खेल कूद से स्वस्थ तन-मन।
खेल कूद से होता मनोरंजन।
नकारात्मक विचारों से दूर,
खेल कूद से होता मनोरंजन।
नकारात्मक विचारों से दूर,
प्रेरणा और साहस से भरपूर,
शारीरिक क्षमता में हो वृद्धि
रहता है मन सदैव प्रसन्न। खेल कूद से स्वस्थ तन-मन।
टीम में साथ चलने की क्षमता
और बढ़ जाती है एकाग्रता
समग्र व्यक्तित्व का विकास
खेल कूद से आता अनुशासन।
खेल कूद से आता अनुशासन।
अच्छे खेल से ख्याति बढती
खिलाडी के लिए है आवश्यक
कैरम पड़ा रोता है
बच्चों का अब तो खेल
फोन पर होता है
सिर पे धार
परीक्षा का पहाड़
ढोना पड़ता
एक पे एक
बनाया पिरामिड
गिरा हामिद
दिखाया जोश
धूप में दौड़ा जॉनी
हुआ बेहोश
हारती स्वाती
जब कभी खेल में
आंसू बहाती
खेल ही होते
बनाते बिगाड़ते
बच्चों के रिश्ते
बहाना कर
खेलने चला जाता
चंपा के घर
छुपं छुपाई
मोना ढूँढ न पाती
हंसी आ जाती
छुपं छुपाई
जब मिला न भाई
आयी रुलाई
लड़ झगड़
फिर से खेल शुरू
धर पकड़
खेले क्रिकेट
बिना ड्रेस विकेट
हम भी खूब
पैसा न धेला
गली में जा के खेला
पिट्ठू का खेल
उखाड़ देते
हारने पे क्रिकेट
सीधे विकेट
जैसे काटा
भइया की पतंग
पा गया चांटा
मन को भाया
निशानची बनाया
कंचे का खेल
फोन सुनाता
अब हमें कहानी
कहाँ है नानी
लूटने दौड़ा
पप्पू की पैंट फटी
पतंग कटी
हाथी उड़ाया
खेलने में हमने
चिड़िया उड़
खिलाडी के लिए है आवश्यक
अभ्यास, ध्यान और लगन।
खेल कूद से स्वस्थ तन-मन।
खेल कूद से स्वस्थ तन-मन।
पप्पू पड़ा रहता घर में ही छुट्टी में।
क्योंकि दुनिया कर ली है मुट्ठी में।
जबसे मोबाइल हाथ आया है,
खाने पीने का भी होश नहीं
अजीब सा रोग लगाया है।
बाहर कहीं खेलने नहीं जाता
उसी में सिर गड़ाए रह जाता।
कैरम भी पड़ा कोने में रोता है।
गेम तो अब मोबाइल पे होता है।
कैरम पड़ा रोता है
बच्चों का अब तो खेल
फोन पर होता है
सिर पे धार
परीक्षा का पहाड़
ढोना पड़ता
एक पे एक
बनाया पिरामिड
गिरा हामिद
दिखाया जोश
धूप में दौड़ा जॉनी
हुआ बेहोश
हारती स्वाती
जब कभी खेल में
आंसू बहाती
खेल ही होते
बनाते बिगाड़ते
बच्चों के रिश्ते
बहाना कर
खेलने चला जाता
चंपा के घर
छुपं छुपाई
मोना ढूँढ न पाती
हंसी आ जाती
छुपं छुपाई
जब मिला न भाई
आयी रुलाई
लड़ झगड़
फिर से खेल शुरू
धर पकड़
खेले क्रिकेट
बिना ड्रेस विकेट
हम भी खूब
पैसा न धेला
गली में जा के खेला
पिट्ठू का खेल
उखाड़ देते
हारने पे क्रिकेट
सीधे विकेट
जैसे काटा
भइया की पतंग
पा गया चांटा
मन को भाया
निशानची बनाया
कंचे का खेल
फोन सुनाता
अब हमें कहानी
कहाँ है नानी
लूटने दौड़ा
पप्पू की पैंट फटी
पतंग कटी
हाथी उड़ाया
खेलने में हमने
चिड़िया उड़
छूकर चंपा
आइस पाइस में
बोली थी धप्पा
चोर ढूंढता
खेल छुपं छुपाई
छुपे सिपाही
आइस पाइस में
बोली थी धप्पा
चोर ढूंढता
खेल छुपं छुपाई
छुपे सिपाही
जी भर कर
खेलने भी न देती
पापा की सख्ती
कटी पतंग
लूट में हाथ लगी
फटी पतंग
खेल में देर
चाचा ले जाते घर
कान पकड़
कटी पतंग
लूट में हाथ लगी
फटी पतंग
खेल में देर
चाचा ले जाते घर
कान पकड़
मोनू का छक्का
सुरेश की खिड़की
बिन शीशे की
बिन शीशे की
छुपं छुपाई
जैसे ही बारी आयी
ताई बुलाई कैरमबोर्ड
पड़ा कोने रोता है
नाली निकल
खेल शुरू हो जाता
डंडे से बाल
नाली में बाल
ले के डंडा निकाल
खेल शुरू
पप्पू क्रिकेट खेल कर आया
आते ही माँ ने गले लगाया
वह बोला आज तो दोहरा शतक लगाता
बस एक सौ निन्यानबे रन और मिल जाता
गली की सहेलियां हुईं इकठ्ठा
शुरू हुआ खेल रूमाल झपट्टा
लड़कियां तो थीं खेल में व्यस्त
लड़कियां तो थीं खेल में व्यस्त
कुत्ता ले भागा जुली का दुपट्टा
फुटबॉल
गोल करना है
बॉल पहले से ही गोल है
हॉकी
खम्भे से बांध बैडमिंटन
चिड़िया पेड़ पर अटक जाती है
रेस साँस फूली
कुश्ती
गोल करना है
बॉल पहले से ही गोल है
हॉकी
खम्भे से बांध बैडमिंटन
चिड़िया पेड़ पर अटक जाती है
रेस साँस फूली
कुश्ती
बड़े प्यार से हीरे से संचे
गली में जीते वो कंचे
सपने को मरते देखा
मैंने सपने को मरते देखा,
माटी में कहीं बिखरते देखा।
सपने लेकर वह जन्म लिया,
या जनमते ही सपने जागे,
देश दुनिया में कहीं भी जाये,
सबसे सदैव आगे ही भागे।
उसको निर्धनता का अभिशाप,
औरों का भाग्य सुघरते देखा।
खेतों में काम, कर के घर आता,
जाके कहीं तब, स्कूल वो जाता;
मात पिता के साथ में मिल कर,
घर के काम में हाथ बंटाता।
खूंटे से कभी जब खुल गया तो,
बछड़े को पछाड़ धरते देखा।
स्कूल में तो प्रथम आ जाता,
आगे की राह कौन दिखाता !
