Wednesday, 8 June 2016

Dil ka dard


तारों के निकलने से रात जगमगा जाती है।
बहार जब आती है खिजां को भगा जाती है।
आ जाता है बसंत जब, बड़ा मुश्किल चुप रहना,
पत्तों के झुरमुटों में गीत, कोयल गा जाती है।
आती जवानी की ऋतु, जिंदगी में एक बार,
धधका कर प्यार दिल में, आग लगा जाती है।
लिखतीं बहारें हवा में, तेरी मेरी कहानियां,
प्यार के दुश्मनों से बयार सुगबुगा जाती है।
रातों को सोने ना देती, यादों की बारात आकर,
दिल में मीठा सा कोई दर्द जगा जाती हैं।
ठंडी बयार सदा दिल बेचैन को जुड़ाती है,
हवा के तेज होने से, बहार डगमगा जाती है।
रात दिन डंसने लगतीं, उनकी यादें आकर,
पुरानी यादों की चुभन, चैन भगा जाती है।



बहार चली आती, चमन, महकने लग जाता है। 
उल्फत की लगन में दिल, बहकने लग जाता है।
फूल बिखराते हैंमुहब्बत की भीनी महक, 
हर जवां दिल जोश लिएमचलने लग जाता है।
बसंत जाता है, कोयल ना चुप रह पाती है,  
पत्तों के झुरमुटों मेंसुर निकलने लग जाता है।
आती जवानी की ऋतुएक बार जिंदगी में,
जिगर में प्यार का धुंआउठने लग जाता है।
लिखता हवा में कोईकहानियां मुहब्बत की,

डोलता पवन ही आकरकहने लग जाता है।
यादें पुरानी आकरटटोलतीं हैं भीतर तक,
मुद्दत से सोया दर्दफिर जगने लग जाता है 
होता एहसास उसेलिये होता याद कोई,
सोते समय नश्तर कोईचुभने लग जाता है 



जी जीना चाहता है
बस तेरे लिए ही ऐ हसीना चाहता है।
प्यार की खातिर, जी जीना चाहता है।
रहता है खुश पाकर मुस्कराहटों को तेरी 
सोना नहीं चांदी, ना नगीना चाहता है।
गाता रहे सरगम, तेरे प्यार का हरदम
करना मुहब्बत का ताक-धीना चाहता है।
हो भी गए टुकड़े, दिल के तो गम नहीं
जोड़ कर फिर से, उन्हें सीना चाहता है।
बह न जाएँ यूँ ही, कहीं बेकार में  आंसू
अश्कों को रोप कर के पीना चाहता है।
खाकर ठोकरें एसडी, सहता दर्द कितना
मगर इश्क करना, दिल कमीना चाहता है।

एस० डी० तिवारी 

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