तारों के निकलने से रात जगमगा जाती है।
बहार जब आती है खिजां को भगा जाती है।
आ जाता है बसंत जब, बड़ा मुश्किल चुप रहना,
पत्तों के झुरमुटों में गीत, कोयल गा जाती है।
आती जवानी की ऋतु, जिंदगी में एक बार,
धधका कर प्यार दिल में, आग लगा जाती है।
लिखतीं बहारें हवा में, तेरी मेरी कहानियां,
प्यार के दुश्मनों से बयार सुगबुगा जाती है।
रातों को सोने ना देती, यादों की बारात आकर,
दिल में मीठा सा कोई दर्द जगा जाती हैं।
ठंडी बयार सदा दिल बेचैन को जुड़ाती है,
हवा के तेज होने से, बहार डगमगा जाती है।
रात दिन डंसने लगतीं, उनकी यादें आकर,
पुरानी यादों की चुभन, चैन भगा जाती है।
जी जीना चाहता है
बस तेरे लिए ही ऐ हसीना चाहता है।
प्यार की खातिर, जी जीना चाहता है।
रहता है खुश पाकर मुस्कराहटों को तेरी
सोना नहीं चांदी, ना नगीना चाहता है।
गाता रहे सरगम, तेरे प्यार का हरदम
करना मुहब्बत का ताक-धीना चाहता है।
हो भी गए टुकड़े, दिल के तो गम नहीं
जोड़ कर फिर से, उन्हें सीना चाहता है।
बह न जाएँ यूँ ही, कहीं बेकार में आंसू
अश्कों को रोप कर के पीना चाहता है।
खाकर ठोकरें एसडी, सहता दर्द कितना
मगर इश्क करना, दिल कमीना चाहता है।
एस० डी० तिवारी
पुरानी यादों की चुभन, चैन भगा जाती है।
बहार चली आती, चमन, महकने लग जाता है।
उल्फत की लगन में दिल, बहकने लग जाता है।
फूल बिखराते हैं, मुहब्बत की भीनी महक,
हर जवां दिल जोश लिए, मचलने लग जाता है।
बसंत आ जाता है, कोयल ना चुप रह पाती है,
पत्तों के झुरमुटों में, सुर निकलने लग जाता है।
आती जवानी की ऋतु, एक बार जिंदगी में,
जिगर में प्यार का धुंआ, उठने लग जाता है।
लिखता हवा में कोई, कहानियां मुहब्बत की,
आती जवानी की ऋतु, एक बार जिंदगी में,
जिगर में प्यार का धुंआ, उठने लग जाता है।
लिखता हवा में कोई, कहानियां मुहब्बत की,
डोलता पवन ही आकर, कहने लग जाता है।
यादें पुरानी आकर, टटोलतीं हैं भीतर तक,
मुद्दत से सोया दर्द, फिर जगने लग जाता है ।
होता एहसास उसे, लिये होता याद कोई,
सोते समय नश्तर कोई, चुभने लग जाता है ।
यादें पुरानी आकर, टटोलतीं हैं भीतर तक,
मुद्दत से सोया दर्द, फिर जगने लग जाता है ।
होता एहसास उसे, लिये होता याद कोई,
सोते समय नश्तर कोई, चुभने लग जाता है ।
जी जीना चाहता है
बस तेरे लिए ही ऐ हसीना चाहता है।
प्यार की खातिर, जी जीना चाहता है।
रहता है खुश पाकर मुस्कराहटों को तेरी
सोना नहीं चांदी, ना नगीना चाहता है।
गाता रहे सरगम, तेरे प्यार का हरदम
करना मुहब्बत का ताक-धीना चाहता है।
हो भी गए टुकड़े, दिल के तो गम नहीं
जोड़ कर फिर से, उन्हें सीना चाहता है।
बह न जाएँ यूँ ही, कहीं बेकार में आंसू
अश्कों को रोप कर के पीना चाहता है।
खाकर ठोकरें एसडी, सहता दर्द कितना
मगर इश्क करना, दिल कमीना चाहता है।
एस० डी० तिवारी
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