अपना देश चल पड़ा
माँ की सेवा ही सब कुछ, हमने है यह जानी।
राष्ट्र सेवा में जुट जायेंगे, मिलकर हिंदुस्तानी।
सब मिलकर साथ चलेंगे, होगा सबका विकास,
भारत माँ के बच्चे सब, ना कोई आम न खास।
सोने का खग बन उड़ेगा भारत,
पंख होगा रत्न जड़ा।
अपना देश चल पड़ा।
होगी सोच हर जन की, जात धर्म से उठकर।
राष्ट्र के होंगे निर्णय, स्वार्थ व मोह से हटकर।
राष्ट्र हित सर्वोपरि, विद्वेष समक्ष ना आएंगे।
धरती को लेंगे नाप, जब सभी साथ हो जायेंगे।
विकास पथ पर लक्ष्य से पहले
नहीं रूकेगा कदम बढ़ा।
अपना देश चल पड़ा।
अब तक खुद को जो, अधिनायक थे समझते।
निर्धन से आदमी सा, व्यवहार नहीं थे करते।
जन गण मत के ऋण को जाना, है अब पहचाना।
जनशक्ति ने भी अब, अपने अधिकार को जाना।
जनता ने बिठाया कंधे पर
तभी हैं वे दिखते बड़ा।
अपना देश चल पड़ा।
सबको आगे बढ़ने का अब मिलेगा सम अवसर।
श्रमिक, कृषक, व्यापारी या कोई होगा कामगर।
किसी के संग कभी भी अब कटु व्यव्हार न होगा।
सरकार के विभागों में अब कोई भ्रष्टाचार न होगा।
आम आदमी भी सम्मानित
होगा अपने पांव खड़ा।
अपना देश चल पड़ा।
..
(C ) एस० डी० तिवारी
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माँ की सेवा ही सब कुछ, हमने है यह जानी।
राष्ट्र सेवा में जुट जायेंगे, मिलकर हिंदुस्तानी।
सब मिलकर साथ चलेंगे, होगा सबका विकास,
भारत माँ के बच्चे सब, ना कोई आम न खास।
सोने का खग बन उड़ेगा भारत,
पंख होगा रत्न जड़ा।
अपना देश चल पड़ा।
होगी सोच हर जन की, जात धर्म से उठकर।
राष्ट्र के होंगे निर्णय, स्वार्थ व मोह से हटकर।
राष्ट्र हित सर्वोपरि, विद्वेष समक्ष ना आएंगे।
धरती को लेंगे नाप, जब सभी साथ हो जायेंगे।
विकास पथ पर लक्ष्य से पहले
नहीं रूकेगा कदम बढ़ा।
अपना देश चल पड़ा।
अब तक खुद को जो, अधिनायक थे समझते।
निर्धन से आदमी सा, व्यवहार नहीं थे करते।
जन गण मत के ऋण को जाना, है अब पहचाना।
जनशक्ति ने भी अब, अपने अधिकार को जाना।
जनता ने बिठाया कंधे पर
तभी हैं वे दिखते बड़ा।
अपना देश चल पड़ा।
सबको आगे बढ़ने का अब मिलेगा सम अवसर।
श्रमिक, कृषक, व्यापारी या कोई होगा कामगर।
किसी के संग कभी भी अब कटु व्यव्हार न होगा।
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