Tuesday, 7 April 2015

Haiku 8.4.2015 / ganga /man / gende ka phool

सिंधु हो जाता
गंगा से मिलकर
गंगा सागर

मोक्ष दायिनी
अंत समय पर
गंगा का जल

भारत रत्न
सच कहो तो बस
गंगा मईया

आश्रय पाते
माँ गंगा की शरण
करोड़ों लाल


मैला जो होगा
माता होगी उदास
गंगा का जल

स्वच्छ रखना
कर्त्तव्य है सबका
माता गंगा को

चलीं सहेली
गुनगुनाते गीत
गंगा नहान

पापियों को भी
पावन कर देती
गंगा मईया

तन के संग
धुल जाता है मन
नहा के गंगा


दिखला देता
भले बुरे का भेद
मन दर्पण

चंचल मन
ढक देता जीवन
स्वार्थीपन

चंचल हो के
करे आकृष्ट मन
दुराचरण

खुल्ला जो छोड़ा
बिन लगाम घोडा
हो जाता मन

चंचल मन
ढक लेता जीवन
बादल बन

बना देता है
असंतुष्ट जीवन
स्वार्थीपन

उन्मुक्त मन
कर आता भ्रमण
धरा गगन 

कर्कश वाणी
बना देती कौवे को
अप्रिय प्राणी

काला सा कागा
बच्चे से छीन रोटी
लेकर भागा

बैठा मुड़ेर
कागा लाया सन्देश
पियु आने का

हरेक साल
काग के जगे भाग
पितरपख  

जल प्रपात
देख के बढ़ जाती
आँखों की प्यास

नग्न दिखते
पुरुष गरीबी में
स्त्री अमीरी में

रोटी खाने को
धनी वक्त ढूंढता
गरीब पैसा

स्वयं खा जाता
जन्मा के मानवता
मनु स्वार्थ में

सवार देना
किसी का बचपन
पुनर्जीवन

सर्प का विष
सत्ताधारी का दर्प  
दोनों घातक

भरे न सूर्य
जिंदगी में अँधेरा
भर लूँ मुट्ठी

हो जाता सूर्य
नित साँझ पिघल
सिंधु में पानी

नभ से गिरा
अग्नि पिण्ड हो जाता
लावा का सिंधु

नन्हा चाँद भी
कभी रोक देता है  
सूर्य की राह

दिखा देता है
सूरज को भी काला
ऊपर वाला

सायं सिंधु में
सूरज भर देता
तरल सोना

चला सूरज
अपने काम पर
नहा धोकर

जलता रवि
गिर कर हो गया
बहता लावा

फूलों की डाली
सहज कर डाली
आकृष्ट मन

जो कोई देखे
विवश प्रेम वश
फूलों की डाली  


अपना स्वेद
बड़े स्वाद से खाया
घर की सब्जी

इतनी बड़ी
देश की समस्यायें
छोटा ये हल

छोटा हो के भी
रोक लेता चन्द्रमा
रवि की राह

चाँद ने डाला
सूरज के मुख पे
नकाब काला

आने लगा है
मगर धीरे धीरे
चाँद समक्ष

दाग देखा तो
चाँद क्या खाक देखा
जिस किसी ने

हुई उदास
सूरज के जाते ही
सूरजमुखी

ख़ुशी में डूबी
देख सूर्य का मुख
सूरजमुखी

पंगु शासन
राष्ट्र भाषा के बिना
बिखरा राष्ट्र

शुद्ध सरस
सभी भाषाओँ में है
हिंदी महान

*******************

चढ़ जाता है
देवताओं के सिर
गेंदे का फूल

नहा धोकर
मंदिर को तैयार
गेंदे का फूल

बैठ मुस्काये
देवताओं के सिर
गेंदे का फूल

लटका द्वार
बन बंदनवार
गेंदा का फूल

