Sunday, 18 June 2017

Saat vachan

सात वचन


धर्म कर्म जो करेगा तू,  मुझे तेरा साथ निभाना पिया।
तीरथ व्रत पर जाये तू, हमका संग लिए जाना पिया।

तेरे बालक से लेकर मैं, सारे कुटुंब की सेवा करुँगी
मेरे मात पिता का तू भी, सत्कार किये जाना पिया।

व्यंजन अच्छे खिलाऊंगी, मैं रखूंगी तेरा ध्यान सदा
जीवन भर निष्ठा से तू, मेरा साथ दिए जाना पिया।

तेरे लिए श्रृंगार करुँगी, मैं तेरे संग में क्रीड़ा करुँगी
मेरे पालन के दायित्व को, नित तू भी निभाना पिया।

सब्र व धीरज से रहूंगी, तेरे संग सुख दुःख सहूंगी
जो कुछ कमाना, पूछे बिन उसे नहीं उड़ाना पिया।

सास ससुर की सेवा करुँगी और तुझे कभी न ठगूंगी
सखियों के बीच तू मेरी, खिल्ली नहीं उड़ाना पिया।

तेरी इच्छा अनुरूप रहूंगी, तभी पति माना तुझको
किसी स्त्री से तू और, कदापि न नैन लड़ाना पिया।

दिल और मन को काबू में रखना
आठवीं बात कभी जुबान पर भी नहीं लाना पिया।


resting in his net
waits for mosquito to bed
the hungry spider

Tuesday, 13 June 2017

Gareebi haiku / gharelu


मेरे घर में
रहते चूहे बिल्ली
फिर भी मेरा

किया उत्पात
कुतर के कपडे
चूहे की जात

देख के डरी
गृहिणी के मकड़ी
हाथ में झाड़ू

एक कमरा
माँ बाप बेटा बहू
बीच में पर्दा

पुरानी साड़ी
बनकर के पर्दा
टांड पे टंगी

पुराने वस्त्र
रक्खी बांध गट्ठर
बर्तन हेतु

बच्चों से घिरा
कटता तरबूज
फांक के लिए

फ्रिज की चोरी
बबली की चुगली
पकड़ी गयी

पुरानी पैंट
बनाई काट कर
माँ ने निकर

सारी कमाई
रख के आधे पेट
खा गयी दवाई

दान में मिला
इस सर्दी कम्बल
वह भी फटा 

कर दी आज 
दोनों की खटपट 
रसोई बंद 

धुल न पाई   
सोनी की यूनिफार्म 
स्कूल की छुट्टी 

बातों में लगी 
चूल्हे को बुझा दिया 
दूध उफन 

महक आई 
छोड़ भागी रसोई   
धारावाहिक 

जोर का लगा
बिजली का झटका
देख के बिल

चाय समोसा
आये मेहमानों ने
खूब भकोसा

गुड़िया दुखी
उसकी गुड़िया की
टंगरी टूटी

देख के खाली 
पड़ोसन के जा ली  
चीनी का डब्बा

द्वार भिखारी
भीतर चली गयी
बोल के सारी


गुड़िया रूठी
आया न उसका


************

नग्न दिखता
आदमी गरीबी में
स्त्री अमीरी में

गरीब खाता 
बात बात पे चांटा 
बगैर खता 

आंसू बहाता 
गरीब  का ना होता 
पोंछने वाला  

चिंता में जीता 
घर में होती बेटी 
निर्धन पिता 

सयानी बेटी 
रातों की भी ले लेती 
दीन की नींद 

दोनों न देना 
गरीबी व लड़की 


साथ में खुदा  
  
रखता पास 
बेशक न हो धन 
गरीब दुआ 

दिखा जाता है 
गरीब जान कर 
कोई भी आंख 

धनी को मिट्टी  
बीमार कर देती 
दीन का खेल 

होता है भूखा  
गरीब दो रोटी का 
धनी धन का 

पति के साथ 
कट गयी तंगी में 
बेटे से आस 

बिखरा दूध 
दाल पीकर सोया
रात में शिशु

थाली की रोटी
लेकर भागा कुत्ता
रो रहा बच्चा

मिली है साडी
तीन साल के बाद
होली पे नयी

दुकान पर
बेटे की पढ़ाई में
चांदी का कड़ा

बिल्ली भी जाती
गरीब के ही घर
कुछ पा जाती

थोड़ी सी दही
पानी नमक डाल
अटाई मट्ठा

सूखे की मार
दोनों नन्हों को ले के
मायके गयी