राम का भव्य मंदिर बन जाएगा।
देश-विदेश से पर्यटक आएगा।
अयोध्यावासी की आय बढ़ेगी,
क्षेत्र का आर्थिक सुधर हो पायेगा।
अयोध्या में राम भक्त पटे होंगे।
भक्तों की सेवा में लोग जुटे होंगे।
कई व्यवसाय व सेवाओं से लोग,
कमाई के साथ खुशियों से अटे होंगे।
वृहत राष्ट्र का यह पर्यटन होगा।
उमड़ता यहाँ पर जन जन होगा।
इस सृष्टि को जो है चलाने वाला,
प्रभु राम को करता नमन होगा।
यहाँ मंदिर बना आलीशान होगा।
लोगों के सौहार्द का निशान होगा।
प्रसाद बेच रहा, इस स्थल पर,
बैठा हिन्दू और मुसलमान होगा।
चलाता है सम्पूर्ण सृष्टि का विधान।
संविधान से उसको डराता है इन्सान।
रखता शक्ति, वो चाहेगा लिख देगा,
मिटाकर, राष्ट्र का नया संविधान।
राम-नाम में लगा अरबों का मन है।
राम नाम ही साधु संतों का जीवन है
कितनों के कठिन समय का सहारा,
कितनों का निःशुल्क मनोरंजन है।
अवध से है रामसेतु तक, राम का नाम।
जोड़ रखा है राष्ट्र को सब, राम का नाम।
राम नाम में है सफल, एक अपार बल,
रोकता दुष्परिणाम सकल, राम का नाम।
श्रीलंका पर्यटन चला रहा, राम के नाम पर।
करोड़ों प्रति वर्ष कमा रहा, राम के नाम पर।
भारत में जन्मा जन्म स्थान का विवाद कर,
राष्ट्र को क्षति पहुंचा रहा, राम के नाम पर।
मन में विश्वास जगाता, राम का नाम।
कर्म हेतु उत्साह जगाता, राम का नाम।
राम नाम हर लेता बहुतों के दुःख को,
बुरी शक्ति को है भगाता, राम का नाम।
दशानन के शीश दस, मिथ्या, घृणा, लोभ,
मद, मत्सर, ईर्ष्या, काम, मोह, द्वेष व क्रोध।
कुचल के रख देता सभी को राम का नाम,
और मिटा देता है जीवन के सब क्षोभ।
जीवित रहे राम का नाम, रावण क्यों चाहेगा !
धरती से हो पाप तमाम, रावण क्यों चाहेगा !
उसे तो भोग चाहिए, वैभव, विलास चाहिए,
कोई धाम हो राम के नाम, रावण क्यों चाहेगा !
खुद के कार्य हों निर्वाध, रावण यही चाहता।
वाधित हो राम के काम, रावण यही चाहता।
दुनिया हो गयी राम-मय तो उसकी न चलेगी,
फैले उसी का ताम झाम, रावण यही चाहता।
मंदिर से और भी सुदृढ़ होगा राम का नाम।
अब कभी नहीं संकीर्ण होगा राम का नाम।
विश्व भर में छाया हुआ है राम का प्रताप,
और बढ़ेगा, जब जीर्ण होगा राम का नाम।
लोकतंत्र में किसी के वोट बैंक के डर से।
बहुसंख्यक अपने अधिकार को तरसे।
रहना पड़ा, राम लला को भटकते दूर,
कहीं पर बाहर, अपने अवध नगर से।
राम में करोड़ों लोग लगे बझे होते हैं।
मन के विकारों को सब तजे होते हैं।
कोई पूजा, दर्शन और कीर्तन करता,
बहुत से लोग राम नाम भजे होते हैं।
राम नाम में अगर वो नहीं समायेंगी।
वो सभी शक्तियां आसुरी हो जाएँगी।
विध्वंसक कार्यों में विनिवेशित होकर,
कहीं न कहीं राष्ट्र को क्षति पहुंचाएंगी।
सद्चरित्र को पुष्ट करता, राम का नाम।
मन में उपजे कष्ट हरता, राम का नाम।
आसुरी शक्तियां जो भी उत्पन्न होतीं,
उन सबको नष्ट करता, राम का नाम।
मन का मैल धुल जाता, भजने से 'राम'।
जीवन अमृत मिल जाता, भजने से 'राम'।
दुर्गुणों से लड़ने का अद्भुत बल मिलता,
रावण का दम हिल जाता, भजने से 'राम'।
राम, मात्र नाम नहीं, रामायण-सूत्र है।
है तो ईश्वर, कहने को दशरथ पुत्र है।
