कोई न पढ़ा होगा, जितना पढ़ गए, सर्वेश चंदौसवी।
सोनार जैसे गजलें कमाल गढ़ गए, सर्वेश चंदौसवी।
'लफ्जों के समुन्दर' को खंगाल कर जब उड़ेला उन्होंने,
एक सौ उन्नीस किताबों में मढ़ गए, सर्वेश चंदौसवी।
'सम्मानों की, एक लम्बी सी कतार है, 'तेरे ही दम से'
लिम्का बुक में भी नाम अपना जड़ गए, सर्वेश चंदौसवी।
'वक्त का खाका' खींचा, 'चाँद को टांक दिया' जमीं से,
क्या पड़ी? सातवें आसमां पे चढ़ गए, सर्वेश चंदौसवी।
महफ़िलों में बड़ी कदर थी, दिलों में उनके लिए जगह थी,
'मुहब्बत का ख्वाब' दिखा क्यों बिछड़ गए? सर्वेश चंदौसवी।
चलायी जब कलम तो 'उजालों की तस्वीर' को उकेरा,
'धूप का चेहरा' सामने हमारे कर गए, सर्वेश चंदौसवी।
'ख़ुशी की लौ' 'देव', जलाये रखे हम 'महकते अँधेरे में'
हमारे बीच से, कैसे फिर कढ़ गए! सर्वेश चंदौसवी।
- एस. डी. तिवारी