जादुई आवाज तेरी,
उस जादू से तू आज मुझे दीवाना कर दे।
गाकर के नगमा कोई शमा सुहाना कर दे।
जादुई आवाज तेरी, कहाँ से लाये हो सनम।
ताली बजाते, हरे पत्तों सी लहराती है।
लगता है कि बिखरे हों हवाओं में गुलाब
फैली खुशबु से फिजाओं को महकाती है।
उस आवाज का जाम पिला मस्ताना कर दे।
उजले पंख लगे परी सी उड़ती आवाज
छूकर चाँद जन्नत से उतरी चली आती है
उसकी मिठास का अंदाज लगाना मुश्किल
छूते ही कानों में शहद सी घुली जाती है
चांदनी रात का शबनमी पैमाना भर दे।
खूबसूरत ताजमहल का नजारा मुझको
बंद आँखों से भी बैठे ही दिख जाता है
तेरी फेंकी हुई सासों की तरंगों से
हवाओं में नया किस्सा सा लिख जाता है
किसी मद भरी कहानी का परवाना कर दे।
तेरी आवाज में पाता गहराई इतनी
हुआ मदहोश मैं डूबा चला जाता हूँ
खींच लेती चुम्बक सी नगमो की कशिश
यूँ ही तहे दिल में खिंचा चला जाता हूँ
सुरों में कैद कर अपनों से बेगाना कर दे।
जिंदगी के पेड़ पर लता बन के लिपटी है।
जी रहे हैं बस तेरी आवाज के सहारे हम
जिंदगी मेरी, तेरी आवाज में ही सिमटी है।
अपने होठों का गाया हुआ तराना कर दे।