम्हारे लिए
दुनिया ही दे डाला
ऊपरवाला

उसके घर
चाहे हो जाये देर
नहीं अंधेर 



कोई न होता
तब साथ में मेरे
तू ही तू होता

दूँ मैं नाम क्या 
तेरे मेरे बीच का
रिश्ता जो बना

विष का प्याला
ले मीरा ने पी डाला
कृष्ण का नाम 


मैं हूँ तुझमें
और तू है मुझमें
गहरा प्यार

कैसा विचित्र
रच डाला है तूने
बैठे ही सृष्टि

वह तो है ही
करेगा खुद मेरी
मुझे क्या चिंता

जग में एक
सबका रखवाला
ऊपर वाला

सोच के चले
दिया है मनुष्य को
प्रभु ने बुद्धि

होना है वही
चाहे करो कुछ भी
प्रभु चाहेगा

प्रभु को पाना
तुम मन भीतर
गोता लगाना

यह प्रकाश
दिखाती जो दुनिया
तेरा ही दिया

ऑंखें तो दिया
देखने को दुनिया
तू ना दिखता

ढूंढा तुझको
मंदिरों में भटक
तू मेरे घट

तेरी आवाज
सुनते हम स्पष्ट
शांति हो जब

ये मोमबत्ती
हमें प्रकाश देने
स्वयं जलती

एक ही धर्म
होता हर जीव का
प्रभु से प्यार

भाग्य में वदा
लिख दिया उसने
मनुष्य के क्या

खोलनी होती
देखने को उसको
मन की ऑंखें

उसका द्वार
रहता खुला सदा
कोई आ जाय

खोया जो कुछ
बदल कर रूप
फिर से पाया

तुम हो प्रभु
प्यार का महा सिंधु
मैं एक बून्द

यदि वो चाहे
शिला पे खिल जाते
फूल व होंठ

मुझे क्या चिंता
मुझ पर झरता
उसका प्यार

उसकी बात
सुनने को चाहिए
शांत दिमाग

जब भी देखो
रचना को उसके
दिल से देखो 


छोड़ पिंजरा
उड़ने को पायेगा
अम्बर बड़ा

तू क्यों ढकता
खुद की सुंदरता
डाल मुखौटा

बनाया वह
तुझे अति सुन्दर
आभास कर

मन है मात्र
घूमने में सक्षम
पूरा आकाश

भगाने हेतु
कर उसे स्मरण
मन का तम

दिया उसने
प्यार की गहराई
थाह न पाई

बड़ा है पार
पा जाने के पश्चात्
प्रभु का प्यार

देता है दुःख
करे उसकी ओर
इंसान रुख

करेगा कोई ?
आये न अवसाद
प्रभु को याद

उसने भरे
धरा तुम्हारे लिए
सोच से परे

उसका नाम
रखना पास सदा
बनाता काम

विपत्ति काल
छोड़ जाते हैं सब
वो होता साथ

करके पाप
नहीं छुप पाओगे
ढूंढेगा आप

देखता है तू
हरदम मुझको
रह अदृश्य

देना ना प्रभु
अहं क्रोध की ज्वाला
जल जाऊँ मैं

साथ में होता
जिसका कोई नहीं
ईश्वर सदा

देवी देवता
बताते मुझ जैसे
अंधे को रास्ता

नन्हां सा कीड़ा
दे देता इन्सान को 
गहरी पीड़ा

एक मच्छर
कर देता है पैदा
इंसां में डर

कीड़े मकोड़े
सुंदरता भरने
पृथ्वी पे छोड़े

नन्हीं सी चींटी
देखते रह जायं
जी चाहे कभी

वृक्ष चढ़ती
दौड़ के गिलहरी
मन मोह ली

गीत सुनाओ
रंग बिरंगे पंछी
पास आ जाओ


चलती रही
साथ में परछाईं
उजाला भर  


डोलूं बाजार
तू ना खरीददार
जान कर भी

कहीं जड़ दो
मंदिर या मस्जिद
ईंटों की भक्ति

बेड़ा है पार
किसी का होने पर
प्रभु से प्यार

हंसना नहीं
किसी के दुःख पर
उसे हंसाना

भले को देना
भलाई से उत्तर
बुरा न बने

क्षमा का दान
देने वाला होता है
व्यक्ति महान

स्वार्थ का रिश्ता
पूरा होते ही स्वार्थ
होता समाप्त

तन से ज्यादा
मन को संवारना
ध्यान रखना

अँधेरे में भी
सही राह दिखाना
हे मेरे प्रभु

हो ना उदास
क्षति होने पे करो
ईश को याद

देगा वो वही
जो उसे लगे सही
तुम्हारे योग्य

जाओगे तुम
किये कर्म लेकर
उसके घर

परीक्षा लेता
पास होने की शक्ति
प्रभु ही देता

सागर तट
प्यास के मारे सूखा
राही का घट

जो कुछ मिला
तेरी मेहरबानी
शुक्रिया खुदा

शीश नवाये
सब कुछ मिलता
प्रभु के आगे

लेता नाम भी
प्रभु से मांगने को
कितना स्वार्थी

उसी प्रकार
जैसे कि प्राण वायु
ईश अदृश्य

प्रभु से मांगो
और किसी से क्यों
मांगना ही हो


कौन जलाता
प्रभु नहीं सड़ाता
मृत शरीर

नन्हां सा गोदा
उससे उग जाता
विशाल वट

बड़े से बड़े
कब्रिस्तान में देखा
मिटटी में दबे

गठरी नहीं
अंत में काम आना
करनी तेरी

आज ना कल
मिल कर रहेगा
कर्मों का फल


प्रभु ने दिया
अमूल्य उपहार
मेरी जिंदगी

प्रभु को आता
देने में ही आनंद
मित्र परम

रखते हैं जो
सकारात्मक सोच
पाते लक्ष्य वो

परोपकार
सबसे बड़ा धर्म
देता सत्कार

करता वह
जग में सब कुछ
तुम क्यों गर्व ?

