गांव में जिये
अभाव में जिये, मगर भाव में जिये,
जितना मिला, उसी में ताव में जिये।
गांव में जिये।
गगन, पवन, सूरज, और चाँद-सितारे,
खूब मिले, दिल खोल के मिले सारे,खिली धूप, बादलों की छाँव में जिये।
गांव में जिये।
बाग़ बगीचा, खेत और खलिहान,
खगों के कलरव में गूंजता विहान,कोयल की कू, काग की कांव में जिए।
गांव में जिये।
हरी धरती, हँसते फूल गमकीन,
उड़ती तितलियों के पंख रंगीन,
बसंत के पसरे हुए पांव में जिए।
गांव में जिये।
बूंदों की रुनझुन, नदी की कलकल,
खिसकती खटिया, टपकती छत,
बारिश के पानी के जमाव में जिये।
गांव में जिये।
गर्मी में झलते बेना, पोंछते स्वेद,
सर्दियों में मखमली धूप की सेंक,गर्मी में झलते बेना, पोंछते स्वेद,
निष्कपट, निर्मल स्वभाव में जिये।
गांव में जिये।
हाथों तोड़े अमरुद, आम फले,
पगडंडियों पर कोसों पैदल चले,हाथों तोड़े अमरुद, आम फले,
प्रकृति की सुहानी ठाँव में जिए।
गांव में जिये।
संबंधों की मिठास का करते जतन,
अपनों के वास्ते लुटा दिए तन मन,संबंधों की मिठास का करते जतन,
रूठे कभी तो मान मनाव में जिये।
गांव में जिये।
सादगी व सरल आव भाव में जिये
बहुत स्वछन्द अपने गाँव में जिये।सादगी व सरल आव भाव में जिये
अभाव में जिये, मगर भाव में जिये।
गांव में जिये।
एस० डी० तिवारी
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