छठ गीत
जनि बईठा हो सुग्गा घवद पर, केला जाई जूठियाय।
दउरी में भर के ले जइबों, चढ़ावे के हो छठ घाट।
चढ़इबों उ केला छठी माई के, तोके देबों परसाद।
फल फूल खीर अउर ठेकुआ, छठी माई के भाय।
छठ माई सहाय सुरुज क, जग के करे उजियार।
देवी होलीं खुश पाय अरघिया, सूरज डूबे उतराय।
धरती पर बहुते विशेष होखे, रविशष्ठी त्यौहार।
कईला से पूजा छठी माई क, संतति सम्पति भर जाय।
मैया देलिन वोकरा आशिषिया, महिमा करे जे प्रसार।
रखे संयम नियम से छठ पूजा, सुखी घर परिवार।
डॉ. एस. डी. तिवारी
गलती
क पुतला बानीं। हजारों गलती करत बानीं।।
देवी मईया क्षमा करिहा। हमरा के क्षमा करिहा।।
अज्ञान
समझ के क्षमा करिहा।
अबोध
समझ के क्षमा करिहा।
पूजा
क ढंग न जानीं। तन्त्र अउरी मन्त्र न जानीं।।
बालक
समझ के क्षमा करिहा। याचक
समझ के क्षमा करिहा।
तोहरा के जे भी पुकारे। ओकरा के तॅू पार उतारे।।
अपराधी समझ के क्षमा करिहा। पापी समझ के क्षमा करिहा।।
भूल
से जे जवन कईल। शरण में तोहरी गईल।।
मूर्ख समझ के क्षमा करिहा। पुत्र समझ के क्षमा करिहा।।
करे
वाली सबकर रक्षा। प्रेम से लीहा हमरो पूजा।।
बुद्धिहीन समझ के क्षमा करिहा। दीन समझ के क्षमा करिहा।।
रउआ
त जग क जननी। रउए जग के जगमगवलीं।।
मां
हमरी पर दया करिहा। सब
अपराध क्षमा करिहा।
मईया
हमरा के क्षमा करिहा।
अज्ञान
समझ के क्षमा करिहा।।
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