मुहब्बत पर नाज था
अनोखा बड़ा उसका, शोख भरा अंदाज था ।
जिसके मुहब्बत पर, हमको बहुत नाज था ।
रहने चले थे हम, मुहब्बत की दुनिया में,
इस दिल में रहता वो, इश्क का सरताज था ।
मुहब्बत के सागर में, खे कर के ले जाते,
जिसे हम भरोसे से, वही एक जहाज था ।
छोड़ कर गया जाने, मुंह मोड़ कर किस डगर,
आज बेखबर, कभी, हमसफ़र, हमराज था ।
धर गया सिर पर वो, यादों का बोझ भारी,
चमकता कभी जहाँ में, उल्फत का ताज था ।
बजते रहते कभी, मुहब्बत के सातों सुर,
जाने पर रोता रहा, दिल का हर साज था ।
खेलते लहरों से मिल, जा के कभी साथ देव,
तनहा देख अब तो, किनारा भी नाराज था ।
एस० डी० तिवारी
अनोखा बड़ा उसका, शोख भरा अंदाज था ।
जिसके मुहब्बत पर, हमको बहुत नाज था ।
रहने चले थे हम, मुहब्बत की दुनिया में,
इस दिल में रहता वो, इश्क का सरताज था ।
मुहब्बत के सागर में, खे कर के ले जाते,
जिसे हम भरोसे से, वही एक जहाज था ।
छोड़ कर गया जाने, मुंह मोड़ कर किस डगर,
आज बेखबर, कभी, हमसफ़र, हमराज था ।
धर गया सिर पर वो, यादों का बोझ भारी,
चमकता कभी जहाँ में, उल्फत का ताज था ।
बजते रहते कभी, मुहब्बत के सातों सुर,
जाने पर रोता रहा, दिल का हर साज था ।
खेलते लहरों से मिल, जा के कभी साथ देव,
तनहा देख अब तो, किनारा भी नाराज था ।
एस० डी० तिवारी
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