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हारा रे मन काहे को हारा।
काम वासना डोलत रह गया
रूप अपना तू क्यों न संवारा।
बात बात पर क्रोध करत है
आनंद शांति को उर से निकला।
माया मोह के जाल में फंसकर
अपने ईश्वर को भी विसारा।
देख पराया लोभ के मारे
दर दर फिरता मारा मारा।
अहंकार को सिर पर बिठाकर
दबा हुआ पर ढोता भारा।
कहें सत्यदेव जी विजय पाना तो
दिशा फेर दे प्रभु के द्वारा।
हारा रे मन काहे को हारा।
हारा रे मन काहे को हारा।
काम वासना डोलत रह गया
रूप अपना तू क्यों न संवारा।
बात बात पर क्रोध करत है
आनंद शांति को उर से निकला।
माया मोह के जाल में फंसकर
अपने ईश्वर को भी विसारा।
देख पराया लोभ के मारे
दर दर फिरता मारा मारा।
अहंकार को सिर पर बिठाकर
दबा हुआ पर ढोता भारा।
कहें सत्यदेव जी विजय पाना तो
दिशा फेर दे प्रभु के द्वारा।
हारा रे मन काहे को हारा।
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