Friday, 17 October 2025

Chhath geet


छठ गीत 

जनि बईठा हो सुग्गा घवद पर, केला जाई जूठियाय। 

दउरी में भर के ले जइबों, चढ़ावे के हो छठ घाट। 

चढ़इबों उ केला छठी माई के, तोके देबों परसाद।

फल फूल खीर अउर ठेकुआ, छठी माई के भाय।   

छठ माई सहाय सुरुज क, जग के करे उजियार।

देवी होलीं खुश पाय अरघिया, सूरज डूबे उतराय।   

धरती पर बहुते विशेष होखे, रविशष्ठी त्यौहार। 

कईला से पूजा छठी माई क, संतति सम्पति भर जाय।    

मैया देलिन वोकरा आशिषिया, महिमा करे जे प्रसार।         

रखे संयम नियम से छठ पूजा, सुखी घर परिवार।

 

डॉ. एस. डी. तिवारी 



गलती क पुतला बानीं। हजारों गलती करत बानीं।।

देवी मईया क्षमा करिहा। हमरा के क्षमा करिहा।।

अज्ञान समझ के क्षमा करिहा।

अबोध समझ के क्षमा करिहा।

 

पूजा क ढंग न जानीं। तन्त्र अउरी मन्त्र न जानीं।।

बालक समझ के क्षमा करिहा। याचक समझ के क्षमा करिहा।

 

तोहरा के जे भी पुकारे। ओकरा के तॅू पार उतारे।।

अपराधी समझ के क्षमा करिहा। पापी समझ के क्षमा करिहा। 

 

भूल से जे जवन कईल। शरण में तोहरी गईल।।

मूर्ख समझ के क्षमा करिहा। पुत्र समझ के क्षमा करिहा।।


करे वाली सबकर रक्षा। प्रेम से लीहा हमरो पूजा।।

बुद्धिहीन समझ के क्षमा करिहा। दीन समझ के क्षमा करिहा।।

 

रउआ त जग क जननी। रउए जग के जगमगवलीं।।

मां हमरी पर दया करिहा। सब अपराध क्षमा करिहा।

मईया हमरा के क्षमा करिहा।

अज्ञान समझ के क्षमा करिहा।।


Saturday, 9 August 2025

Laal chunar pa ke / royi heer

 

 

 रब मेरे ए ए ए!
रब मेरे ए ए! मेनू, लाल चुनर पा के आणा।


मेनू ना भावे, चीटिया चुंदरी ई ई,

मेनू ना भावे, चीटिया चुंदरी,
नाइयों दूधिया लिवास;
माथे ते टीका वेमांग विच सिन्दूर पाणा।

रब मेरे ए ए! मेनू, लाल चुनर पा के आणा।

 

चोटी मैं गूंथूं वे ए ए 
चोटी मैं गूंथूं वे, गजरा सजावां नी,
केशां नु लेवांगी संवार;
लागे ना नजर कोई, अक्खां वीच काजल पाणा।

रब मेरे ए ए! मेनू, लाल चुनर पा के आणा।

 

नाक ते नथनी वे, कानां वीच झुमका, 

नाक ते नथनी वे, कानां वीच झुमका, 
गले वीच डालांगी हार;
हाथों ते हीना वे, कलाई वीच चूड़ियाँ पाणा।

रब मेरे ए ए! मेनू, लाल चुनर पा के आणा।

 

बाहां सजावां नी ई, पहणां भुजदंड असां,

बाहां सजावां नी ई, पहणां भुजदंड असां,
उंगल विच मुदरी डाल;
पांव सजावण लई, मैं बिछुआ ते पायल पाणा।

रब मेरे ए ए! मेनू, लाल चुनर पा के आणा।

 

कमर कस लेवांगी ई, बांधे कमरबंद असि,

कमर कस लेवांगी, बांधे कमरबंद असि,

इतर दा करूँ छिड़काव;
तेरी दुलारी मैं वां आं, मेनू तू गले ते लगाणा।

रब मेरे ए ए! मेनू, लाल चुनर पा के आणा।

 

जेड़ा कुछ दित्ता तूने ए ए

जेड़ा कुछ दित्ता तूनेतेनु मैं सौंप देणा,
करके नी सोलह श्रृंगार;
तेरे चरणों में रब्बा, आके मेनू सो जाणा।

रब मेरे ए ए! मेनू, लाल चुनर पा के आणा।

 

एस डी तिवारी




ओ रब्बा .... ! वो ओ ओ ओ रब्बा  
मेनू होंदी कलेजे विच पीर

मेनू होंदी कलेजे विच पीर
ओ रब्बा आ सोच, किन्ना, रोई होगी हीर

घर दी दीवारां जालिम, होवांगी जेलखाना 
होगा बना जे दुश्मनसारा जमाना

घर दी दीवारां जालिमसिगीं जेलखाना 
होगा बना जे दुश्मनसारा जमाना
पांवा विच पड़ी होंगी, जकड़ी जंजीर

ओ रब्बा आ! किन्ना रोई होगी हीर


मंजी बिछौना छड, सोयी होगी धरती उत्ते

मंजी बिछौना छडसोयी होगी धरती उत्ते
सुध बुध खोई फिरदी, होगी वो इत्थे उत्थे 
दिल विच चुभोई होगी तीखी तीर। 
ओ रब्बा आ! किन्ना रोई होगी हीर


भरी हुई दिन विच, ताकी होंगी अक्खां

भरी हुई दिन विचताकी होंगी अक्खां
काली काली रातां, काटी होंगी कल्लां
झर झर बहाई होगी नयनन तों नीर। 

ओ रब्बा आ! किन्ना रोई होगी हीर

खाना ते पानी दी, भूख ना प्यास होगी
रांझणा दे आवन दा, हरदम ही आस होगी
अंसुअन भिगोई होगी, देह उत्ते चीर। 
ओ रब्बा आ! किन्ना रोई होगी हीर

ले के फरियाद अपनी की, होगी पुकार तेरी

ले के फरियाद अपनी की, होगी पुकार तेरी
माथा पटक के साईं, लेवण अरदास तेरी 
बनके मोहब्बत दी कंगली फ़कीर
ओ रब्बा आ ! किन्ना रोई होगी हीर


लोकां दी सताई होगी, होगी मजबूर वो

लोकां दी सताई होगीहोगी मजबूर वो
जहर दा निवाला खाई, हुई मशहूर वो  
प्रेम दिवानी की लिखी कैसी तकदीर
ओ रब्बा ! किन्ना रोई होगी हीर


एस डी तिवारी