होता तत्पर
स्वागत बारात में
गेंदे का फूल

तैयार बैठा
चलने को मंदिर
गेंदे का फूल

लगती प्यारी
भरी बगीची क्यारी
गेंदे के फूल

क्या पता गुंथ
होगा किसके गले
गेंदे का फूल

सजा मंडप
महोत्सव मनाता
गेंदे का फूल

सदा ही पास
जीवन में है खास
गेंदे का फूल

विदा सेवा से
गले पहन चले
गेंदे का फूल

हुआ शोभित
श्रीराम के जूड़े में  
गेंदे का फूल

पहन चले
गेंदे का हार गले
सेवानिवृत्त

नेता जी जीते
गेंदे का हार गले
पहन चले

शव पे पड़ा
अंसुअन में डूबा   
गेंदे का फूल

पहने चला
जन्नत को बकरा
गेंदे का हार

************

नहीं रहते
विश्राम व उत्थान
एक ही स्थान

बज के घना
दर्शाते खालीपना
भांडे अपना

ईश्वर करे
पड़ोस में न बसे
ईर्ष्यालु व्यक्ति

खाती रहती
जिस पर रहती
आकाश बेल

प्रधानमंत्री -
कर डाली है एक
दुनिया सारी

डॉक्टर कहे -
पहले ही कर दो
कम पीने को

बुद्धि विहीन
करे तन से क्षीण
मधु का प्याला

नहीं थकती
करने में बर्बाद
ये मधुशाला

समझता था
वो उसे पी रहा है
वो पीती रही

उडाता रहा
उसी को सिगरेट
धुआं लपेट

रुलाया यदि
रुला देगी तुमको
माता धरती

हिला देती है
धरती की सिसकी
रुलाना मत

त्राहि, हे प्रभु!
हो रहे बच्चे तेरे
काल कवल

हम बालक
तुम पालक प्रभु!
रक्षा करना



लिपि मार्ग पे
दौड़े भाषा की गाड़ी
ढोते संचार
व्याकरण करता
सुगम यातायात




नहीं रहते
विश्राम व उत्थान
एक ही स्थान

बजना घना
दर्शाता खालीपना
बर्तन भांडे






Friday, 3 April 2015

Haiku do arth

लेवा न सिला
कागज नहीं बना
लुगदी न थी

वो आया नहीं
पाजामा मिला नहीं
सिला नहीं था

मेघ से झाँका
घूंघट में से ताका
मेरे दो चाँद

चूल्हा न जला
इंजन नहीं चला
ईंधन न था

थाल गन्दा था
पतंग उडी नहीं
मंजा नहीं था

गाड़ी हिली ना
सामान गया नहीं
ठेला नहीं था

सिर में तेल
नहीं हो सका खेल
बिना बाल के

हाथ सूना था
नट कस ना पाया
चूड़ी गायब

रूठ के गयी
मानो ले के जाएगी
वो मेरी जान

रह ना पाया
दवाई नहीं खाया
बच्चा कल से


चिलगोजा की
तोड़ने में छटकी
पृथ्वी पे गिरी

रस्सी टूटी क्यों
हाथी हार क्यों गया
बल कम था

मन की मन
रजाई हुई मैली
पाई ना खोल

बाढ़ समाप्त
बिना चमक मोती
उतरा पानी

पड़ी दुलत्ती
चल गयी बन्दूक
छेड़ा जो घोडा

नारी की लम्बी
पर्वत की है ऊँची
सुन्दर चोटी

जले तो, ज्योति
देवता हों प्रसन्न
अगर-बत्ती

जाना था घर
बस हुई पंचर
फंसा चक्कर

घेर के आई
सूरज का प्रकाश
दिन में घटा

जैसे ही मेघ
चांदनी ने बिखेरा
नभ में छटा

बंधा ना घड़ा