करने लगूं
इतना प्यार दे तू
तुझसे प्यार

देखती होतीं
कैसा भी बड़ा चोर
ऑंखें उसकी

उसकी लाठी
कैसा भी बड़ा दुष्ट
मार गिराती

मन में ठान
ईश्वर का ले नाम
शुरू हो जाओ

प्रार्थना मेरी
मिलती रहे प्रभु
आशीष तेरी

रखना लगा
इन्द्रियों पे लगाम
कठिन काम

दिखता ना तू
दिखा देता इन्सां को
सब ही कुछ

अवश्य देगा
वह वक्त पे फल
भरोसा रख

करते लोग
जब कि कांटे सख्त
फूलों से प्यार

बनाना प्रभु
अधिक देने योग्य
लेने के नहीं

होना है वह
कुछ करता रह
जो वो चाहेगा

स्मरण मात्र
प्रभु का बना देता
व्यक्ति सुपात्र

मन मस्तिष्क
लगा प्रभु में दोनों
सुखी वो व्यक्ति


घर से दूर
एकांत में निकला
तुझे पाने को
वहां भी शोर मचा
मुझको भगाने को

मैं कैसा मूर्ख
डोलता बाजार में
कहीं वो दिखे
जब कि मालूम है
वो तो व्यापारी नहीं 



बैठा है वह
जब मेरे ऊपर
मुझे क्या डर

देगा ही वह
दिया है जिंदगानी
दाना व पानी

उसी के हाथ
जीवन व मरण
रहे स्मरण

रखना खोले
जाने कब भर दे
तेरी वो झोली

***********
आग बुझाता
खौल रहा जल भी
प्रभु की माया

चुभे जो कांटा
निकालता भी कांटा
प्रभु की माया

बाग एक ही
फूल के रंग कई
प्रभु की माया

सीखा ना पशु
जल में तैर जाता
प्रभु की माया

उल्टे चलती
छत पे छिपकली
प्रभु की माया

पेड़ चढ़ती
गिलहरी दौड़ती
प्रभु की माया

*************
दिया है पेट
भरने का प्रबंध
 किया उसी ने

बहुत दिया
देने वाले ने तुझे
शुक्रिया कर

होता न वश 
कैसे बनाया होगा
मन को वह


पत्ता हिलाया
मन में अँधियों का
डर समाया

नाचती पृथ्वी 
उंगली पे उसकी
संग में सभी

थाम लेना तू
गिरने से पहले
हे मेरे प्रभु !

