वह आई और साथ ख़ुशी के झोंके भी लायी
मगर बदहवास जुबान खुल तक न पायी
एक सपने कि तरह चली गयी, हम देखते रहे
आँख खुली तो नाराज़ नसीब ही सामने आई .
दिल में अरमान थे, कह देता वह अनसुनी दास्तान
सालों से मन में लिए, जिसे सलाहता सँवारता रहा
अनकही वो बातें उपले की तरह सुलगती रहीं
बुझाने को पानी कहाँ से लाता बस आहें भरता रहा.
मगर बदहवास जुबान खुल तक न पायी
एक सपने कि तरह चली गयी, हम देखते रहे
आँख खुली तो नाराज़ नसीब ही सामने आई .
दिल में अरमान थे, कह देता वह अनसुनी दास्तान
सालों से मन में लिए, जिसे सलाहता सँवारता रहा
अनकही वो बातें उपले की तरह सुलगती रहीं
बुझाने को पानी कहाँ से लाता बस आहें भरता रहा.
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