देकर मिली
आजादी अनमोल
प्राणों की बलि
उठाये रखी
ऊँचा राष्ट्र मस्तक
वीरों की बलि
हो के शहीद
किये राष्ट्र की रक्षा
कोटि प्रणाम
खो के अपनी
देते सैनिक हमें
चैन की नींद
तुम्हारे हाथ
सम्हालो नौजवान
देश की शान
तू है संतति
राष्ट्र तेरी सम्पति
तू ही रक्षक
तुमसे मात्र
सुरक्षित है राष्ट्र
सैनिक वीर !
चलोगे तुम
मिलाकर कदम
राष्ट्रोन्नयन
हर सपूत
इस मिट्टी ने पाला
देश का दूत
भीतरघात
करने वालों को भी
देना है मात
लूटे न कोई
जागो हे जन गण
राष्ट्र तुम्हारा
मार भगाओ
शत्रु को पहचान
वीर जवान
जान से प्यारा
है हमको हमारा
भारत वर्ष
राष्ट्र का गान
और राष्ट्रीय ध्वज
हमारी शान
हो न मलिन
राष्ट्र ध्वज का मान
रहे ये ध्यान
शौर्य संस्कृति
प्रगति का प्रतीक
मेरा तिरंगा
मर मिटेंगे
झुकने नहीं देंगे
झंडा तिरंगा
रहा है सज
राष्ट्रीय पर्व पर/पंद्रह अगस्त को
तिरंगा ध्वज
उड़ाता मग्न
स्वतंत्रता दिवस
तिरंगा ध्वज
***********
सीधे हैं वासी
सीधा सादा है वेश
भारत देश
विविध धर्म
जाति क्षेत्र व भाषा
एक है देश
गंगा यमुना
बहें सुचि सरिता
भारत देश
होता सम्मान
चाहे कोई हो धर्म
भारत वर्ष
पावन भूमि
देवी देवताओं की
भारत देश
स्वार्थ निहित
मुट्ठी भर वे लोग
बांटते देश
भरे विविध
प्राकृतिक सम्पदा
भारत देश
सबको लेकर
बढ़ा प्रगति पथ
भारत वर्ष
शांति का दूत
बना पूरे विश्व का
भारत देश
***********
तुम्हारी माँ सी
तुमको जो पालती
होती है माटी
तुमको जो पालती
होती है माटी
जला के कर देगी
पाक को खाक
भिन्न कानून
जाति धर्म क्षेत्र के
भारत एक
गंगा कावेरी
लहराती चुनरी
भारत माँ की
अमर होते
तिरंगे में लिपट
जग छोड़ते
धरे उत्कर्ष
शांति व संस्कृति का
भारत वर्ष
है पुकारती
पुत्रों को माँ भारती
रखना आन
तुम सो रहे
कुछ स्वार्थी हो रहे
हड़पने को देश
कठपुतली
हो जाय ये कुछ की
जागो, हे जन गण !
जान की बाजी
लगाते तब पाते
वीर पदक
नेता की भूख सत्ता
ठाट बाट व भत्ता
पुत्र मोह में
हो चुके धृतराष्ट्र
आज के मंत्री
बढ़ चढ़ के
नेता के चट्टे बट्टे
देश को लूटे
रखना डंडा
उड़ न जाये झंडा
हाथ में कस
फहराया तिरंगा
प्राणों की बलि
रखना ध्यान
मलिन ना हो कभी
देश की छवि
देखी दुनिया
है सबसे बढ़िया
भारत वर्ष
पावन भूमि
राम और कृष्ण की
भारत वर्ष
वेद पुराण
रखे अथाह ज्ञान
भारत वर्ष
अशोक चक्र
कहता इतिहास
महा देश का
दिये शहीद
अनेकों बलिदान
रक्षित हम
भागता जग
परछाई के पीछे
सत्य से परे
पर्याप्त नहीं
तिरंगा फहराना
ताल मिलाना
जन समृद्धि
स्वतंत्रता दिवस
की हो प्रतिज्ञा
उगलती है आग
कलम मेरी
तीज त्यौहार
सावन की बहार
मन की पेंग
हाथों में सजी
झूल रही मेहंदी
तीज का झूला
हरी चूड़ियाँ
हरियाला सावन
मन भावन
और जगावे
सावन की फुहार
मन की आग
सूना सावन
आये नहीं साजन
डंसने खड़ा
बुझा ना पावे
विरहन की आग
वर्षा बहार
देख सौंदर्य
सावन इतराता
नहाई धरा
पहनी पृथ्वी
नहा के सावन में
हरे वसन
वसुंधरा का
खिल जाता यौवन
नहा सावन
छोटा कंकड़
हिला देता तालाब
चाँद का नृत्य
बच्चे ने फेंक
हिला दिया आकाश
ताल में ढेला
बनी चाशनी
मिठाई खाने गयी
चींटी की कब्र
हारती नहीं
गिर कर भी चींटी
लक्ष्य पे दृष्टि
एक जुट हो
कर लेतीं चीटियाँ
राह सरल
मुश्किलों में भी
परिश्रम के बल
चींटी सफल
गति से ज्यादा
लक्ष्य महत्वपूर्ण
चींटी की सीख
मरा पतंगा
हो गयीं एकत्रित
गली की चींटी
ले चलीं चींटी
अंतिम संस्कार को
कीट का शव
नन्ही अवश्य
हाथी हेतु हो जाती
चुनौती चींटी
कभी न देखा
अवकाश मनाते
