Thursday, 28 January 2016

Jindagi bahata pani

समझ न पाया कोई कहानी।
जिंदगी है बहता पानी।

समय सरिता में बहती जाती
रोड़ों की ठोकर सहती जाती,
घावों की अपने लिए निशानी।  जिंदगी ...

मासूम की पल पल की कल कल,
मचाती रहती मन में हल चल,
है ये बेढब कभी सुहानी।  जिंदगी ...

कभी पहाड़ों से लड़ जाती,
कभी कंकड़ों से अड़ जाती,
करती जैसे खेल बचकानी।  जिंदगी ...

धाराएं मग में जुडती जातीं,
अंधे मोड़ों पर मुड़ती जातीं,
चलती रहती मगर सुजानी।  जिंदगी ...

कभी अपनी गति पर इतराती,
कभी लगता स्थिर हो जाती,
हो जाती कभी तूफानी।  जिंदगी ...

कौन सी धुन में कल कल करती,
किस सागर में जाकर मिलती,
दुनिया है अब तक अंजानी।  जिंदगी ..


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