Sunday, 12 June 2016

Preet ka itar


प्रीत का इतर जाने, किसने पठाया।
पीर का डंक उसका हरदम सताया।
मिला जो पीर मुझको, मेरे यार से,
रख लिया दिल में, उसे सम्भाल के
खिल्ली उड़ाके दर्द, दिल को दुखाया।
प्रीत का इतर ...
पीर को मैंने फिर, गीतों में ढाल दिया
गीतों को जिंदगी में थोड़ा सा डाल दिया
रोती हुई जिंदगी को रोज रोज गाया।
प्रीत का इतर ...
चंपा चमेली मैंने, बागों से चुन लिया
कलेजे के साथ ही परागों को भून लिया
पीर में मिला के भस्म इतर बनाया।
प्रीत का इतर ...
आंसू का रंग कैसा, दर्द में जो ढरका
यार को दिखाने लिये, शीशी में रखा
मटके भर भर आँखों ने ढरकाया।
प्रीत का इतर ...





प्रीत दा का इतर जाणे, कौण  पठाया। 
पीर दा डंक ओदा, हरदम सताया। 
मिला जे पीड़ मेनू , मेरे यार से, 
रख लिता दिल विच, मैं सम्भाल के 
खिल्ली उड़ाके दर्द, दिल नु दुखाया।  
प्रीत दा इतर ... 
पीरन नु फिर असि, गीतां विच ढाल्या
गीतां  नु जिंदगी विच थोड़ा सा डाल्या  
 रोंदी हुई जिंदगी नु रोज रोज गाया।  
प्रीत दा इतर ...
चंपा चमेली असां, बागां ते चुन लिता   
कालजे दे नाल वे परागां नु भुन दिता  
पीर विच पा के भसम, इतर बनाया 
प्रीत दा इतर ... 
आंसू दा रंग कैसा, पीड़ घोल ढरका जे 
यार नु दिखाने लइ, शीशी विच रखा वे   
मटके भर भर, अक्खां ने ढरकाया
प्रीत दा इतर ...

एस० डी० तिवारी 

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