राम नाम में मानवता के आदर्श सभी,
कृपा, करुणा, और सुखों का समुद्र है।
राम पूजन में निवेश है, कितनी शक्ति।
राम भजन में निवेश है, कितनी शक्ति।
जाने से बच जाती है विध्वंस की ओर,
राम नमन में निवेश है, कितनी शक्ति।
दुःख, दरिद्रता के शाप हटाता, राम का नाम।
ऊपर आये सब पाप भगाता, राम का नाम।
बस जाता है राम का नाम जिसके हृद में,
अनेकानेक संताप मिटाता, राम का नाम।
राम-नाम में दया, धर्म और करुणा रमा
राम का नाम ही है दान, कृपा और क्षमा
विश्व में शांति स्थापित करने का 'राम'
संतों ने दिया है एक अद्भुत मन्त्र थमा
राम नाम अनेक लोगों को भक्ति देता।
भक्तों को अनेक पापों से विरक्ति देता।
आदर्श के पथ पर चलने को प्रेरित कर,
राष्ट्र को प्रेम की अलौकिक शक्ति देता।
राम-नाम जीवन का एक महामंत्र है।
कलियुग में निष्पाप का अद्भुत यंत्र है।
जगत को शांति मार्ग पर चलाने वाला,
मिला एक अलौकिक और सरल तंत्र है।
जब जहाँ मेरा वादी चाहेगा, मे लार्ड!
राम-मंदिर तो बन जायेगा, मे लार्ड!
भक्तों पर अनेक कृपा बरसाई।
राक्षसों से पृथ्वी रिक्त कराई।
अपने मंदिर को तरस रहा है,
जिसने है सारी सृष्टि बनायी।
एक दिन महिमा दिखलायेगा,
मंदिर भी वही बनाएगा, मे लार्ड! राम मंदिर ...
भक्त बनाने जब आगे आते।
प्रतिवादी अनेक धौंस जमाते।
झगड़ा तो कभी रगड़ा करने को,
नेता उन्हें बहु भांति उकसाते।
भक्त, कब तक प्राण सुखायेगा!
एक दिन राम को बुलाएगा, मे लार्ड! राम मंदिर ..
मूर्त रूप में नहीं दिखता वो।
हर जीव में मगर बसता वो।
प्राण जिसे कहते, वही तो है,
वायु बन सांसों में चलता वो।
विरोधियों के बुद्धि में घुस कर,
अपनी शक्ति दिखायेगा, मे लार्ड! राम मंदिर ...
मेरे तर्क, यदि मान्य न होंगे।
प्रभु के गुण सम्मान्य न होंगे।
पापियों का बल बढ़ता जायेगा,
देश में भरे धन धान्य न होंगे।
उसको यदि न्याय नहीं मिला,
तो न्याय भी पछतायेगा, मे लार्ड! राम मंदिर ...
अवमानना से वह नहीं डरेगा।
तुम्हें भी कटघरे में खड़ा करेगा।
कुछ भी नहीं असंभव उसको,
मंदिर तो उसका अवश्य बनेगा।
पापी हैं जो भी इस धरती भर,
करनी का भोग चखायेगा, मे लार्ड! राम मंदिर ...
धर्मों से ऊपर, भगवान है वो।
सबका ही कृपानिधान है वो।
नाम लेकर गया दुनिया से,
धरती पर रहा महान है वो।
कितना भी अमृत करे धारण,
रावण, फिर भी मर जायेगा, मे लार्ड! राम मंदिर ...
मनुष्यों में रह, वह देखता सब।
आवश्यकता पर, होगा प्रकट।
मंदिर है उसके होने का प्रतीक,
राष्ट्र का होता है, जैसे ध्वज।
एक नाम रोकता, कितने विध्वंस,
पुण्यात्मा ही समझ पायेगा, मे लार्ड! राम मंदिर ...
ऐसे ही बेघर रहे यदि राम लला।
मंदिर बना रहे विवाद का मसला।
करोड़ों की भावना से हो खिलवाड़,
राष्ट्र का कैसे हो पायेगा भला।
राम के बिना, दानव सिर उठाएंगे,
मानव व्याकुल हो जायेगा, मे लार्ड! राम मंदिर ...
बड़ा ही धैर्य दिखाया है राम ने।
इतना सहा, नहीं आया सामने।
बन जाने दो अब मंदिर श्रीमान,
न तो, न आएगा वो तुम्हें थामने।
भक्त न होंगे, मोड़ लेगा मुंह वह,
दैत्यों से फिर कौन बचायेगा, मे लार्ड! राम मंदिर ...