सिंधु हो जाता
गंगा से मिलकर
गंगा सागर
मोक्ष दायिनी
अंत समय पर
गंगा का जल
भारत रत्न
सच कहो तो बस
गंगा मईया
आश्रय पाते
माँ गंगा की शरण
करोड़ों लाल
मैला जो होगा
माता होगी उदास
गंगा का जल
स्वच्छ रखना
कर्त्तव्य है सबका
माता गंगा को
चलीं सहेली
गुनगुनाते गीत
गंगा नहान
पापियों को भी
पावन कर देती
गंगा मईया
तन के संग
धुल जाता है मन
नहा के गंगा
कर्कश वाणी
बना देती कौवे को
अप्रिय प्राणी
काला सा कागा
बच्चे से छीन रोटी
लेकर भागा
बैठा मुड़ेर
कागा लाया सन्देश
पियु आने का
हरेक साल
काग के जगे भाग
पितरपख
जल प्रपात
देख के बढ़ जाती
आँखों की प्यास
नग्न दिखते
पुरुष गरीबी में
स्त्री अमीरी में
रोटी खाने को
धनी वक्त ढूंढता
गरीब पैसा
स्वयं खा जाता
जन्मा के मानवता
मनु स्वार्थ में
सवार देना
किसी का बचपन
पुनर्जीवन
सर्प का विष
सत्ताधारी का दर्प
दोनों घातक
अपना स्वेद
बड़े स्वाद से खाया
घर की सब्जी
इतनी बड़ी
देश की समस्यायें
छोटा ये हल
छोटा हो के भी
रोक लेता चन्द्रमा
रवि की राह
चाँद ने डाला
सूरज के मुख पे
नकाब काला
आने लगा है
मगर धीरे धीरे
चाँद समक्ष
दाग देखा तो
चाँद क्या खाक देखा
जिस किसी ने
हुई उदास
सूरज के जाते ही
सूरजमुखी
ख़ुशी में डूबी
देख सूर्य का मुख
सूरजमुखी
पंगु शासन
राष्ट्र भाषा के बिना
बिखरा राष्ट्र
शुद्ध सरस
सभी भाषाओँ में है
हिंदी महान
*******************
गेंदे का फूल
बैठ मुस्काये
देवताओं के सिर
गेंदे का फूल
लटका द्वार
बन बंदनवार
गेंदा का फूल
होता तत्पर
स्वागत बारात में
गेंदे का फूल
तैयार बैठा
चलने को मंदिर
गेंदे का फूल
लगती प्यारी
भरी बगीची क्यारी
गेंदे के फूल
क्या पता गुंथ
होगा किसके गले
गेंदे का फूल
सजा मंडप
महोत्सव मनाता
गेंदे का फूल
सदा ही पास
जीवन में है खास
गेंदे का फूल
विदा सेवा से
गले पहन चले
गेंदे का फूल
हुआ शोभित
श्रीराम के जूड़े में
गेंदे का फूल
पहन चले
गेंदे का हार गले
सेवानिवृत्त
नेता जी जीते
गेंदे का हार गले
पहन चले
कर डाली है एक
दुनिया सारी
डॉक्टर कहे -
पहले ही कर दो
कम पीने को
बुद्धि विहीन
करे तन से क्षीण
मधु का प्याला
नहीं थकती
करने में बर्बाद
ये मधुशाला
समझता था
वो उसे पी रहा है
वो पीती रही
उडाता रहा
उसी को सिगरेट
धुआं लपेट
रुलाया यदि
रुला देगी तुमको
माता धरती
हिला देती है
धरती की सिसकी
रुलाना मत
त्राहि, हे प्रभु!
हो रहे बच्चे तेरे
काल कवल
हम बालक
तुम पालक प्रभु!
रक्षा करना
लिपि मार्ग पे
दौड़े भाषा की गाड़ी
ढोते संचार
व्याकरण करता
सुगम यातायात
गंगा से मिलकर
गंगा सागर
मोक्ष दायिनी
अंत समय पर
गंगा का जल
भारत रत्न
सच कहो तो बस
गंगा मईया
आश्रय पाते
माँ गंगा की शरण
करोड़ों लाल
मैला जो होगा
माता होगी उदास
गंगा का जल
स्वच्छ रखना
कर्त्तव्य है सबका
माता गंगा को
चलीं सहेली
गुनगुनाते गीत
गंगा नहान
पापियों को भी
पावन कर देती
गंगा मईया
तन के संग
धुल जाता है मन
नहा के गंगा
दिखला देता
भले बुरे का भेद
मन दर्पण
चंचल मन
ढक देता जीवन
स्वार्थीपन
चंचल हो के
करे आकृष्ट मन
दुराचरण
खुल्ला जो छोड़ा
बिन लगाम घोडा
हो जाता मन
चंचल मन
ढक लेता जीवन
बादल बन
बना देता है
असंतुष्ट जीवन
स्वार्थीपन
उन्मुक्त मन
कर आता भ्रमण
धरा गगन
भले बुरे का भेद
मन दर्पण
चंचल मन
ढक देता जीवन
स्वार्थीपन
चंचल हो के
करे आकृष्ट मन
दुराचरण
खुल्ला जो छोड़ा
बिन लगाम घोडा
हो जाता मन
चंचल मन
ढक लेता जीवन
बादल बन
बना देता है
असंतुष्ट जीवन
स्वार्थीपन
उन्मुक्त मन
कर आता भ्रमण
धरा गगन
कर्कश वाणी
बना देती कौवे को
अप्रिय प्राणी
काला सा कागा
बच्चे से छीन रोटी
लेकर भागा
बैठा मुड़ेर
कागा लाया सन्देश
पियु आने का
हरेक साल
काग के जगे भाग