हिम ना बना पानी
गला नहीं था

दर्द से चीखा
पांव में हुआ फोड़ा
जब वो फोड़ा

उसकी बुद्धि
तीव्रता में उदंड
हो गयी हवा

पिया उसने
उत्सव  के रंग में
हो गया भंग

वो नशे में क्यों
पार्टी शीघ्र ख़त्म क्यों
पड़ा था भंग

माँ प्रसन्न क्यों
सांड भड़का था क्यों
लाल को देखा

गद्दा दबा क्यों
कलाई खाली थी क्यों
कड़ा नहीं था

जूता तंग क्यों
सांभर बचा था क्यों
बड़ा नहीं था 

छटा जो मेघ
चांदनी ने बिखेरी
नभ में छटा

घटा जो घेरी
सूरज का प्रकाश
दिन में घटा


दिल में छुपा
आँखों ने बता दिया
बेपर्दा दिल

आँखे जो मिली
आँखों ने कुछ कहा
झुका ली आँखे

नींद सतायी
आँखों पे छींटा मार
भगायी नींद

नहीं भी बसो
किन्हीं आँखों में यदि
गिरना नहीं

पार्टी के बाद
फेंके पत्तल दोने
कुत्तों की पार्टी

टूटा खिलौना
देख नन्हें मुन्ने का
मन भी टूटा

कटी फसल 
किसान लाता घर 
चूहा बिल में 

वट का वृक्ष 
होता अति विशाल   
नन्हा सा गोदा


वृक्ष की डाली
पसरी बन बाहें
झूलते पत्ते

जग में नित
बिखराता किरणें
सूरज जग


दोना भर
गाजर का हलवा
हमें भी दो ना

चैन पाने को
ज्यादा धन कमाया
गंवाया चैन

मन में बैठा
उसे देख न पाता
भटका मन

होली का पर्व
चढ़ा भांग का नशा 
बिगड़ी होली


झांकता वक्ष
पड़ा है कमीज का
टूटा बटन

वर्षा की बूँद
नदी की राह चली
सिंधु की ओर
(संकुचित से विस्तृत बिम्ब )





अपेक्षा- इच्छा, आवश्यकता, आशा, इत्यादि। 
अंक- भाग्य, गिनती के अंक, नाटक के अंक, चिन्ह संख्या, गोद।
अर्थ- मतलब, कारण, लिए, भाव, अभिप्राय, धन, आशय, प्रयोजन।
अधर- धरती (आकाश के बीच का स्थान), पाताल, नीचा, होंठ। 
आराम- विश्राम, निरोग होना।
उत्तर- उत्तर दिशा, जवाब, हल, अतीत, पिछला, बाद का इत्यादि।

कर- हाथ, टैक्स, किरण, सूँड़ ।

कनक- सोना, धतूरा, गेंहूँ।
खर- दुष्ट, गधा, तिनका, एक राक्षस।
खल- दुष्ट, धतूरा, दवा कूटने का खरल।
गुरु- शिक्षक, ग्रहविशेष, श्रेष्ठ, बृहस्पति, भारी, बड़ा, भार।
गुण- कौशल, शील, रस्सी, स्वभाव, धनुष की डोरी।
गति- चाल, दशा, मोक्ष, हालत।

घन- बादल, अधिक, घना, गणित का घन, पिण्ड, हथौड़ा ।

जड़- मूल, मूर्ख।
ज्येष्ठ (जेठ)- पति का बड़ा भाई, बड़ा, हिन्दी महीना।

तीर- बाण, किनारा, तट।

दंड- सज़ा, डंडा, एक व्यायाम।
दल- समूह, सेना, पत्ता, हिस्सा, पक्ष, भाग, चिड़ी।
पद- चरण, शब्द, पैर, स्थान, ओहदा, कविता का चरण।
पानी- जल, चमक, इज्जत ।
फल- लाभ, मेवा, नतीजा, भाले की नोक।
बल- सेना, शक्ति।
भाग- हिस्सा, विभाजन, भाग्य।