सांसे भी दिया
उसने गिनकर 
जी लो जी भर

पाया है मैंने
सब कुछ उसी से 
छोड़ा उसी पे

दिए हो तुम 
जग में सब कुछ
प्रभु शुक्रिया 

इतना कुछ
प्रभु तुमने दिया
मैं तुझे क्या दूँ

रखे हूँ आस
मन में है विस्वास
मिलेगा वह

दिए हैं नाते
जियें हम जीवन
गुनगुनाके

आता समझ 
प्यास में चुल्लू भर 
जल का मोल

जीवन ऋण
कर्मों से ही अपने
होना उऋण 

Wednesday, 6 September 2017

Haiku pyar 6

हम सागर
लाएंगे उठाकर  
तू प्यासी गर

खास है बड़ी
तू क्या देगा सौगात
आज की रात

करती रही
मंहगी मुहब्बत
रोज गरीब

बनाया अँधा
तेरा इश्क न छोड़ा
काम का बंदा

इत्र लगाए
जब वो पास आये
छींक आ गयी

हुस्न न होता
सोचता हूँ होती क्या
फूलों की कद्र

तेरा दीदार
जबसे हुआ यार
मैं तो खो गया

सनम आया
जैसे ही हुई शाम
चाँद शर्माया

नन्हां सा दिल
सम्हालता भी कैसे
तुम्हारा प्यार

आ नहीं पाया
दिया नहीं था पता
मेरी क्या खता

झटका तूने
जकड़ गया दिल
जुल्फों में तेरी

हमसे अच्छे
तेरे गले से लगे
मोती के दाने

हुस्न के खुदा
रहना है मुश्किल
तुमसे जुदा

गयी थी मारी
थोड़ा साथ न चले
मति तुम्हारी

हुआ बेचारा
रस के लिए भौंरा
दल में कैद

ननदी सुन
चूड़ी की खनखन
हंस पड़ती

भेद खोलतीं
खनक के चूड़ियां
आधी रात को

जेब से प्यार
बीबी को बेसुमार
मुझसे कम

शादी के बाद
खुल जाती हैं ऑंखें
प्यार में बंद

राम दुलारी
चली गयी मायके
चैन की बंशी

उलटी हुई !
तू है कितनी भोली
पेट से हो ली

कैसे उठाऊं !
तेरे प्यार का भार
पैर हैं भारी

रूठ गए तो
समझे थे उनसे
गहरे रिश्ते

मेरी जिंदगी
पाकर तेरा साथ
उड़ने लगी

मेरी नजर
देखते धुंधलाई
तेरी डगर

दिल में लगा
मुहब्बत की आग
रौशन किया

उससे कहीं
मेरा पालतू अच्छा
मैं नहलाता


स्वेद से भीगे
एक ही थी रुमाल
मुख थे पोंछे

गोली के जैसे
मारने निकलता
दिल से प्यार

जबसे मिली
तेरी मेरी केमिस्ट्री
हो गया प्यार

मन की चाह
देखते ही सूरत
हो गया प्यार

कैसा अचम्भा
मारकर भी प्यार
रहता जिन्दा

धीरज रखा
डाल कर कंटिया
फंसी मछली

बिकता नहीं
पर बड़ा चुकाया
तो प्यार पाया

प्यार में वक्त
जाने कहाँ खो जाता
वक्त में प्यार

पाए थे हम
आलिंगन में बंध
चौथा ही लोक