पितरपख
जल प्रपात
देख के बढ़ जाती
आँखों की प्यास
नग्न दिखते
पुरुष गरीबी में
स्त्री अमीरी में
रोटी खाने को
धनी वक्त ढूंढता
गरीब पैसा
स्वयं खा जाता
जन्मा के मानवता
मनु स्वार्थ में
सवार देना
किसी का बचपन
पुनर्जीवन
सर्प का विष
सत्ताधारी का दर्प
दोनों घातक
भरे न सूर्य
जिंदगी में अँधेरा
भर लूँ मुट्ठी
हो जाता सूर्य
नित साँझ पिघल
सिंधु में पानी
नभ से गिरा
अग्नि पिण्ड हो जाता
लावा का सिंधु
नन्हा चाँद भी
कभी रोक देता है
सूर्य की राह
दिखा देता है
सूरज को भी काला
ऊपर वाला
सायं सिंधु में
सूरज भर देता
तरल सोना
चला सूरज
अपने काम पर
नहा धोकर
जलता रवि
गिर कर हो गया
बहता लावा
फूलों की डाली
सहज कर डाली
आकृष्ट मन
जो कोई देखे
विवश प्रेम वश
फूलों की डाली
जिंदगी में अँधेरा
भर लूँ मुट्ठी
हो जाता सूर्य
नित साँझ पिघल
सिंधु में पानी
नभ से गिरा
अग्नि पिण्ड हो जाता
लावा का सिंधु
नन्हा चाँद भी
कभी रोक देता है
सूर्य की राह
दिखा देता है
सूरज को भी काला
ऊपर वाला
सायं सिंधु में
सूरज भर देता
तरल सोना
चला सूरज
अपने काम पर
नहा धोकर
जलता रवि
गिर कर हो गया
बहता लावा
फूलों की डाली
सहज कर डाली
आकृष्ट मन
जो कोई देखे
विवश प्रेम वश
फूलों की डाली
अपना स्वेद
बड़े स्वाद से खाया
घर की सब्जी
इतनी बड़ी
देश की समस्यायें
छोटा ये हल
छोटा हो के भी
रोक लेता चन्द्रमा
रवि की राह
चाँद ने डाला
सूरज के मुख पे
नकाब काला
आने लगा है
मगर धीरे धीरे
चाँद समक्ष
दाग देखा तो
चाँद क्या खाक देखा
जिस किसी ने
हुई उदास
सूरज के जाते ही
सूरजमुखी
ख़ुशी में डूबी
देख सूर्य का मुख
सूरजमुखी
पंगु शासन
राष्ट्र भाषा के बिना
बिखरा राष्ट्र
शुद्ध सरस
सभी भाषाओँ में है
हिंदी महान
*******************
चढ़ जाता है
देवताओं के सिर
गेंदे का फूल
नहा धोकर
मंदिर को तैयारगेंदे का फूल
नहा धोकर
गेंदे का फूल
बैठ मुस्काये
देवताओं के सिर
गेंदे का फूल
लटका द्वार
बन बंदनवार
गेंदा का फूल
होता तत्पर
स्वागत बारात में
गेंदे का फूल
तैयार बैठा
चलने को मंदिर
गेंदे का फूल
लगती प्यारी
भरी बगीची क्यारी
गेंदे के फूल
क्या पता गुंथ
होगा किसके गले
गेंदे का फूल
सजा मंडप
महोत्सव मनाता
गेंदे का फूल
जीवन में है खास
गेंदे का फूल
विदा सेवा से
गले पहन चले
गेंदे का फूल
हुआ शोभित
श्रीराम के जूड़े में
गेंदे का फूल
पहन चले
गेंदे का हार गले
सेवानिवृत्त
नेता जी जीते
गेंदे का हार गले
पहन चले
शव पे पड़ा
अंसुअन में डूबा
गेंदे का फूल
पहने चला
जन्नत को बकरा
गेंदे का हार
************
नहीं रहते
विश्राम व उत्थान
एक ही स्थान
बज के घना
दर्शाते खालीपना
भांडे अपना
ईश्वर करे
पड़ोस में न बसे
ईर्ष्यालु व्यक्ति
खाती रहती
जिस पर रहती
आकाश बेल
प्रधानमंत्री -
जन्नत को बकरा
गेंदे का हार
************
नहीं रहते
विश्राम व उत्थान
एक ही स्थान
बज के घना
दर्शाते खालीपना
भांडे अपना
ईश्वर करे
पड़ोस में न बसे
ईर्ष्यालु व्यक्ति
खाती रहती
जिस पर रहती
आकाश बेल
प्रधानमंत्री -
दुनिया सारी
डॉक्टर कहे -
पहले ही कर दो
कम पीने को
बुद्धि विहीन
करे तन से क्षीण
मधु का प्याला
नहीं थकती
करने में बर्बाद
ये मधुशाला
समझता था
वो उसे पी रहा है
वो पीती रही
उडाता रहा
उसी को सिगरेट
धुआं लपेट
रुलाया यदि
रुला देगी तुमको
माता धरती
हिला देती है
धरती की सिसकी
रुलाना मत
त्राहि, हे प्रभु!
हो रहे बच्चे तेरे
काल कवल
हम बालक
तुम पालक प्रभु!
रक्षा करना
लिपि मार्ग पे
दौड़े भाषा की गाड़ी
ढोते संचार
व्याकरण करता
सुगम यातायात
नहीं रहते
विश्राम व उत्थान
एक ही स्थान
बजना घना
दर्शाता खालीपना
बर्तन भांडे
विश्राम व उत्थान
एक ही स्थान
बजना घना
दर्शाता खालीपना
बर्तन भांडे