Saturday, 26 July 2025

Aawaj teri

 जादुई आवाज तेरी,

जादुई आवाज तेरी, 
जादुई आवाज तेरी, कहाँ से लाये हो सनम। 
उस जादू से तू आज मुझे दीवाना कर दे। 
गाकर के नगमा कोई शमा सुहाना कर दे। 
जादुई आवाज तेरी, कहाँ से लाये हो सनम। 

निकलती जब आवाज तेरी, घुंघरू सी बजती। 
ताली बजाते, हरे पत्तों सी लहराती है। 
लगता है कि बिखरे हों हवाओं में गुलाब
फैली खुशबु से फिजाओं को महकाती है। 
उस आवाज का जाम पिला मस्ताना कर दे। 
जादुई आवाज तेरी, कहाँ से लाये हो सनम। 

उजले पंख लगे परी सी उड़ती आवाज
छूकर चाँद जन्नत से उतरी चली आती है
उसकी मिठास का अंदाज लगाना मुश्किल
छूते ही कानों में शहद सी घुली जाती है
चांदनी रात का शबनमी पैमाना भर दे। 
जादुई आवाज तेरी, कहाँ से लाये हो सनम। 

खूबसूरत ताजमहल का नजारा मुझको
बंद आँखों से भी बैठे ही दिख जाता  है
तेरी फेंकी हुई सासों की तरंगों से
हवाओं में नया किस्सा सा लिख जाता है
किसी मद भरी कहानी का परवाना कर दे। 
जादुई आवाज तेरी, कहाँ से लाये हो सनम ,

तेरी आवाज में पाता गहराई इतनी
हुआ मदहोश मैं डूबा चला जाता हूँ
खींच लेती चुम्बक सी नगमो की कशिश
यूँ ही तहे दिल में खिंचा चला जाता हूँ
सुरों में कैद कर अपनों से बेगाना कर दे। 
जादुई आवाज तेरी, कहाँ से लाये हो सनम। 

शामिल है तू मेरी सांसों में कुछ इस तरह। 
जिंदगी के पेड़ पर लता बन के लिपटी है। 
जी रहे हैं बस तेरी आवाज के सहारे हम
जिंदगी मेरी, तेरी आवाज में ही सिमटी है। 
अपने होठों  का गाया हुआ तराना कर दे। 
जादुई आवाज तेरी, कहाँ से लाये हो सनम। 

एस डी तिवारी 

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