सज ना गोरी
लुभा न जाएँ कहीं
सजना तोरी

बेचैन जिया
जिया क्या खाक जिया
नहीं थे पिया

प्यार जताया
परछाईं बन के
करती पीछा

पाया ही नहीं
चुम्बन का जानेगा


वह क्या स्वाद

सज ना गोरी
लुभा न जाएँ कहीं
सजना तोरी

बेचैन जिया
जिया क्या खाक जिया
नहीं थे पिया

प्यार जताया
परछाईं बन के
करती पीछा

शुरू हो जाये
रोक पाना मुश्किल
युद्ध व प्यार

प्यार था मुझे
उसकी मुस्कान से
शादी उससे

दौड़ लगाए
बहुत जख्म खाये
प्यार में अँधा

नाचते रहे
हम दोनों एक ही
प्यार की धुरी

कितने अच्छे
सपनों  में आते थे
तुम लगते

करके प्यार
पाए उनसे युदा
मेरे विचार

दिल चुम्बक
खींचे दूजे की ओर
तेरा या मेरा ?

हरेक दिन
लगता तुम बिन
जीवन सूना

बीत ही गए
वो सुन्दर लमहे
यादें संजोये

खेने को मेरी
दे दे तू पतवार
प्यार की नाव

आने न देंगे
प्यार में पतझड़
बदले ऋतु

बंद है राह
स्वर्ग में तो मिलोगी
वहां से आगे

मैंने ना सही
छू ली उसके होंठ
मेरी कविता

भाये तुमको
जाने कौन सा फूल
ये लो बगीचा

गहरी सोच
तेरे नाम के सिवा
कुछ ना और

मेरी चाहत
तुम्हारी चाहे नोट
तुम्हारे होंठ

दे देना मुझे
दिल में गर रखो
उमर कैद

मेरा प्यार या
ग्रहों का चमत्कार
पा लिया तुझे

सोना न हार
चाहूँ पिऊ मैं बस
तुम्हारा प्यार

रहे देखते
किसी पे मचलते
उनका दिल

हो जाता और
सुन्दर हर ठौर
तुम्हारे साथ



***********

जगा स्पंदन
पुलकित बदन  
तेरा चुम्बन 

सफल हुआ
पाकर के जीवन
तेरा चुम्बन

बड़ा नशीला
ऊपर से खर्चीला
तेरा चुम्बन

कुछ पल को
भुला दिया संसार
तेरा चुम्बन

किया वहन
पाने को कष्ट मन
तेरा चुम्बन

पाने के लिए
क्या ना पापड़ बेले
तेरा चुम्बन

करने लगा
दिल नृत्य मगन
तेरा चुम्बन


हुए बेकार
आदमी थे काम के
करके प्यार



रहे देखते
किसी पे मचलते
उनका दिल

हो जाता और
सुन्दर हर ठौर
तुम्हारे साथ

दिल लगाया
बदले में उन्होंने
फंदा लगाया

दिल ने पीया
तेरा इश्क बहुत
नशे में जिया

मिले तुमसे
सोचे  नहीं थे होगे
इतने प्यारे

किया है मैंने
कहानी भी बनेगी
मेरे प्यार की

हाथ न आया
दीवाना कहलाया
इश्क का छोर

हुआ असर
तेरे प्यार में दिल
आसमां पर

उन्होंने पूछा
हमें लगा प्यार है
नाराज हो क्या ?

