Thursday, 31 July 2014

Desh chal paada

अपना देश चल पड़ा

माँ की सेवा ही सब कुछ, हमने है यह जानी।
राष्ट्र सेवा में जुट जायेंगे, मिलकर हिंदुस्तानी।
सब मिलकर साथ चलेंगे, होगा सबका विकास,
भारत माँ के बच्चे सब, ना कोई आम न खास।
सोने का खग बन उड़ेगा भारत,
पंख होगा रत्न जड़ा।
अपना देश चल पड़ा।
होगी सोच हर जन की, जात धर्म से उठकर।
राष्ट्र के होंगे निर्णय, स्वार्थ व मोह से हटकर।
राष्ट्र हित सर्वोपरि, विद्वेष समक्ष ना आएंगे।
धरती को लेंगे नाप, जब सभी साथ हो जायेंगे।
विकास पथ पर लक्ष्य से पहले
नहीं रूकेगा कदम बढ़ा।
अपना देश चल पड़ा।
अब तक खुद को जो, अधिनायक थे समझते।
निर्धन से आदमी सा, व्यवहार नहीं थे करते।
जन गण मत के  ऋण को जाना, है अब पहचाना।
जनशक्ति ने भी अब, अपने अधिकार को जाना।
जनता ने बिठाया कंधे पर
तभी हैं वे दिखते बड़ा।
अपना देश चल पड़ा। 
सबको आगे बढ़ने का अब मिलेगा सम अवसर।
श्रमिक, कृषक, व्यापारी या कोई होगा कामगर।
किसी के संग कभी भी अब कटु व्यव्हार न होगा।
सरकार के विभागों में अब कोई भ्रष्टाचार न होगा।
आम आदमी भी सम्मानित
होगा अपने पांव खड़ा।
अपना देश चल पड़ा।
..

(C )  एस० डी० तिवारी



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Password / Robot

६१ पासवर्ड 
आजकल जरूरी है रखना एटीएम व क्रेडिट कार्ड।
जिसके लिये याद रखना होता, पिन और पासवर्ड।

इनके अतिरिक्त ईमेल और कम्प्यूटर फाइल।
पासवर्ड से ही खुलते सिमकार्ड और मोबाइल।

भरना हो पानी, बिजली, गैस या फोन का बिल।
या फिर करना हो बैंक खाते का बैलेंस हासिल।

आयकर, मकान कर या रेल, जहाज का टिकट। 
आनलाइन एकाउन्ट नहीं तो समस्या है विकट।

स्कूल की फीस हो या अन्य करों का भुगतान।
आनलाइन ही करो सब, अन्यथा रहो परेशान।

सभी काम के लिये अलग अलग पहचान कोड।
और पृथक ही खोलने का सबका पास कोड।

सभी एजंसियों की है अलग पासवर्ड प्रणाली।
पासवर्ड बनाने में ही हो जाता दिमाग खाली।

एक बार जब पासवर्ड बनाया तो ये सन्देश पढ़ा।
खेद है, चाहिये कम से कम एक अक्षर बड़ा।

जब वैसा किया तो ’आपका पासवर्ड छोटा है’।
बिना किसी विशिष्ट चिन्ह के अभी खोटा है।

ठोक ठठाकर, जब पासवर्ड को पूरा कर लिया।              
सन्देश पढ़ा, सारी! यह किसी अन्य को दे दिया।