कर्मठ चींटी
नन्हीं बेशक
प्रकृति में रखती
चींटी भी अंश
चींटी के लिए
उतना ही महत्व
चींटी की जान
ले चलीं चींटी
लगाने को ठिकाने
कीड़े का शव
कोई ना हानि
फिर भी लेते लोग
चींटी की जान
देह से भारी
कहे तैरता शव
सांस का बोझ
ताजगी पाई
सावन में धरती
डूब नहाई
पड़ी साड़ी पे
गंदे पानी की छींट
नाली में गेंद
बजाता सीटी
पडोसी का कूकर
हो गयी भोर
तारों के हाथ
आई अगरबत्ती
चाँद के दीया
राका रौशन
रखने का राकेश
लिया है भार
होते जागृत
पढ़ कर कविता
सोये विचार
वर्षा का पानी
नदी चली बटोर
सिंधु की ओर
खारा समुद्र
लहरें गायें गीत
बड़े ही मीठ
मन ले जीत
डर सताता
सूरज छुप जाता
मेघ ज्यों आता
सिटी बजाता
पडोसी का कूकर
मुझे जगाता
चौथा भाग भी
साथ नाहीं चलता
अर्धांगिनी का
सुर बेसुर
दिल के संगीत में
हंसी बताती
हंसी दर्शाती
उत्तम तार बांधी
दिल की वीणा
सुनते हम
जब रोता इंसान
दिल की तान
हंसना रोना
कहे कित्ती सुरीली
दिल की तान
कित्त्ता भी जाओ
रहोगे दिल में ही
दूर मुझसे
बसाया तुझे
बीमारी बस गयी
दिल में कैसे
प्यार करने वाला
दिल भी रखे
जरूरी नहीं
जिससे प्यार करें
दिल भी रखे
**************
झुका न पाती
चाहे आ जाये आंधी
सख्त दरख़्त
चली हल्की हवा भी
नरम पौध
पता लगाते
कमजोर को देख
हवा का रुख
लड़ीं बिल्लियाँ
बन्दर पाया मौज
हिस्सा का किस्सा
मोती के जैसे
झुक कर उठा लो
रिश्ते जो टूटे
दिखाओ एक
होतीं अपनी ओर
तीन उंगली
लड़ के भला
कहीं कभी हो पाता
किसी का भला
दिन खो देता
अपना भी प्रकाश
पाने को रात
************
करे सुदृढ़
राखी का कच्चा धागा
रिश्ते की गांठ
करे प्रगाढ़
भाई दीदी का प्यार
राखी त्यौहार
प्यार समेट
दी भाई की कलाई
धागा लपेट
प्यार समेटी
भाई की कलाई मे
सूत्र लपेटी
धागे में बंधा
बहन का दुलार
भाई का प्यार
पावन संबंधों का
है राखी का त्यौहार
प्यार लपेट
कलाई में लपेटी
दीदी ने धागा
हाथ में राखी
मुंह घेवर बर्फी
प्यारी है जीजी
लेगी सौगात
दीदी बाँध के राखी
भाई के हाथ
राखी त्यौहार
भाई भूल न जाना
दीदी का प्यार
लेकर आई
जीजी राखी मिठाई
ला बांधूं भाई
राखी मिठाई
जीजी लेकर आयी
बंधा ले भाई
दीदी ने बांधा
राखी का कच्चा धागा
सुदृढ़ नाता
खोला लिफाफा
मिला राखी का धागा
सीमा पे भाई
राखी का धागा
भाई दीदी का प्यार
करे प्रगाढ़
एस. डी. तिवारी
बांधी कलाई
माथे टीका लगाई
दीदी ने राखी
राखी का धागा
जिसके ना कलाई
रहा अभागा
भाई बहन
एक दूजे की याद
रक्षा बंधन
भाई मिठाई
दीदी सौगात पायी
राखी त्यौहार
रोली चन्दन
सजा भाई के माथे
रक्षा बंधन
सीमा पे भाई
राखी का धागा
भाई दीदी का प्यार
करे प्रगाढ़
एस. डी. तिवारी
बांधी कलाई
माथे टीका लगाई
दीदी ने राखी
राखी का धागा
जिसके ना कलाई
रहा अभागा
भाई बहन
एक दूजे की याद
रक्षा बंधन
भाई मिठाई
दीदी सौगात पायी
राखी त्यौहार
रोली चन्दन
सजा भाई के माथे
रक्षा बंधन
भाई! दीदी का प्यार
राखी त्यौहार
लेकर आई
जीजी राखी मिठाई
ला बांधूं भाई
राखी का धागा
जीजी भाई का नाता
किया सुदृढ़
करे प्रगाढ़
भाई जीजी का प्यार
राखी त्यौहार
प्यारे भईया
तुझे बांधूंगी राखी
माथे को चूम
जिए तू युग युग
रक्षाबंधन शुभ
मेरी बहना
रहेगा मेरा प्यार
तुम्हारे साथ
खुश रहना तुम
रक्षाबंधन शुभ
दिखाता है फिर भी
अपनी कला
संग संस्कार
पिता पुत्र भ्राता का
मना त्यौहार
साथ जलाई
बाप बेटा व भाई
जली बुराई
अतिथि मेघ
घुमड़ कर आये
भाग्य जगाये
चले ऊपर
निकलना दूभर
बूदों के बाण
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