हुआ कमाल
आँखों में ऑंखें डाल
देखा उनको

मिले तुमसे
पता न था पहले
इश्क कि चीज

प्यार की नाव
खेती है पतवार
विश्वास जड़ी

नहीं तड़पे
कोई प्यार करके
ढूंढ के लाओ

तुझे भुलाएं
यह तभी संभव
मौत आ जाये

जिंदगी भर
नहीं पाया उतर
आँखों का नशा

सताते रहे
हम उनसे प्यार
जताते रहे

किससे किये
बादल तुम प्यार
रोये थे रात

पागल बन
दिल ने उन्हें चाहा
फिर कराहा

दिल चुराए
अब फिरते हैं वो
आंख चुराए

सूना तुमने
टूटने की आवाज
मेरा दिल था

शब्द तुम्हारे
कहीं के नहीं छोड़े
तुमसे प्यार

सामने ही थे
अजनबी से रहे
किससे कहें

होंठ सिले थे
दिल बोलता रहा
नहीं सुने वे

जिसको पाया
दर्पण हरजाया
गले लगाया

मेरा वो थूके
उनका गुस्सा हम
प्यार ना कम


हुआ है दीद
जबसे नम का
खो गयी नींद

फैली ये बाहें
थामने को तुझको
रखे हैं चाहें

ले ले बाँहों में
गले लग जाउंगी
गल जाउंगी

सिर मैं फोड़ी
मुंह खुलवाने में
चुप्पी न तोड़ी

दिल ने कुछ
आँखों ने कुछ कहा
हमने पढ़ा

ज्योति से भरा
दिल का हर कोना
तुम्हारी ही लौ

डरता दिल
पाया बड़ी मुश्किल
खोये न फिर


इश्क में हुई
गमों कि बरसात
अश्कों की नदी

सब कुछ है
एक वो नहीं पास
दिल उदास

किये थे गर्व
वफा पर हम भी
चोट से पूर्व

किस्मत वाले
मर जाते जो लोग
हुस्न के मारे


चले मुस्करा
टूट कर बिखरा
दिल किसी का

जाने ना किसे
रहना मुस्कराते
प्यार हो जाये

साथ ले गए
करके वो तारीफ
मेरी मुस्कान

अकेले रहे
मुस्कराता भी रहे
कौन है भला

क्या है अनोखा
कह रहे हो खाया
प्यार में धोखा

दिल पे खोदा
रोओगे नहीं तो क्या
नाम किसी का

मेरे ऊपर
बरसाई तू प्यार
भीगा पड़ा हूँ

बदले दिया
गम किस बात का
दिल के दिल

एक मुस्कान
लूट कर ले गयी
सारी दुकान

एक ना किया
दिल का आशियाना
उजाड़ दिया


सावन आया
दिल में लगी आग
बुझाने आ जा

तेरे कारण
हो गए बदनाम
तू अनजान

तेरे ही दिए
आंसुओं में ढलके
दर्द मन के

जैसे कि खाद्य
प्यार भी जिंदगी की
जरूरी बात

*********


कुर्बानी दिए
कितने ही दीवाने
प्यार के लिए

छीनी यम से
दमयंती तप से
नल के प्राण

लौटाई खाली
पति को लेने आये
दूत सावित्री

मैरी व क्यूरी
रेडियम खोजते
प्यार में खोये

अनारकली
हार गया सलीम
सुन्दर बड़ी

हेलेन की लौ
पेरिस ने लगाया
ट्रॉय का युद्ध

करके इश्क
रोमियो जूलिएट
हुए अमर

प्यार बेहद
मजनू त्यागा प्राण
लैला की दर

प्यार का चिन्ह
खड़ा शाहजहां का
तालमहल

प्यार में संग
विक्टोरिया अल्बर्ट
रानी व रंक

सिरीं को मारा
झूठ से फरहाद
मौत के घाट

*******


खो गया था मैं
तुम्हारे संग बैठ
तारों को देख

सुन के देख
लेती तेरा ही नाम
मेरी जुबान

चलाती मेरे
दिल की धड़कन
तेरा चिंतन

माल चलेंगे
साथ में हम दोनों
चाट चखेंगे

करते प्यार