बाहरी दुनिया का पता नहीं था,
स्कूल से आगे कहाँ वो जाता !
प्रशिक्षण को पैसा पास नहीं,
धन का अभाव अखरते देखा।
लगे नजर ना उसे किसी की,
बांधा था माँ ने काला धागा।
लाल, श्रृंग को छूकर आये,
देवी, देवों से मन्नत माँगा।
उड़ने को मिला आकाश नहीं,
पंखों को पुनः बटुरते देखा।
सोचा, हो जाये पुलिस में भर्ती,
संभवतः वहीँ भाग्य भी जागे।
दौड़ लेगा वह चोरों के पाछे,
दौड़ सकता जो देश के आगे।
प्रतिभा बड़ी पर कद छोटा था,
खुलने से द्वार नकरते देखा।
माटी का जन्मा रहा माटी में,
प्रतिभा भी हो गयी मटियामेट।
माटी को कर दिया जीवन अर्पित,
सपनों को रखा माटी में समेट।
गेहूं बाली, सरसों के फूलों पर,
मकरंद के संग विचरते देखा।
उर भरा सदा उत्साह, लगन,
और विजय का पावक होता।
सपनों को हवा मिल जाती तो,
वह आज देश का धावक होता।
हताश, निराशा हाथ में लेकर,
आस को ताक पर धरते देखा।
माटी में कहीं बिखरते देखा।
सपने लेकर वह जन्म लिया,
या जनमते ही सपने जागे,
देश दुनिया में कहीं भी जाये,
सबसे सदैव आगे ही भागे।
उसको निर्धनता का अभिशाप,
औरों का भाग्य सुघरते देखा।
खेतों में काम, कर के घर आता,
जाके कहीं तब, स्कूल वो जाता;
मात पिता के साथ में मिल कर,
घर के काम में हाथ बंटाता।
खूंटे से कभी जब खुल गया तो,
बछड़े को पछाड़ धरते देखा।
स्कूल में तो प्रथम आ जाता,
आगे की राह कौन दिखाता !
बाहरी दुनिया का पता नहीं था,
स्कूल से आगे कहाँ वो जाता !
प्रशिक्षण को पैसा पास नहीं,
धन का अभाव अखरते देखा।
लगे नजर ना उसे किसी की,
बांधा था माँ ने काला धागा।
लाल, श्रृंग को छूकर आये,
देवी, देवों से मन्नत माँगा।
उड़ने को मिला आकाश नहीं,
पंखों को पुनः बटुरते देखा।
सोचा, हो जाये पुलिस में भर्ती,
संभवतः वहीँ भाग्य भी जागे।
दौड़ लेगा वह चोरों के पाछे,
दौड़ सकता जो देश के आगे।
प्रतिभा बड़ी पर कद छोटा था,
खुलने से द्वार नकरते देखा।
माटी का जन्मा रहा माटी में,
प्रतिभा भी हो गयी मटियामेट।
माटी को कर दिया जीवन अर्पित,
सपनों को रखा माटी में समेट।
गेहूं बाली, सरसों के फूलों पर,
मकरंद के संग विचरते देखा।
उर भरा सदा उत्साह, लगन,
और विजय का पावक होता।
सपनों को हवा मिल जाती तो,
वह आज देश का धावक होता।
हताश, निराशा हाथ में लेकर,
आस को ताक पर धरते देखा।
भोली भाली है बच्चों की दुनिया ।
भोला है मुन्ना, भोली ही मुनिया ।
चाहे पहना दो सूट बूट अंग्रेजी,चाहे पहनाओ पतलून पख्तूनिया ।
भोली भाली है ।
मुन्ना की पतलून ढीली ढाली,
मुन्नी की पायल है रूनझुनिया ।
पैसे पाते फ़ौरन चले जाते,
चॉक्लेट खरीदने दुकान परचूनिया।
भोली
खेल के इनके अपने नियम
केक खाते ब्रिटानिया
मन के सच्चे, तन के कोमल
बिखरते हैं महक प्रसूनिया
मेट्रो से सीखा साफ़ सफाई
बुजुर्गों का सम्मान
सिर झुकाये रहते हैं
मोबाइल पर
धैर्य
पंक्ति से सुरक्षा
लटक कर चलने का
द्धारका
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