इतने सभी पासवर्डों का, है ऐसा मकड़जाल।
याद करने में कोई ज्ञानी भी हो जाये बेहाल।

पासवर्ड भूल गये तो ऐसा भी हो सकता है।
घर का ताला बन्द, बाहर सोना पड़ सकता है।

अलीबाबा के हाथ लगा था चोरों का कोडवर्ड।
अकूत धन से भर लिया वह अपना कप्बोर्ड ।

इसके उलट अगर पासवर्ड चला गया यदि चोरी। 
तो देर नहीं लगेगी खाली होने में तिजोरी।          

अलीबाबा से चुराया कोड, कासिम, उसका भाई।
प्रयोग में गलती के कारण, अपनी जान गंवाई।



62. पासवर्ड  - 2

पासवर्डो ने उलझा के रखा है अपना जीवन। 
अलीबाबा की भांति, लगा के रखना है मन।


पति महोदय का पासवर्ड, लगा पत्नी के हाथ। 
तो खोल दिया उनके, प्रेम प्रसंग का राज।

पैसे मांगने पर जब, बेटे को डांटा बाप ने। 
दोबारा फिर नहीं गया, बेटा पैसे मांगने।

एटीएम का पासकोड उसके हाथ लग गया। 
आवष्यकतानुसार स्वयं निकालने लग गया।

अलीबाबा को तो सिमसिम भाग्यवश मिला। 
अब चला हैे हैकरों के चुराने का सिलसिला।

काम न करने का, सरकारी कर्मी का बहाना। 
पासवर्ड दूसरे बाबू के पास, कल फिर आ जाना।


मैं रोबॉट नहीं हूँ।

जब कोई ऑनलाइन अकाउंट खोलता हूँ।  
झूठ बोलना पड़ता है 'मैं रोबॉट नहीं हूँ। '
कैसे कहूँ, मैं रोबॉट नहीं हूँ। 

दिल को कृत्रिम यंत्र धड़का रहा है। 
आँख, प्लास्टिक का लेंस फड़का रहा है।
होंठ, नकली दांत लिए मुस्कुरा रहा है।  
कुदरती तौर से फिट फाट नहीं हूँ। 
कैसे कहूँ, मैं रोबॉट नहीं हूँ। 

घुटना को धातु का हिन्ज मोड़ रहा है। 
सांसों को कश वाला पफ छोड़ रहा है। 
कैप्सूल के सहारे खून दौड़ रहा है। 
जिंदगी चैन से सोये, अब वो खाट नहीं हूँ। 
कैसे कहूँ,  मैं रोबॉट नहीं हूँ। 

छड़ी का सहारा लेकर चल पाता हूँ। 
खाया हुआ, दवाई खाकर पचाता हूँ। 
कैलकुलेटर से हिसाब लगाता हूँ। 
अपनी ही उलझनों का काट नहीं हूँ। 
कैसे कहूँ, मैं रोबॉट नहीं हूँ।
 
सिर पर नकली बाल रोपाया हूँ। 
कानों में सुनने की मशीन घुसाया हूँ। 
इन्सुलिन के लिए सुई लगाया हूँ। 
डिस्काउंट पर चल रहा, खरा नोट नहीं हूँ। 
कैसे कहूँ, मैं रोबॉट नहीं हूँ। 



Wednesday, 23 July 2014

Pyari Neemkaudi

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Tuesday, 22 July 2014

Robonar

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नरसिंह भगवान् का तन, बना मनुष्य व शेर।
आदम का भी हो गया मशीन मिश्रित देह।
मशीन मिश्रित देह, लिये इस्पात का हाड़।
नकली पुतली लिये,  निहारतीं ऑंखें फ़ाड़।
दिल धड़के प्लास्टिक का, मशीन कहें या नर।
आधा नर आधा यन्त्र, भल नाम रोबोनर।

Friday, 18 July 2014

Piya gaya pardesh

पत्ते डोले कुछ तो बोले
हुई आवाज फड़ फड़  की
झोंका हवा का खोल दिया रे
हाय मेरे घर की खिड़की

लेकर आया है सन्देश
था जिसका मुझे अंदेश
मुझको तनहा छोड़ गया
बैरी कमाने परदेश
मेरा  पिया आएगा जल्दी
आँख देखो मेरी फडकी

सावन आया मेघा लाया
उसकी याद तड़पाये
चल रे मन तू जल्दी चल
झाड़ बुहार घर बाहर
सिर पर से चुनरी मेरी
जाने क्यों कर सरकी

कबसे खड़ी मै पंथ निहारूं 
ननदी के ताने न भाये 
कैसे काटे बिरह में दिन 
इतने उसे कौन बताये 
बात करूंगी, कहूँगी अपनी  
पिया से जी भर की 

patte dole kuchh to bole
हुई  awaj phad phad ki
jhonka hawa ka khol diya re
hai mere ghar ki khidaki
le kar aya hai sandesh
han jiska tha mujhe andesh
mera piya ab ayega jaldi
dekho meri re ankh phadaki
jhonka hawa ka khol…

man me uth rahi  halchal
chal man jaldi se tu chal
jhad buhar ke saph kar le
ghar angan bhitar bahar
sir par rakhi chunari meri
na jane kyo kar saraki

kabase khadi main panth niharu
piyawa ayega ek din
kaise kate birah me maine
itane din re usake bin
baat karoongi kah loongi main
ab to piya se jee  bharki