प्रेम भरे दो दिल
जलते यार

जीत उसी की
है जीवन को हारा
प्यार में जो भी


मुझे भर लो
ऑंखें बंद कर लो
बाँहों में तुम

दिल ने दिया
एक मीठा सा दर्द
दिल ही दवा

सेजिया मोरी
सर्दी में सूनी किया
बेदर्दी पिया

सोने न देता
पढ़ाने में जालिम
प्रेम का पाठ

जब से हुआ
हम दोनों का सिला
शकुन मिला

तुम जो गये
सपने हुए चूर
हमसे दूर


लो पहन लो
टांक दिया बटन
टूटी पड़ी थी

गाओ ना वही
पहली बार मिले
गाया था गीत


तेरी नजर
बन कर खंजर
दिल भीतर

जब से हुआ
हम दोनों का सिला
शकुन मिला

निकल आये
देखो चाँद सितारे
अब तो चलें

देखती रहीं
दोनों की आंखें चाँद
युदा होकर

हर सुबह
आज कल मेज पे
एक ही प्याली

सर्दी की रात
रजाई में मिलतीं
दोनों के सांसें

कह के गयी
लो मायके जा रही
मन में हंसी

निभायी साथ
उदासियों में मेरी
तुम्हारी याद

दोनों में अब
अदभुत सी शांति
अभी निपटे

फूल खिलते
होठों पर दोनों के
गले मिलते

वो जब गये
बंद हुआ छत पे 
चाँद का आना

लेकर आई
सिसकियों की रात
उनकी याद

किये बहुत
जजबातों से खेल
निर्दयी मेघ

होती प्रतीक्षा
शाम की हरदम
जवां थे हम

ढोता रहता
ट्रक पे ड्राइवर
यादें उसकी /प्यार

डाल से टूट
काम में आते फूल
पूजा व प्यार


सर्वोत्तम सहारा


बितानी है उम्र, तुम बिन :: पल पल भारी

रूठना तेरी अदा  :: मनाना मेरी कला

प्यार के लिए
जिंदगी है जरूरी
मौत से दूरी



राधा कान्हा की
हो गयी महबूबी
प्रेम में डूबी

राधा ने खेली
कृष्ण के संग होली
भिगो ली चोली

सीखीं गोपियाँ
रचा कान्हा से रास
प्रेम का पाठ

चुराया दिल
राधा का चुप चाप
माखनचोर

सीता व राम
प्यार में रंग नहीं
राग का काम

भोर  से शाम
पुकारती थी राधा
प्रेम में श्याम

पाने को राधा
की क्या क्या न उपाय
कान्हा का प्यार

कान्हा ने मारी
राधा पे पिचकारी
भिगोई साड़ी

कर अर्पण
कन्हैया को जीवन
मीरा मगन

हुई अमर
कृष्ण से प्रेम कर
मीरा दीवानी

मोहा राधा का
और मेरा भी मन
मनमोहन 

बांध के साथ
रखता परिवार
वह है प्यार

नन्हां बालक
खिंच लेता सबका
प्यार नाहक 

जब भी बजी
गाई तेरे ही गीत
मन की बीन

जाये न बीत
बसंत मनमीत
आ जा भी अब 

खोज ही लेती
गंध से छुपी कली
भौंरे की दृष्टि

कोरी अंगिया
लगा दिया तू दाग
मन बसिया

समुद्र तट
आते ही उठ जाता
दिल में तूफां

होता है सदा
प्यार नम्र व नर्म
अकड़ा गर्व 

जबसे हुआ
जिंदगी चल पड़ी
तुमसे प्यार

करके प्यार
तुमसे तो हो गया
जीना दुस्वार

हो गया प्यार
छा गया दिल पर
तेरा खुमार

हुआ जबसे
बजे दिल के तार
तेरा दीदार

फंस ही गया
दिल गली के तेरे
मार के फेरे


संगीत बिना
पिया गया विदेश
सुनी है वीणा

पकड़ी गयी
तेरे नैनों की चोरी
झुकाई गोरी 

जागा या सोया
रहा नशे में खोया
नाम के तेरे

होगा ये जग
रहें प्यार से सब
कितना प्यारा

दिल को तुम
बंजर ना होने दो
प्यार उगाओ

तू-तू मैं-मैं में
बीते न ये जिंदगी
प्यार जरूरी

निकला चाँद
ढूंढते रहे दाग
अस्त हो गया 

छोटी गलती
रूठ के मत जाना
रहूं जो रोती

तोड़ दे भले
रौंद न मेरा दिल
पैरों के तले


कैसे सम्भालूँ
तुम्हारे छोड़े तीर
बड़े गंभीर

शिकवा गिला
भेजा शुभ सन्देश
बदले मिला 

दामिनी है वो
छूना मत दामन
जल जाओगे

खाये जा रही
आकाश बेल बनी
उनकी याद

भूलना चाही
और भी गहराई
उनकी याद

रोजाना शाम
कर लेती है नाम
उनकी याद

रुलाती रही
रातों में आती रही
उनकी याद

मेरी किताब
आंसुओं से भिगोई
उनकी याद

खाने का स्वाद
कर देती बर्बाद
उनकी याद

उनका दिया
सम्हाले हूँ सौगात
उनकी याद


अपना बचा
निकाल रहा मेघ
हमारा स्वेद

बेटी ही धन
दुल्हन को सहेज
छोड़ दहेज़

अच्छा था रानी
काम वाली का नाम
कह तो लेते

बहुत खूब
तेरा सुन्दर रूप
फिसले हम

आ रहा पास
मगर धीरे धीरे
चाँद सखी रे

आँखों के बाण
मारो ना प्रियतम
निकले प्राण

कीं शरारत -
नाचने लगा दिल
आँखों ने तेरी

जबसे देखा - 
बेक़रार है दिल
आँखों को तेरी

जादू सा पाया
पागल हुआ दिल
आँखों में तेरी

पिया जो प्याला
होश खो बैठा दिल
आँखों का तेरी 

मिल के सीखा
प्रीत की रीति दिल 
आँखों से तेरी

Tuesday, 5 September 2017

Gurugram me


इश्क करना दिल ने सीखा, गुरुग्राम में।
कहीं ना, जैसा हुस्न देखा, गुरुग्राम में।
चहका खिल, बहका कहीं नजारों में दिल,  
इश्क वाली गजल लिखा, गुरुग्राम में।
छैल छबीली, नजर कटीली, अलबेली,
बोली जैसी, मिर्चा तीखा, गुरुग्राम में।
डिस्को, माल, फ़ूड,  फन, पब और बार,
दिल कहाँ? दिल ये चीखा, गुरुग्राम में।
कार बड़ी, बेकार बड़ी, ट्रैफिक जाम में,
मानो बसा पैरिस, अमेरिका गुरुग्राम में।
तितलियों सी रंग बिरंगी, साइबर गर्ल,  
लगता परीलोक सरीखा, गुरुग्राम में।

Sunday, 3 September 2017

Seekh liya, Ghazal


दे दिया तूने झटका, औकात में रहना सीख लिया।
तूने कानों को मूँदा, मैं दिल से कहना सीख लिया।

बड़ा जोर लगाया फिर भी, तुझसे पार न पाया मैं,
जिस धारे में डाल दिया, बस उसी में बहना सीख लिया।

अपने मिले हालात को, बदल तो नहीं सकता था मैं,
जिस हाल में छोड़ा तूने, उसी को सहना सीख लिया।

पत्थर की सी मजबूती, कभी भी नहीं दिया तूने,
बालू की बनी दीवार सा, पल में ढहना सीख लिया।

कमजोरियां पाले था खुद, मगर विफलताओं को,
मढ़ के किसी और के सिर, देना उलहना सीख लिया।

चुकाने को तो कौड़ी ना थी, उन मोतियों के मोल को,
कंकड़ों को ही मोती बता, बनाना गहना सीख लिया।

हालात से हर समझौता करना, हो गयी नियति अपनी,
पानी के बढ़ जाने पर, दोनों हाथ उबहना सीख लिया।